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Badami Chalukya (543-753 AD)
jp Singh 2025-05-22 22:23:31
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बादामी चालुक्य (543-753 ई.)

बादामी चालुक्य (543-753 ई.)
बादामी चालुक्य (543-753 ई.)
बादामी चालुक्य, जिन्हें वातापी चालुक्य भी कहा जाता है, चालुक्य वंश की सबसे प्रारंभिक और प्रभावशाली शाखा थी। उन्होंने दक्षिण भारत में अपनी सैन्य शक्ति और स्थापत्य कला के लिए ख्याति प्राप्त की।
प्रमुख शासक:
1. पुलकेशिन प्रथम (543-566 ई.):
बादामी चालुक्य वंश के संस्थापक। उन्होंने बादामी (वातापी) को अपनी राजधानी बनाया और कदंब शासकों को पराजित कर अपनी शक्ति स्थापित की। उनके शासनकाल में वैदिक धर्म को प्रोत्साहन मिला, और उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया। बादामी में गुफा मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ।
2. कीर्तिवर्मन प्रथम (566-597 ई.):
पुलकेशिन प्रथम के पुत्र। उन्होंने कोंकण, गुजरात, और मालवा के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की। उनके शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य का विस्तार हुआ और स्थापत्य विकास को प्रोत्साहन मिला।
3. पुलकेशिन द्वितीय (610-642 ई.):
बादामी चालुक्य वंश का सबसे महान शासक। उन्होंने पल्लव शासक महेंद्रवर्मन प्रथम को पराजित किया और काँची पर आक्रमण किया। उनके शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य अपने चरम पर था, जिसमें दक्षिण भारत के अधिकांश हिस्से शामिल थे। उन्होंने हर्षवर्धन (उत्तर भारत के शासक) को नर्मदा नदी के तट पर पराजित किया, जो उनकी सबसे बड़ी सैन्य उपलब्धि थी। उनके शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भारत की यात्रा की और चालुक्य साम्राज्य की समृद्धि का वर्णन किया। पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम ने बादामी पर आक्रमण कर उनकी हत्या कर दी, जिससे चालुक्य शक्ति को झटका लगा।
4. विक्रमादित्य प्रथम (655-680 ई.):
पुलकेशिन द्वितीय के पुत्र, जिन्होंने पल्लवों से बादामी को पुनः प्राप्त किया। उन्होंने पल्लव शासक नरसिंहवर्मन प्रथम और उनके उत्तराधिकारियों के खिलाफ कई युद्ध लड़े। उनके शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य ने अपनी शक्ति को पुनर्जनन किया।
5. विनयादित्य (680-696 ई.):
उन्होंने चालुक्य साम्राज्य का विस्तार बनाए रखा और पल्लव, चोल, और पांड्य शासकों के खिलाफ युद्ध लड़े। उनके शासनकाल में स्थापत्य और धार्मिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला।
6. विक्रमादित्य द्वितीय (733-746 ई.):
उन्होंने पल्लव शासक नंदिवर्मन द्वितीय को पराजित कर काँची पर कब्जा किया। उनके शासनकाल में बादामी, ऐहोल, और पट्टदकल में कई मंदिरों का निर्माण हुआ, जो चालुक्य स्थापत्य की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं। उनके शासनकाल में चालुक्य शक्ति अपने चरम पर थी।
7. कीर्तिवर्मन द्वितीय (746-753 ई.):
बादामी चालुक्य वंश का अंतिम शासक। उनके शासनकाल में राष्ट्रकूट शासक दंतिदुर्ग ने बादामी पर आक्रमण कर चालुक्य शासन को समाप्त कर दिया (753 ई.)।
योगदान:
स्थापत्य: बादामी चालुक्य स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध हैं। बादामी, ऐहोल, और पट्टदकल में निर्मित गुफा मंदिर और संरचनात्मक मंदिर (जैसे पट्टदकल का विरुपाक्ष मंदिर) द्रविड़ और नागर शैली के मिश्रण को दर्शाते हैं। पट्टदकल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
धर्म: उन्होंने वैदिक धर्म (शैव और वैष्णव) को प्रोत्साहन दिया, लेकिन जैन और बौद्ध धर्म को भी संरक्षण प्रदान किया।
प्रशासन: चालुक्य शासकों ने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखी, जिसमें स्थानीय सामंतों और ग्राम सभाओं की भूमिका थी।
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