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व्यपारिक कटौती अथवा बट्टा
jp Singh 2025-06-04 21:50:28
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व्यपारिक कटौती अथवा बट्टा

व्यपारिक कटौती अथवा बट्टा
व्यपारिक कटौती अथवा बट्टा
व्यापारिक बट्टा वह राशि है जो विक्रेता माल की सूची मूल्य (List Price) पर छूट के रूप में प्रदान करता है। यह छूट आमतौर पर प्रतिशत के रूप में दी जाती है और यह खरीद की मात्रा, ग्राहक के प्रकार (जैसे थोक विक्रेता या खुदरा विक्रेता), या व्यापारिक नीतियों पर निर्भर करती है। व्यापारिक बट्टा चालान में ही समायोजित हो जाता है, और इसका लेखांकन बिक्री या खरीद के शुद्ध मूल्य (Net Price) के आधार पर किया जाता है। यह नकद बट्टे (Cash Discount) से भिन्न है, जो समय पर भुगतान के लिए दी जाती है।
व्यापारिक बट्टे के उदाहरण
मात्रा आधारित छूट: यदि कोई थोक विक्रेता 100 इकाइयों की खरीद पर 10% बट्टा देता है, तो यह व्यापारिक बट्टा है।
ग्राहक-विशिष्ट छूट: नियमित ग्राहकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं को विशेष छूट दी जा सकती है।
मौसमी छूट: मौसमी माल की बिक्री को बढ़ाने के लिए बट्टा प्रदान किया जा सकता है।
उदाहरण: यदि माल का सूची मूल्य ₹10,000 है और विक्रेता 20% व्यापारिक बट्टा देता है, तो चालान में शुद्ध मूल्य ₹8,000 दर्ज होगा।
व्यापारिक बट्टे का महत्व
बिक्री को प्रोत्साहन: यह बट्टा ग्राहकों को अधिक खरीदारी के लिए प्रेरित करता है, जिससे विक्रेता की बिक्री बढ़ती है।
प्रतिस्पर्धात्मक लाभ: यह व्यवसाय को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करता है।
ग्राहक निष्ठा: नियमित ग्राहकों को दी जाने वाली छूट व्यापारिक संबंधों को मजबूत करती है।
इन्वेंट्री प्रबंधन: यह स्टॉक को तेजी से हटाने और नकदी प्रवाह को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
लेखांकन में व्यापारिक बट्टा
व्यापारिक बट्टे का लेखांकन बिक्री या खरीद के शुद्ध मूल्य के आधार पर किया जाता है, और इसे लेखा पुस्तकों में अलग से दर्ज नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए:
विक्रेता के लिए: यदि माल का सूची मूल्य ₹10,000 है और 20% बट्टा दिया जाता है, तो बिक्री खाते में ₹8,000 दर्ज किया जाएगा।खरीदार खाता (Accounts Receivable) Dr. ₹8,000 बिक्री खाता (Sales A/c) Cr. ₹8,000
खरीदार के लिए: खरीद खाते में भी शुद्ध मूल्य (₹8,000) दर्ज किया जाएगा। खरीद खाता (Purchases A/c) Dr. ₹8,000 विक्रेता खाता (Accounts Payable) Cr. ₹8,000
व्यापारिक बट्टा और नकद बट्टा में अंतर
उद्देश्य: व्यापारिक बट्टा बिक्री को बढ़ाने के लिए दिया जाता है, जबकि नकद बट्टा समय पर भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए होता है।
समायोजन: व्यापारिक बट्टा चालान में समायोजित होता है, जबकि नकद बट्टा भुगतान के समय लागू होता है।
लेखांकन: व्यापारिक बट्टा लेखा पुस्तकों में अलग से दर्ज नहीं होता, लेकिन नकद बट्टा एक व्यय (विक्रेता के लिए) या आय (खरीदार के लिए) के रूप में दर्ज होता है।
भारत में कराधान
भारत में, वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत, व्यापारिक बट्टा चालान मूल्य में समायोजित हो जाता है, और GST केवल शुद्ध मूल्य (बट्टे के बाद की राशि) पर लागू होता है। उदाहरण के लिए, यदि शुद्ध मूल्य ₹8,000 है और GST दर 18% है, तो GST ₹1,440 होगा।
चुनौतियाँ
लाभ मार्जिन पर प्रभाव: अधिक बट्टा देने से व्यवसाय का लाभ मार्जिन कम हो सकता है। अनौपचारिक क्षेत्रक में प्रबंधन: अनौपचारिक क्षेत्रक में, जहाँ लेखांकन कम औपचारिक होता है, बट्टे का सटीक रिकॉर्ड रखना मुश्किल हो सकता है। दुरुपयोग: कुछ ग्राहक अनुचित बट्टे की मांग कर सकते हैं, जिससे विवाद हो सकता है।
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