मूर्त सम्पत्तियाँ
jp Singh
2025-06-04 21:46:07
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मूर्त सम्पत्तियाँ
मूर्त सम्पत्तियाँ
मूर्त सम्पत्तियाँ
मूर्त सम्पत्तियाँ ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका भौतिक रूप होता है और जिनका आर्थिक मूल्य होता है। ये सम्पत्तियाँ व्यवसाय के लिए दीर्घकालिक या अल्पकालिक उपयोग में लाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, भवन, मशीनरी, वाहन, फर्नीचर, और स्टॉक मूर्त सम्पत्तियों के अंतर्गत आते हैं। ये अमूर्त सम्पत्तियों (Intangible Assets) जैसे पेटेंट या ट्रेडमार्क से भिन्न होती हैं, क्योंकि इनका कोई भौतिक रूप नहीं होता। भारत में, मूर्त सम्पत्तियों का लेखांकन भारतीय लेखा मानक (Ind AS) 16 - "Property, Plant, and Equipment" के अनुसार किया जाता है।
मूर्त सम्पत्तियों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets): ये दीर्घकालिक उपयोग के लिए होती हैं और एक वर्ष से अधिक समय तक व्यवसाय में रहती हैं। उदाहरण:
भवन (Buildings) मशीनरी (Machinery) वाहन (Vehicles) फर्नीचर और फिक्सचर (Furniture and Fixtures) भूमि (Land)
चालू सम्पत्तियाँ (Current Assets): ये अल्पकालिक होती हैं और एक वर्ष के भीतर उपयोग या बिक्री के लिए होती हैं। उदाहरण:स्टॉक/इन्वेंट्री (Inventory) नकद (Cash) कच्चा माल (Raw Materials) मूर्त सम्पत्तियों का महत्व
परिचालन दक्षता: मूर्त सम्पत्तियाँ, जैसे मशीनरी और उपकरण, व्यवसाय के उत्पादन और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
वित्तीय स्थिति का आकलन: ये सम्पत्तियाँ बैलेंस शीट में व्यवसाय की कुल संपत्ति का हिस्सा होती हैं, जो इसकी वित्तीय स्थिरता को दर्शाती हैं।
ऋण प्राप्ति: मूर्त सम्पत्तियाँ बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए सुरक्षा (Collateral) के रूप में उपयोग की जा सकती हैं।
कर लाभ: मूर्त सम्पत्तियों पर मूल्यह्रास (Depreciation) के माध्यम से कर छूट प्राप्त की जा सकती है।
मूर्त सम्पत्तियों का मूल्यांकन निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है:
लागत मूल्य (Cost Price): इसमें खरीद मूल्य, स्थापना लागत, और अन्य प्रत्यक्ष व्यय शामिल होते हैं।
बाजार मूल्य (Market Value): सम्पत्ति का वर्तमान बाजार मूल्य, जो समय के साथ बदल सकता है।
मूल्यह्रास के बाद मूल्य (Net Book Value): यह लागत मूल्य से मूल्यह्रास (Depreciation) घटाने के बाद प्राप्त होता है। भारत में, Ind AS 16 के अनुसार, मूर्त सम्पत्तियों का मूल्यांकन लागत मॉडल या पुनर्मूल्यांकन मॉडल (Revaluation Model) के आधार पर किया जाता है।
लेखांकन और मूल्यह्रास
मूर्त सम्पत्तियों पर मूल्यह्रास की गणना उनके उपयोगी जीवन (Useful Life) के आधार पर की जाती है। सामान्य विधियाँ हैं:
सीधी रेखा विधि (Straight-Line Method): प्रत्येक वर्ष समान मूल्यह्रास।
लिखित मूल्य ह्रास विधि (Written-Down Value Method): प्रत्येक वर्ष शेष मूल्य पर घटता हुआ मूल्यह्रास। मूल्यह्रास को लाभ-हानि खाते में व्यय के रूप में दर्ज किया जाता है, जो कर योग्य आय को कम करता है।
चुनौतियाँ
मूल्यह्रास और अप्रचलन: मूर्त सम्पत्तियाँ समय के साथ मूल्य खो सकती हैं या अप्रचलित हो सकती हैं।
रखरखाव लागत: मशीनरी और भवनों का रखरखाव महंगा हो सकता है।
चोरी या क्षति: भौतिक सम्पत्तियाँ चोरी, प्राकृतिक आपदा, या क्षति के जोखिम में होती हैं।
अनौपचारिक क्षेत्रक में प्रबंधन: अनौपचारिक क्षेत्रक में मूर्त सम्पत्तियों का सटीक रिकॉर्ड रखना और मूल्यांकन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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