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अनुपवर्जित आय
jp Singh 2025-06-04 21:43:35
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अनुपवर्जित आय

अनुपवर्जित आय
अनुपवर्जित आय
अनुपवर्जित आय वह आय है जो किसी व्यवसाय या व्यक्ति को भविष्य में मिलने की उम्मीद है, लेकिन वह अभी तक न तो अर्जित हुई है और न ही लेखांकन में दर्ज की गई है। यह आय अनिश्चित हो सकती है और इसका लेखांकन तब तक नहीं किया जाता, जब तक यह अर्जित न हो जाए। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी भविष्य में किसी अनुबंध से आय की उम्मीद करती है, लेकिन अनुबंध अभी शुरू नहीं हुआ है, तो वह आय अनुपवर्जित मानी जाएगी। यह आय बैलेंस शीट या लाभ-हानि खाते में दर्ज नहीं होती, क्योंकि यह लेखांकन के उपचय सिद्धांत के तहत अर्जित आय की श्रेणी में नहीं आती।
अनुपवर्जित आय के उदाहरण
भविष्य के अनुबंध: यदि कोई परामर्श कंपनी को अगले वित्तीय वर्ष में किसी प्रोजेक्ट के लिए अनुबंध मिलने की उम्मीद है, लेकिन प्रोजेक्ट अभी शुरू नहीं हुआ, तो उससे होने वाली आय अनुपवर्जित होगी।
संभावित ब्याज: यदि कोई निवेश भविष्य में ब्याज उत्पन्न करेगा, लेकिन वह ब्याज अभी तक अर्जित नहीं हुआ, तो वह अनुपवर्जित आय है।
किराया: यदि कोई मकान मालिक अगले महीने से नया किरायेदार लाने की योजना बना रहा है, लेकिन किराया अभी शुरू नहीं हुआ, तो वह अनुपवर्जित आय है।
संभावित रॉयल्टी या कमीशन: यदि कोई लेखक भविष्य में अपनी किताब की बिक्री से रॉयल्टी की उम्मीद करता है, लेकिन किताब अभी प्रकाशित नहीं हुई, तो यह अनुपवर्जित आय होगी।
अनुपवर्जित आय का महत्व
वित्तीय योजना: अनुपवर्जित आय का अनुमान व्यवसायों को भविष्य की आय की योजना बनाने और नकदी प्रवाह (Cash Flow) का प्रबंधन करने में मदद करता है।
निवेश निर्णय: संभावित आय का आकलन निवेशकों और प्रबंधन को भविष्य के विकास और विस्तार के लिए रणनीति बनाने में सहायता करता है।
जोखिम प्रबंधन: अनुपवर्जित आय अनिश्चित होती है, इसलिए इसका विश्लेषण जोखिम प्रबंधन और आकस्मिक योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
बजट निर्माण: व्यवसाय भविष्य की आय के आधार पर बजट तैयार करते हैं, जिसमें अनुपवर्जित आय का अनुमान शामिल हो सकता है।
अनुपवर्जित आय और उपवर्जित आय में अंतर
अर्जन: उपवर्जित आय वह है जो अर्जित हो चुकी है, लेकिन प्राप्त नहीं हुई, जबकि अनुपवर्जित आय अभी अर्जित नहीं हुई है।
लेखांकन: उपवर्जित आय को बैलेंस शीट में चालू संपत्ति के रूप में दर्ज किया जाता है, जबकि अनुपवर्जित आय को लेखांकन रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता।
निश्चितता: उपवर्जित आय अधिक निश्चित होती है, क्योंकि वह अर्जित हो चुकी है, जबकि अनुपवर्जित आय अनिश्चित और संभावित होती है।
अनुपवर्जित आय का लेखांकन
चूंकि अनुपवर्जित आय अभी अर्जित नहीं हुई है, इसे लेखांकन रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता। हालांकि, व्यवसाय अपने आंतरिक विश्लेषण या बजट योजना में इसका अनुमान लगा सकते हैं। जब यह आय अर्जित हो जाती है, तो इसे उपवर्जित आय के रूप में दर्ज किया जाता है और बाद में प्राप्त होने पर नकद आय के रूप में।
भारत में कराधान
भारत में, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, अनुपवर्जित आय कर योग्य नहीं होती, क्योंकि यह अभी तक अर्जित नहीं हुई है। केवल अर्जित आय, जैसे उपवर्जित आय, को ही कर योग्य आय में शामिल किया जाता है। हालांकि, व्यवसायों को भविष्य की आय के अनुमान के आधार पर कर योजना बनानी चाहिए।
चुनौतियाँ
अनिश्चितता: अनुपवर्जित आय संभावित होती है, इसलिए इसकी गारंटी नहीं होती, जिससे वित्तीय योजना जोखिमपूर्ण हो सकती है।
अनुमान में त्रुटि: गलत अनुमान से बजट और नकदी प्रवाह प्रबंधन प्रभावित हो सकता है।
प्रबंधन जटिलता: अनौपचारिक क्षेत्रक में, जहाँ लेखांकन प्रणाली कम औपचारिक होती है, अनुपवर्जित आय का अनुमान लगाना और प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है।
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