Informal Sector
jp Singh
2025-06-04 21:33:01
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Informal Sector
Informal Sector
अनौपचारिक क्षेत्रक (Informal Sector):
अनौपचारिक क्षेत्रक अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो सरकार द्वारा विनियमित या पंजीकृत नहीं होता और औपचारिक कर प्रणाली, श्रम कानूनों, या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे से बाहर होता है। इसमें छोटे पैमाने के व्यवसाय, स्व-रोजगार, और असंगठित श्रम शामिल हैं। भारत में अनौपचारिक क्षेत्रक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है, जो लगभग 80-90% रोजगार प्रदान करता है (ILO और NITI Aayog के अनुमान)।
अनौपचारिक क्षेत्रक की विशेषताएँ:
गैर-पंजीकृत व्यवसाय: छोटे दुकानदार, स्ट्रीट वेंडर, हस्तशिल्प कारीगर, और स्व-रोजगार वाले व्यक्ति।
कम पूंजी निवेश: सीमित संसाधनों और प्रौद्योगिकी के साथ कार्य।
अनौपचारिक वित्त: सूक्ष्म साख, स्थानीय साहूकार, या हवाला जैसे साधनों का उपयोग।
कम विनियमन: श्रम कानून, कर, या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पालन नहीं।
उच्च रोजगार: भारत में अधिकांश ग्रामीण और शहरी श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्रक में कार्यरत हैं।
भारत में अनौपचारिक क्षेत्रक (2025 तक):
आकार: अनौपचारिक क्षेत्रक भारत की GDP में लगभग 40-50% का योगदान देता है और 80% से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24)।
प्रमुख क्षेत्र: हस्तशिल्प, आभूषण निर्माण, छोटे पैमाने का खुदरा, कृषि, और निर्माण।
SHGs का योगदान: स्वयं सहायता समूह (SHGs) अनौपचारिक क्षेत्रक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के लिए।
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jp Singh
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