Portfolio Investment
jp Singh
2025-06-04 21:20:06
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संविभाग निवेश (Portfolio Investment)
संविभाग निवेश (Portfolio Investment) से तात्पर्य विदेशी या घरेलू निवेशकों द्वारा किसी देश की वित्तीय परिसम्पत्तियों, जैसे शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश से है, जिसमें निवेशक का उद्देश्य वित्तीय रिटर्न कमाना होता है, न कि व्यवसाय पर नियंत्रण प्राप्त करना। यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) से अलग है, क्योंकि FDI में दीर्घकालिक हिस्सेदारी और प्रबंधन नियंत्रण शामिल होता है, जबकि संविभाग निवेश अल्पकालिक और वित्तीय लाभ पर केंद्रित होता है।
संविभाग निवेश की प्रमुख विशेषताएं:
प्रकार:
इक्विटी निवेश: शेयर बाजार में कंपनियों के शेयरों में निवेश। ऋण निवेश: बॉन्ड, डिबेंचर, या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश। म्यूचुअल फंड और ETFs: विविध पोर्टफोलियो में निवेश।
लिक्विडिटी: संविभाग निवेश में परिसम्पत्तियाँ आसानी से खरीदी या बेची जा सकती हैं।
जोखिम: यह बाजार जोखिमों (जैसे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव) के अधीन होता है।
नियामक ढांचा: भारत में, संविभाग निवेश को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को SEBI के साथ पंजीकरण करना पड़ता है।
उद्देश्य: पूंजी वृद्धि और लाभांश/ब्याज के माध्यम से वित्तीय रिटर्न प्राप्त करना।
भारत में संविभाग निवेश (2025 तक):
FPI (Foreign Portfolio Investment): विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजारों (जैसे BSE, NSE), बॉन्ड, और म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। 2023-24 में, भारत में FPI प्रवाह लगभग $20-25 बिलियन रहा (वाणिज्य मंत्रालय और SEBI के आंकड़े)।
प्रमुख क्षेत्र: प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाएँ, ई-कॉमर्स, और उपभोक्ता वस्तुएँ।
विनियामक सीमाएँ: कुछ क्षेत्रों में FPI की सीमा निर्धारित है, जैसे बैंकिंग (74%) और बीमा (49%)।
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jp Singh
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