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jp Singh 2025-06-04 19:56:16
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सूक्ष्म साख (Microcredit)
सूक्ष्म साख एक वित्तीय अवधारणा है जिसमें छोटी राशि के ऋण उन लोगों को प्रदान किए जाते हैं जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं बना पाते, विशेष रूप से निम्न-आय वर्ग, गरीब, और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति, खासकर महिलाएं। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन, और स्व-रोजगार को बढ़ावा देना है।
प्रमुख विशेषताएं:
छोटी राशि का ऋण: सूक्ष्म साख में छोटे-छोटे ऋण (आमतौर पर कुछ सौ से कुछ हजार रुपये तक) प्रदान किए जाते हैं, जो आय-उत्पादक गतिविधियों जैसे छोटे व्यवसाय, कृषि, हस्तशिल्प, या अन्य उद्यमों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
बिना जमानत (Collateral-Free): पारंपरिक बैंकों के विपरीत, सूक्ष्म साख में जमानत की आवश्यकता नहीं होती, जिससे गरीब लोग भी इसे प्राप्त कर सकते हैं।
स्वयं सहायता समूह (SHG): सूक्ष्म साख अक्सर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रदान की जाती है, जहां समूह के सदस्य सामूहिक रूप से ऋण की जिम्मेदारी लेते हैं।
निम्न ब्याज दरें: सूक्ष्म साख में ब्याज दरें आमतौर पर रियायती होती हैं, ताकि ऋण चुकाना आसान हो।
सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण: यह विशेष रूप से महिलाओं को लक्षित करता है, जिससे उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।
उद्देश्य:
आजीविका सृजन: छोटे व्यवसाय शुरू करने या मौजूदा व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता।
गरीबी उन्मूलन: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आत्मनिर्भर बनाना।
महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करना।
वित्तीय समावेशन: उन लोगों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ना जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से बाहर हैं।
कार्यप्रणाली:
सूक्ष्म साख आमतौर पर सूक्ष्म वित्त संस्थानों (Microfinance Institutions - MFIs), स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), या सरकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदान की जाती है। ऋण वितरण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी मॉडल का उपयोग होता है, जहां समूह के सदस्य एक-दूसरे की गारंटी लेते हैं। ऋण चुकाने की प्रक्रिया को सरल और लचीला रखा जाता है, जैसे साप्ताहिक या मासिक किश्तें।
भारत में सूक्ष्म साख:
भारत में सूक्ष्म साख ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीबों, विशेषकर महिलाओं, के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुछ प्रमुख योजनाएं और संस्थान:
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म साख प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: छोटे उद्यमियों को सूक्ष्म ऋण प्रदान करती है।
नाबार्ड (NABARD): SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम के माध्यम से सूक्ष्म साख को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रीय महिला कोष (RMK): हालांकि अब बंद हो चुका है, यह पहले सूक्ष्म साख के लिए महत्वपूर्ण था।
लाभ:
आर्थिक स्वतंत्रता: व्यक्तियों को छोटे व्यवसाय शुरू करने और आय बढ़ाने में मदद।
सामाजिक प्रभाव: विशेषकर महिलाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास।
वित्तीय समावेशन: बैंकिंग प्रणाली से वंचित लोगों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ना।
गरीबी में कमी: आय-उत्पादक गतिविधियों के माध्यम से जीवन स्तर में सुधार।
चुनौतियां:
उच्च परिचालन लागत: छोटे ऋणों के प्रबंधन में लागत अधिक हो सकती है।
ऋण वसूली: कुछ मामलों में डिफॉल्ट की समस्या। जागरूकता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म साख की पहुंच और समझ सीमित हो सकती है।
अति-ऋण (Over-Indebtedness): कुछ मामलों में लोग एक से अधिक ऋण ले लेते हैं, जिससे चुकाने में कठिनाई होती है।
उदाहरण:
बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक और इसके संस्थापक मुहम्मद यूनुस ने सूक्ष्म साख की अवधारणा को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। भारत में, SKS Microfinance, बंधन बैंक, और अन्य सूक्ष्म वित्त संस्थानों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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