Harkin Bill
jp Singh
2025-06-03 17:48:35
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हरकिन बिल/Harkin Bill
हरकिन बिल/Harkin Bill
हरकिन बिल (Harkin Bill) संभवतः आप Harkin Bill का उल्लेख कर रहे हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में 1990 के दशक में प्रस्तावित Child Labor Deterrence Act से संबंधित है। इसे सीनेटर टॉम हरकिन (Tom Harkin) ने प्रस्तावित किया था। यह बिल बाल श्रम (Child Labor) का उपयोग करके निर्मित उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए था, विशेष रूप से उन देशों से, जहाँ बाल श्रम प्रचलित था, जैसे भारत। चूंकि आपने भारत के संदर्भ में पूछा है और आपके पिछले प्रश्न (VAT, GST, गिनी गुणांक, बीमारू राज्य, सब्सिडी, EEZ, नॉर्थ ईस्ट विजन, काला धन, रुपये का अवमूल्यन, भ्रष्टाचार, और नोबेल पुरस्कार) आर्थिक और सामाजिक मुद्दों से संबंधित हैं, मैं इस बिल को भारत के संदर्भ में और आपके पिछले प्रश्नों से जोड़कर समझाता हूँ।
हरकिन बिल (Child Labor Deterrence Act) की जानकारी
प्रस्ताव: सीनेटर टॉम हरकिन ने 1992 में यह बिल प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य उन देशों से उत्पादों (जैसे कालीन, कपड़ा, जूते) के आयात पर प्रतिबंध लगाना था, जहाँ 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा श्रम का उपयोग किया जाता था।
प्रावधान
अमेरिका में उन उत्पादों के आयात पर रोक, जो बाल श्रम से बने हों। कंपनियों को यह प्रमाणित करना होगा कि उनके उत्पाद बाल श्रम से मुक्त हैं। उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई। स्थिति: यह बिल कई बार (1992, 1995, 1997, 1999) प्रस्तुत हुआ, लेकिन कभी कानून नहीं बना। इसका विरोध अमेरिकी व्यवसायों और विकासशील देशों (जैसे भारत, बांग्लादेश) ने किया, क्योंकि यह उनके निर्यात को प्रभावित करता।
भारत पर प्रभाव: निर्यात क्षेत्र: भारत के कालीन उद्योग (जैसे भदोही, उत्तर प्रदेश), कपड़ा, और हस्तशिल्प पर इसका असर पड़ता, जो अमेरिका को निर्यात करते थे। 1990 के दशक में भारत का कालीन निर्यात ~$250 मिलियन (लगभग ₹1000 करोड़) था, जिसमें से 40% अमेरिका को जाता था।
बाल श्रम: भारत में 1990 के दशक में अनुमानित 20-100 मिलियन बाल श्रमिक थे, विशेष रूप से बीमारू राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश) और ग्रामीण क्षेत्रों में। हरकिन बिल ने भारत पर दबाव डाला कि वह बाल श्रम को कम करे। नीतिगत बदलाव: भारत ने बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 को और सख्त किया और 2016 में इसे संशोधित किया। कैलाश सत्यार्थी (2014 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता) के प्रयासों ने भी इस दिशा में योगदान दिया।
Conclusion
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jp Singh
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