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VAT
jp Singh 2025-06-03 17:22:23
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वेट क्या है/VAT

वेट क्या है/VAT
मूल्य वर्धित कर (VAT) की अवधारणा
VAT एक उपभोग-आधारित कर था, जो उत्पादन और वितरण की प्रत्येक अवस्था में वस्तु या सेवा के मूल्य वृद्धि पर लगाया जाता था। यह कर उत्पादक, वितरक, और अंतिम उपभोक्ता के बीच आपूर्ति श्रृंखला में लागू होता था। इसका मुख्य उद्देश्य करों की दोहरी गणना (cascading effect) को कम करना और कर प्रणाली को पारदर्शी बनाना था।
VAT की विशेषताएँ
बहु-स्तरीय कर: उत्पादन से लेकर बिक्री तक, प्रत्येक चरण में मूल्य वृद्धि पर कर लगता था।
इनपुट टैक्स क्रेडिट: व्यवसायी इनपुट (कच्चे माल) पर भुगतान किए गए VAT को आउटपुट (बिक्री) पर लगने वाले VAT से समायोजित कर सकते थे, जिससे कर की दोहरी गणना कम होती थी।
राज्य-स्तरीय कर: VAT को राज्यों द्वारा प्रशासित किया जाता था, और प्रत्येक राज्य की दरें अलग-अलग हो सकती थीं (आमतौर पर 4%, 12.5%, या विशेष वस्तुओं के लिए 1% या 20%)।
लागू वस्तुएँ: वस्तुओं (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े) और कुछ सेवाओं पर VAT लागू था, लेकिन सेवाएँ मुख्य रूप से सेवा कर (Service Tax) के दायरे में थीं।
भारत में VAT का इतिहास
प्रारंभ: 2005 में, हरियाणा पहला राज्य था जिसने VAT लागू किया। धीरे-धीरे अन्य राज्यों ने इसे अपनाया।
उद्देश्य: केंद्रीय बिक्री कर (CST) और स्थानीय बिक्री करों की जटिलताओं को बदलकर एक सरल और एकसमान कर प्रणाली बनाना।
प्रतिस्थापन: 1 जुलाई 2017 को GST के लागू होने के बाद VAT को समाप्त कर दिया गया, क्योंकि GST ने VAT, सेवा कर, और अन्य अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत कर दिया।
VAT का उदाहरण: मान लें, एक निर्माता ₹100 में कच्चा माल खरीदता है और उस पर 10% VAT (₹10) देता है। वह उत्पाद को ₹150 में थोक व्यापारी को बेचता है, जिस पर 10% VAT (₹15) लगता है। निर्माता इनपुट क्रेडिट (₹10) का दावा करके केवल ₹5 (15-10) का VAT जमा करता है। इसी तरह, थोक व्यापारी से खुदरा विक्रेता और अंतिम उपभोक्ता तक कर की गणना होती थी।
VAT के लाभ
पारदर्शिता: कर की गणना प्रत्येक चरण पर स्पष्ट थी। दोहरे करण में कमी: इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण कर पर कर की समस्या कम हुई। राजस्व वृद्धि: राज्यों को स्थिर राजस्व स्रोत प्रदान किया।
VAT की सीमाएँ
जटिलता: अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दरें और नियमों के कारण एकरूपता की कमी। अंतर-राज्य व्यापार: केंद्रीय बिक्री कर (CST) के साथ समन्वय की कमी। प्रशासनिक बोझ: छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन जटिल था।
GST के साथ तुलना
ST ने VAT को एक राष्ट्रीय स्तर की एकीकृत कर प्रणाली से बदल दिया, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान कर दरें (जैसे 5%, 12%, 18%, 28%) लागू होती हैं। GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दायरा व्यापक है, और यह केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व साझा करने की प्रणाली पर आधारित है। बीमारू राज्यों, सब्सिडी, और EEZ से संबंध: आपके पिछले प्रश्नों (बीमारू राज्य, सब्सिडी, EEZ, नॉर्थ ईस्ट विजन, और गिनी गुणांक) के संदर्भ में
बीमारू राज्यों में VAT: बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में VAT ने राजस्व संग्रह को बढ़ाया, जिसे सामाजिक कल्याण योजनाओं (जैसे सब्सिडी) के लिए उपयोग किया गया। उदाहरण के लिए, बिहार में VAT से प्राप्त राजस्व का उपयोग ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सब्सिडी योजनाओं में किया गया। सब्सिडी: VAT से प्राप्त राजस्व का उपयोग खाद्य, उर्वरक, और ईंधन सब्सिडी जैसे क्षेत्रों में किया जाता था, जो गिनी गुणांक (आय असमानता) को कम करने में मदद करता था।
EEZ: अनन्य आर्थिक क्षेत्र से प्राप्त संसाधन (जैसे मछली और तेल) पर VAT लागू होता था, जिससे राज्यों को अतिरिक्त राजस्व मिलता था। उदाहरण के लिए, असम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में मछली निर्यात पर VAT लागू था।
नॉर्थ ईस्ट विजन 2020: पूर्वोत्तर राज्यों में VAT ने राजस्व बढ़ाने में मदद की, जिसे बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास (जैसे सड़क, शिक्षा, और स्वास्थ्य) में निवेश किया गया।
गिनी गुणांक: VAT जैसे प्रगतिशील कर प्रणाली ने अप्रत्यक्ष रूप से आय असमानता को कम करने में मदद की, क्योंकि इससे प्राप्त राजस्व को गरीबों के लिए सब्सिडी और कल्याण योजनाओं में उपयोग किया गया।
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