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Gini Coefficient
jp Singh 2025-06-03 17:20:20
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गिनी गुणांक/Gini Coefficient

गिनी गुणांक/Gini Coefficient
गिनी गुणांक (Gini Coefficient) आय या संपत्ति के असमान वितरण को मापने का एक सांख्यिकीय उपकरण है। यह आय असमानता को मापने के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इसे 0 से 1 (या 0% से 100%) के बीच के मान के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे इतालवी सांख्यिकीविद् कोराडो गिनी ने 1912 में विकसित किया था।
गिनी गुणांक की परिभाषा
0 (या 0%): पूर्ण समानता, जहाँ सभी व्यक्तियों की आय या संपत्ति बराबर है। 1 (या 100%): पूर्ण असमानता, जहाँ एक व्यक्ति के पास सारी आय या संपत्ति है, और बाकी के पास कुछ नहीं। सामान्यतः, गिनी गुणांक 0.2 से 0.4 के बीच होने पर कम असमानता, 0.4 से 0.5 के बीच मध्यम असमानता, और 0.5 से ऊपर उच्च असमानता को दर्शाता है। गणना: गिनी गुणांक लॉरेन्ज वक्र (Lorenz Curve) पर आधारित है, जो आय या संपत्ति के संचयी वितरण को दर्शाता है। गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है
G = A / (A + B) जहाँ:
A: लॉरेन्ज वक्र और पूर्ण समानता की रेखा (45-डिग्री रेखा) के बीच का क्षेत्र।
B: लॉरेन्ज वक्र के नीचे का क्षेत्र। भारत में गिनी गुणांक: वर्तमान स्थिति (2025 तक): भारत का गिनी गुणांक हाल के वर्षों में लगभग 0.35 से 0.38 के बीच रहा है, जो मध्यम स्तर की आय असमानता को दर्शाता है। यह आंकड़ा विभिन्न स्रोतों, जैसे विश्व बैंक और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSSO), पर आधारित है। ऐतिहासिक रुझान: 1990 के दशक में भारत का गिनी गुणांक लगभग 0.32 था, जो आर्थिक उदारीकरण के बाद बढ़ा। 2011-12 में NSSO के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में गिनी गुणांक 0.28 और शहरी क्षेत्रों में 0.37 था।
हाल के अध्ययनों (जैसे Oxfam) के अनुसार, भारत में शीर्ष 1% आबादी के पास कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है, जो बढ़ती असमानता को दर्शाता है। बीमारू राज्यों में: बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आय असमानता अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है, क्योंकि ये राज्य ऐतिहासिक रूप से आर्थिक रूप से कम विकसित रहे हैं। हालाँकि, उत्तर प्रदेश और बिहार में हाल के वर्षों में गरीबी में कमी आई है, जिससे गिनी गुणांक में कुछ सुधार हुआ है।
गिनी गुणांक का महत्व
नीति निर्माण: सरकारें गिनी गुणांक का उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे सब्सिडी (आपके पिछले प्रश्न से संबंधित), कर नीतियों, और आय हस्तांतरण योजनाओं को डिज़ाइन करने में करती हैं। आर्थिक विश्लेषण: यह आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के बीच संतुलन को समझने में मदद करता है। अंतरराष्ट्रीय तुलना: भारत का गिनी गुणांक विकसित देशों (जैसे स्वीडन: ~0.25) की तुलना में अधिक और कुछ विकासशील देशों (जैसे ब्राजील: ~0.50) से कम है। भारत में असमानता के कारण: क्षेत्रीय असंतुलन: बीमारू राज्यों और पूर्वोत्तर राज्यों (आपके पिछले प्रश्न से संबंधित) में विकास की कमी। शहरी-ग्रामीण अंतर: शहरी क्षेत्रों में आय और अवसर अधिक हैं।
अधिक हैं। शिक्षा और कौशल: उच्च शिक्षा और तकनीकी कौशल वाले लोगों की आय अधिक होती है। संपत्ति एकाग्रता: शीर्ष 1% के पास संपत्ति का बड़ा हिस्सा।
सब्सिडी और EEZ से संबंध
सब्सिडी: गिनी गुणांक को कम करने के लिए सरकारें सब्सिडी (जैसे खाद्य, ईंधन, और शिक्षा) का उपयोग करती हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और उज्ज्वला योजना गरीबों तक आय हस्तांतरण का एक रूप हैं, जो आय असमानता को कम करने में मदद करती हैं।
EEZ (अनन्य आर्थिक क्षेत्र): EEZ से प्राप्त संसाधन (जैसे मत्स्य पालन और तेल) आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे रोजगार और आय बढ़ सकती है। पूर्वोत्तर राज्यों में, विशेष रूप से असम और त्रिपुरा, EEZ से अप्रत्यक्ष लाभ (जैसे मछली निर्यात और व्यापार) असमानता को कम करने में मदद कर सकता है।
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