North Eastern Region Vision 2020
jp Singh
2025-06-03 17:18:27
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पूर्वोत्तर राज्यों विकास के लिए नार्थ इष्ट विजन/North Eastern Region Vision 2020
पूर्वोत्तर राज्यों विकास के लिए नार्थ इष्ट विजन/North Eastern Region Vision 2020
नॉर्थ ईस्ट रीजन विजन 2020 (North Eastern Region Vision 2020) भारत सरकार द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, और त्रिपुरा) के समग्र विकास के लिए 2008 में शुरू किया गया एक व्यापक ढांचा है। इसका उद्देश्य इन राज्यों को देश के अन्य विकसित क्षेत्रों के बराबर लाना और सामाजिक-आर्थिक विकास को तेज करना है। यह दस्तावेज़ उत्तर पूर्वी परिषद (North Eastern Council - NEC) द्वारा तैयार किया गया और 13 मई 2008 को त्रिपुरा के अगरतला में NEC की 56वीं पूर्ण सभा में स्वीकार किया गया, जिसे बाद में जुलाई 2008 में नई दिल्ली में लॉन्च किया गया।
मुख्य उद्देश्य
आर्थिक विकास: पूर्वोत्तर राज्यों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। बुनियादी ढांचा: सड़क, रेल, हवाई, और बिजली जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास। सामाजिक समावेशन: शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों में सुधार। सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संरक्षण: क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण। क्षेत्रीय एकीकरण: पूर्वोत्तर को भारत के अन्य हिस्सों और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (जैसे बांग्लादेश, म्यांमार) के साथ जोड़ना।
विजन 2020 की प्रमुख विशेषताएँ
नियादी ढांचे का विकास: सड़क, रेल, और हवाई संपर्क में सुधार। उदाहरण: 4,000 किमी सड़कें, 2,011 किमी के लिए 20 रेल परियोजनाएँ, और 15 हवाई संपर्क परियोजनाएँ। राष्ट्रीय जलमार्ग (गंगा पर NW-1, ब्रह्मपुत्र पर NW-2, और बराक पर NW-16) विकसित किए जा रहे हैं। बिजली उत्पादन और संचरण में निवेश, जिससे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ। आर्थिक विकास: क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों (जल, जलविद्युत, चाय, तेल, और लकड़ी) का उपयोग। पूर्वोत्तर में देश के 34% जल संसाधन और 40% जलविद्युत क्षमता है। नॉर्थ ईस्ट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम (NEIDS): MSME क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन।
मिशन पूरबोदय: पूर्वी भारत (विशेष रूप से ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, और उत्तरी आंध्र प्रदेश) के साथ एकीकृत इस्पात हब के माध्यम से आर्थिक विकास। नॉन-लैप्सेबल सेंट्रल पूल ऑफ रिसोर्सेज (NLCPR): 1998 में शुरू, बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए। PM-DevINE: 2022-23 बजट में शुरू, बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए।
पर्यटन और सांस्कृतिक प्रोत्साहन
क्षेत्र में काजीरंगा, मानस, नमदाफा, और खांगचेंडजोंगा जैसे राष्ट्रीय उद्यानों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा। स्वदेश दर्शन योजना: पिछले पाँच वर्षों में पूर्वोत्तर के लिए ₹1400.03 करोड़ की परियोजनाएँ स्वीकृत। सांस्कृतिक उत्सव जैसे हॉर्नबिल फेस्टिवल (नगालैंड) और पांग ल्हाबसोल (सिक्किम) का प्रचार। कनेक्टिविटी और एक्ट ईस्ट नीति: कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट और BCIM कॉरिडोर के माध्यम से म्यांमार और बांग्लादेश के साथ कनेक्टिविटी। इंडिया-जापान एक्ट ईस्ट फोरम: पहाड़ी क्षेत्रों में राजमार्ग निर्माण और सांस्कृतिक कनेक्टिविटी के लिए जापान के साथ सहयोग। नॉर्थईस्ट ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (2023): निवेशकों को क्षेत्र की संभावनाओं से अवगत कराने के लिए आयोजित, जिसमें ASEAN देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा।
सामाजिक-आर्थिक विकास
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, जैसे NEC द्वारा उच्च पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता। डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विजन 2022: डिजिटल तकनीकों के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाना। विशेष श्रेणी राज्यों (Special Category States) के रूप में 90:10 अनुपात में केंद्रीय सहायता। प्रगति और उपलब्धियाँ: आर्थिक विकास दर: 11वें पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों की GDP व живот ृद्धि दर 9.8% थी, जो राष्ट्रीय औसत 8% से अधिक थी।
बजट वृद्धि: 2014-15 में ₹24,819.18 करोड़ से 2018-19 में ₹45,518.14 करोड़ तक केंद्रीय मंत्रालयों का व्यय 83% बढ़ा। 2019-20 में ₹59,369.90 करोड़ का बजट आवंटन।
निवेश: 2023 में नॉर्थईस्ट ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शीर्ष उद्योगपतियों ने सिक्किम सहित पूरे क्षेत्र में निवेश की घोषणा की।
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jp Singh
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