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Exclusive Economic Zone
jp Singh 2025-06-03 17:16:59
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अनन्य आर्थिक क्षेत्र/Exclusive Economic Zone

अनन्य आर्थिक क्षेत्र/Exclusive Economic Zone
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone - EEZ) एक समुद्री क्षेत्र है, जो किसी देश के समुद्र तट से 200 समुद्री मील (लगभग 370 किलोमीटर) तक फैला होता है। यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS, 1982) के तहत परिभाषित है। इस क्षेत्र में संबंधित देश को प्राकृतिक संसाधनों (जैसे मछली, खनिज, और ऊर्जा संसाधन) के अन्वेषण, दोहन, संरक्षण, और प्रबंधन का विशेष अधिकार होता है, साथ ही कुछ आर्थिक गतिविधियों, जैसे मछली पकड़ना, खनन, और समुद्री अनुसंधान, पर नियंत्रण होता है।
भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र
क्षेत्रफल: भारत का EEZ लगभग 23.5 लाख वर्ग किलोमीटर (लगभग 9,06,000 वर्ग मील) है, जो इसके मुख्य भूभाग और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप जैसे द्वीप क्षेत्रों को मिलाकर बनता है।
सीमाएँ: यह भारत के समुद्र तट से 200 समुद्री मील तक फैला है और इसमें बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, और हिंद महासागर के हिस्से शामिल हैं।
संसाधन
मत्स्य पालन: भारत का EEZ मछली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें टूना, झींगा, और अन्य समुद्री प्रजातियाँ शामिल हैं। खनिज संसाधन: समुद्री तल में तेल, प्राकृतिक गैस, और बहुमूल्य खनिज (जैसे मैंगनीज नोड्यूल्स)। नवीकरणीय ऊर्जा: अपतटीय पवन ऊर्जा और लहर ऊर्जा की संभावनाएँ। आर्थिक महत्व: भारत का EEZ देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मछली निर्यात, तेल और गैस उत्पादन, और समुद्री व्यापार के लिए आधार प्रदान करता है।
विशेषताएँ और अधिकार
संसाधन अधिकार: तटीय देश को EEZ में समुद्र की सतह, जल, और समुद्री तल के नीचे के संसाधनों पर संप्रभु अधिकार होते हैं। नौवहन और उड़ान: अन्य देशों के जहाजों और विमानों को EEZ में नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता होती है, लेकिन संसाधन दोहन के लिए तटीय देश की अनुमति आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण: तटीय देश को EEZ में पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण का अधिकार है। वैज्ञानिक अनुसंधान: समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए तटीय देश की सहमति जरूरी है।
भारत में EEZ से संबंधित गतिविधियाँ
मत्स्य पालन: भारत में मछली पकड़ने का बड़ा हिस्सा EEZ से आता है। हालाँकि, अवैध मछली पकड़ने (IUU - Illegal, Unreported, and Unregulated fishing) से चुनौतियाँ हैं। अपतटीय तेल और गैस: ONGC और अन्य कंपनियाँ EEZ में तेल और गैस अन्वेषण करती हैं, जैसे बॉम्बे हाई क्षेत्र। सुरक्षा और निगरानी: भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल EEZ की निगरानी करते हैं ताकि अवैध गतिविधियों (जैसे तस्करी, समुद्री डकैती) को रोका जा सके। अंतरराष्ट्रीय विवाद: भारत का EEZ पड़ोसी देशों (जैसे श्रीलंका, मालदीव, और बांग्लादेश) के साथ सीमा विवादों का विषय रहा है, विशेष रूप से कच्छ की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी में। बांग्लादेश के साथ 2014 में UNCLOS के तहत समुद्री सीमा विवाद का समाधान हुआ।
बीमारू राज्यों से संबंध
आपके पिछले प्रश्न में बीमारू राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) का उल्लेख था। ये राज्य अंतर्देशीय हैं और सीधे तौर पर EEZ से जुड़े नहीं हैं, क्योंकि इनका समुद्र तट नहीं है। हालाँकि, इन राज्यों में मछली निर्यात या समुद्री उत्पादों की आपूर्ति (जैसे मछली, समुद्री खाद्य) से आर्थिक लाभ पहुँचता है। उदाहरण के लिए, बिहार और उत्तर प्रदेश में मछली पकड़ने और मत्स्य पालन के लिए अंतर्देशीय जल संसाधनों का उपयोग होता है, लेकिन EEZ की गतिविधियाँ मुख्य रूप से तटीय राज्यों (जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा) पर केंद्रित हैं।
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