Agricultural Gene Banks in India
jp Singh
2025-06-03 17:10:07
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भारत में कृषि जीन बैंक/Agricultural Gene Banks in India
भारत में कृषि जीन बैंक/Agricultural Gene Banks in India
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भारत में कृषि जीन बैंक: अवलोकन
जीन बैंक एक प्रकार का बायोरिपॉजिटरी है, जो पौधों, विशेष रूप से कृषि फसलों जैसे तिलहन, अनाज, और दालों की आनुवंशिक सामग्री (बीज, ऊतक, डीएनए) को संरक्षित करता है। यह जैव विविधता को संरक्षित करने, जलवायु परिवर्तन, रोगों, और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR), नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत, कृषि जीन बैंक का नोडल संगठन है।
प्रमुख कृषि जीन बैंक
राष्ट्रीय जीन बैंक (NGB), नई दिल्ली: स्थापना: 1996, पूसा परिसर, नई दिल्ली में। क्षमता: लगभग 10 लाख जर्मप्लाज्म (बीज, ऊतक) को संरक्षित करने की। वर्तमान में 4.52 लाख परिग्रहण संरक्षित हैं, जिनमें 2.7 लाख स्वदेशी और शेष आयातित हैं।
सुविधाएँ: बीज जीन बैंक: -18°C पर दीर्घकालिक संरक्षण। क्रायो जीन बैंक: -170°C से -196°C पर डीएनए और ऊतक संरक्षण। इन विट्रो जीन बैंक: 25°C पर ऊतक संवर्धन। फील्ड जीन बैंक: प्राकृतिक परिस्थितियों में पौधों का संरक्षण। प्रमुख फसलें: चावल (~90,000 किस्में), गेहूं (~20,000), तिलहन (~55,000), दालें (~50,000), और सब्जियाँ (~24,000)।
उद्देश्य: पादप आनुवंशिक संसाधनों (PGR) का संरक्षण, अन्वेषण, और वितरण। यह जलवायु-लचीली किस्मों (जैसे गर्मी, सूखा, और लवणीयता सहनशील) के लिए अनुसंधान का समर्थन करता है। नानाजी देशमुख प्लांट फेनोमिक्स सेंटर, ICAR-IARI, नई दिल्ली: विशेषता: विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जीन बैंक, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अत्याधुनिक सुविधा। फोकस: संरचनात्मक जीनोमिक्स (जीनोम अनुक्रमण) और फसल सुधार। चावल, गेहूं, टमाटर, आम, और तिलहन जैसी फसलों के जीनोम अनुक्रमण में योगदान। उदाहरण: Pi54 जीन (चावल में विस्फोट रोग प्रतिरोध) और AHAS (RB) एलील (शाकनाशी-सहनशील बासमती चावल) का विकास।
गेहूँ जीन बैंक, करनाल: स्थान: ICAR-भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल, हरियाणा। विशेषता: गेहूँ और जौ की ~20,000 किस्मों का संरक्षण, जलवायु-लचीली किस्मों पर अनुसंधान। प्रगति: गर्मी, सूखा, और लवणीयता सहनशील गेहूँ और चावल की पहचान। औषधीय और सगंध पौधों का जीन बैंक, लखनऊ: स्थान: केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CIMAP), लखनऊ। विशेषता: औषधीय और सगंध पौधों (जैसे तुलसी, पुदीना) के लिए जीन बैंक (NGBMAP), जिसमें 118 पौधों की 182+ किस्में संरक्षित हैं।
प्रमाणन: इकोसर्ट द्वारा जैविक कृषि के लिए प्रमाणित। अन्य जीन बैंक: राष्ट्रीय पशु जीन बैंक, NBAGR, करनाल: स्वदेशी पशुधन (जैसे गाय, भैंस) की आनुवंशिक सामग्री का संरक्षण। इक्रीसैट, हैदराबाद: तिलहन (मूंगफली, सोयाबीन) और अन्य फसलों के लिए क्षेत्रीय जीन बैंक। स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट, नॉर्वे: भारत के जर्मप्लाज्म की डुप्लिकेट कॉपी संरक्षित। तिलहन और खाद्य तेल के लिए जीन बैंक की भूमिका तिलहन (जैसे सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल) खाद्य तेल उत्पादन का आधार हैं। जीन बैंक इनके संरक्षण और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
संरक्षण: NBPGR में ~55,000 तिलहन परिग्रहण संरक्षित हैं, जिनमें स्वदेशी और आयातित किस्में शामिल हैं।
उन्नत किस्में: जीन बैंक जलवायु-लचीली, उच्च उपज वाली, और रोग-प्रतिरोधी तिलहन किस्मों (जैसे शाकनाशी-सहनशील मूंगफली) के विकास का समर्थन करते हैं।
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (NMEO-Oilseeds)
लक्ष्य: 2030-31 तक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन से 69.7 मिलियन टन और खाद्य तेल उत्पादन को 12.7 मिलियन टन से 20.2 मिलियन टन तक बढ़ाना।
जीन बैंक की भूमिका: NMEO-Oilseeds जीन बैंक से उच्च उपज वाली और जलवायु-लचीली तिलहन किस्में प्राप्त करता है। उदाहरण: जीनोम एडिटिंग और मार्कर-असिस्टेड चयन।
पर्यावरणीय प्रभाव: जैविक खेती और इकोसर्ट-प्रमाणित प्रौद्योगिकियाँ (जैसे CIMAP में) तिलहन उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती हैं।
Conclusion
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jp Singh
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