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Oil-for-Food Agreement
jp Singh 2025-06-03 17:08:06
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खाद्यान के लिए तेल समझोता/Oil-for-Food Agreement

खाद्यान के लिए तेल समझोता/Oil-for-Food Agreement
मुझे लगता है कि आपका प्रश्न
खाद्य तेल समझौता: भारत का संदर्भ
भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक और दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो अपनी खाद्य तेल मांग का 55-60% आयात के माध्यम से पूरा करता है। इस क्षेत्र में कई नीतिगत निर्णय और समझौते शामिल हैं, जैसे दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) और राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन। नीचे इस विषय का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है:
1. खाद्य तेल आयात और नीतियाँ
आयात पर निर्भरता: भारत सालाना 23.5-24 मिलियन टन खाद्य तेल की खपत करता है, जिसमें से 13.5-14 मिलियन टन आयात किया जाता है, और 9.5-10 मिलियन टन घरेलू उत्पादन से आता है।
प्रमुख आयात: पाम तेल (62%): इंडोनेशिया और मलेशिया से। सोयाबीन तेल (22%): अर्जेंटीना और ब्राजील से। सूरजमुखी तेल (15%): यूक्रेन और रूस से।
हाल के नीतिगत बदलाव
मई 2025: भारत सरकार ने कच्चे पाम तेल, सोयाबीन तेल, और सूरजमुखी तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% से घटाकर 10% कर दिया। यह कटौती एक वर्ष के लिए लागू है और इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें कम करना और महंगाई को नियंत्रित करना है। सितंबर 2024: सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों पर ड्यूटी को 5.5% से बढ़ाकर 27.5% और रिफाइंड तेलों पर 13.75% से 35.75% कर दिया था, जिससे कीमतों में 22% की वृद्धि हुई। इसका उद्देश्य घरेलू तिलहन किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करना था। प्रभाव: मई 2025 की ड्यूटी कटौती ने उपभोक्ताओं को राहत दी, लेकिन कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि इसका लाभ मुख्य रूप से घरेलू उत्पादकों को मिला, न कि उपभोक्ताओं को।
SAFTA समझौता और नेपाल
क्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत, नेपाल से खाद्य तेल आयात शुल्क-मुक्त है, जबकि अन्य देशों से आयात पर 27-35% शुल्क लगता है। चिंताएँ: सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने नेपाल के माध्यम से रिफाइंड तेल के आयात पर चिंता जताई, क्योंकि नेपाल सस्ते कच्चे तेल का आयात करता है, मामूली प्रसंस्करण के बाद भारत को शुल्क-मुक्त निर्यात करता है। इससे भारतीय रिफाइनर और तिलहन किसानों को नुकसान हो रहा है। 2024 में जनवरी-मार्च में नेपाल से आयात 60,000 टन से बढ़कर 1.8 लाख टन हो गया। SEA की सिफारिश: SEA ने SAFTA प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
2. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-तिलहन (NMEO-Oilseeds): मंजूरी: अक्टूबर 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹10,103 करोड़ के परिव्यय के साथ 2024-25 से 2030-31 तक के लिए इस मिशन को मंजूरी दी। उद्देश्य: तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन (2030-31) करना। घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 12.7 मिलियन टन से 20.2 मिलियन टन तक बढ़ाना। आयात निर्भरता को 57% से घटाकर 28% करना। प्रमुख फसलें: सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, और तिल। रणनीतियाँ: प्रति हेक्टेयर उपज को 1,353 किग्रा से 2,112 किग्रा तक बढ़ाना। द्वितीयक स्रोतों (जैसे चावल की भूसी, कपास के बीज) से तेल उत्पादन।
65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयाँ स्थापित करना। जीनोम एडिटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (NMEO-OP): उद्देश्य: पाम तेल उत्पादन बढ़ाना, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और अंडमान-निकोबार में। लक्ष्य: पाम तेल की उच्च उपज (20-25 टन ताजा फल प्रति हेक्टेयर) का लाभ उठाना, जो पारंपरिक तिलहनों से 5 गुना अधिक है। प्रगति: 2023-24 में तिलहन उत्पादन 39.7 मिलियन टन था, जो FY23 में 41.4 मिलियन टन से कम है
3. ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव
संदर्भ: यूक्रेन-रूस संघर्ष (2022) ने सूरजमुखी तेल की आपूर्ति को बाधित किया, जिससे वैश्विक कीमतें 251.8 अंक (FAO वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक, मार्च 2022) तक बढ़ गईं। समझौता: संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव ने यूक्रेनी बंदरगाहों से सूरजमुखी तेल और अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात को सुगम बनाया, जिससे कीमतें युद्ध-पूर्व स्तरों से नीचे आईं। भारत पर प्रभाव: सूरजमुखी तेल का आयात (लागत ~$950/टन) भारत में खाद्य तेल की लागत को कम करता है।
4. आपके पिछले प्रश्नों से संबंध
गंगा कार्ययोजना और राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT): खाद्य तेल उत्पादन (जैसे तिलहन खेती) और रिफाइनिंग प्रक्रियाएँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। GAP और नमामि गंगे जल प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं, जो तेल रिफाइनिंग से उत्पन्न अपशिष्ट से संबंधित है। NGT टैनरियों जैसे औद्योगिक प्रदूषण पर कार्रवाई करता है, और तेल रिफाइनरियों पर भी सख्ती कर सकता है। प्रदूषण नियंत्रण: खाद्य तेल रिफाइनिंग और तिलहन खेती से अपशिष्ट और उत्सर्जन (जैसे PM2.5) बढ़ता है। भारत का प्रदूषण नियंत्रण रैंक (IQAir 2024 में 5वाँ) और NCAP की कमियाँ (61% फंड उपयोग) खाद्य तेल उद्योग के पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करने में चुनौतियों को दर्शाती हैं।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक (GCI/WCI)
खाद्य तेल आयात पर निर्भरता और SAFTA दुरुपयोग GCI/WCI के व्यापार दक्षता और बाजार खुलापन कारकों को प्रभावित करते हैं। NMEO-Oilseeds भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाकर WCI रैंक (39वाँ) में सुधार कर सकता है। आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (EFI/EFW): आयात शुल्क में बदलाव (10% तक कमी, 27-35% तक वृद्धि) EFI के नियामक दक्षता और सरकारी अखंडता (40.8 स्कोर) को प्रभावित करते हैं। SAFTA दुरुपयोग से राजस्व हानि EFI के वित्तीय स्वास्थ्य को कमजोर करती है।
हरित लेखांकन
तिलहन खेती और रिफाइनिंग की पर्यावरणीय लागत (जैसे जल और वायु प्रदूषण) को हरित लेखांकन में मापा जा सकता है। NMEO-Oilseeds में द्वितीयक स्रोतों (जैसे चावल की भूसी) का उपयोग पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: खाद्य तेलों में मिलावट (जैसे सरसों तेल में राइस ब्रान तेल) उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। X पर दावे हैं कि 80% मिलावट की अनुमति दी गई, जो FSSAI की निष्क्रियता को उजागर करता है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS): TPDS और खाद्य तेल नीतियाँ खाद्य सुरक्षा से जुड़ी हैं। ड्यूटी कटौती (मई 2025) उपभोक्ताओं को सस्ता तेल प्रदान करती है, जो TPDS की सब्सिडी नीतियों से मेल खाती है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और हॉलमार्किंग
BIS खाद्य तेलों के लिए गुणवत्ता मानक (जैसे IS 10500) निर्धारित करता है, जो उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाता है, जैसा कि हॉलमार्किंग में देखा गया। सत्यम कम्प्यूटर्स और हवाला काण्ड: SAFTA दुरुपयोग और मिलावट की शिकायतें पारदर्शिता की कमी को दर्शाती हैं, जो सत्यम और हवाला घोटालों से मिलती-जुलती हैं। डिजिटलीकरण (जैसे SATHI पोर्टल) इसे संबोधित कर सकता है। राजकोषीय कर्षण: NMEO-Oilseeds में ₹10,103 करोड़ का निवेश और ड्यूटी कटौती राजकोषीय कर्षण को दर्शाते हैं, लेकिन SAFTA दुरुपयोग से राजस्व हानि इस कर्षण को कमजोर करती है।
5.सुधार के सुझाव
आत्मनिर्भरता: NMEO-Oilseeds और NMEO-Oil Palm को मजबूत करना।
SAFTA सुधार: नेपाल से आयात पर मूल्यवर्धन नियमों को सख्त करना।
गुणवत्ता नियंत्रण: FSSAI और BIS के माध्यम से मिलावट पर सख्त कार्रवाई।
पर्यावरणीय उपाय: रिफाइनिंग में जैव-उपचार और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
जागरूकता: SATHI पोर्टल और BIS केयर ऐप जैसे डिजिटल उपकरणों का विस्तार।
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