Recent Blogs

India's rank in pollution control
jp Singh 2025-06-03 16:47:34
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

प्रदूषण नियंत्रण में भारत का स्थान/India's rank in pollution control

प्रदूषण नियंत्रण में भारत का स्थान/India's rank in pollution control
प्रदूषण नियंत्रण में भारत का स्थान विभिन्न वैश्विक सूचकांकों और रिपोर्टों के आधार पर मापा जाता है, विशेष रूप से वायु प्रदूषण के संदर्भ में, क्योंकि यह भारत में एक प्रमुख पर्यावरणीय चुनौती है। हाल के आंकड़ों और आपके पिछले प्रश्नों (जैसे गंगा कार्ययोजना, वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक, और आर्थिक स्वतंत्रता) को ध्यान में रखते हुए, मैं भारत की स्थिति को IQAir वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024, पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI), और अन्य प्रासंगिक स्रोतों के आधार पर समझाऊँगा। मैं यह भी विश्लेषण करूँगा कि यह आपके पिछले प्रश्नों से कैसे संबंधित है।
भारत का स्थान (वायु प्रदूषण के संदर्भ में)
IQAir वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024: रैंक: भारत 2024 में पाँचवाँ सबसे प्रदूषित देश रहा, जो 2023 में तीसरे स्थान से सुधार है। PM2.5 स्तर: भारत का औसत वार्षिक PM2.5 (फाइन पार्टिकुलेट मैटर) स्तर 50.6 µg/m³ था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देश (5 µg/m³) से 10 गुना अधिक और भारत के राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS, 40 µg/m³) से 26% अधिक है। शहरों की स्थिति: बर्नीहाट (मेघालय): 128.2 µg/m³ के साथ विश्व का सबसे प्रदूषित शहर। दिल्ली: 91.6 µg/m³ के साथ विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी, लगातार छठे वर्ष। विश्व के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 6 और 20 में 13 भारतीय शहर हैं।
प्रगति: 2024 में PM2.5 स्तर 2023 (54.4 µg/m³) की तुलना में 7% कम हुआ, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं। प्रमुख प्रदूषक स्रोत: औद्योगिक उत्सर्जन (51%), वाहन उत्सर्जन (27%), फसल अवशेष जलाना (17%), और घरेलू खाना पकाने (5%)। स्वास्थ्य प्रभाव: वायु प्रदूषण से भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 5.2 वर्ष कम हो रही है। दिल्ली में यह 11.9 वर्ष तक है। पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) 2022: रैंक: भारत 180 देशों में 180वें स्थान पर था, जो इसे पर्यावरणीय प्रदर्शन में सबसे निचले स्थान पर रखता है। कारक: वायु गुणवत्ता, जल प्रबंधन, और जैव विविधता संरक्षण में कमजोर प्रदर्शन। भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से भी पीछे रहा।
आलोचना: कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि भारत का प्रदर्शन पश्चिमी देशों के साथ-साथ पड़ोसियों से भी कमजोर है। अन्य संदर्भ: विश्व बैंक और अन्य रिपोर्ट्स: भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक है (चीन और अमेरिका के बाद), जो 7% वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है,尽管其人口占世界17%。 लैनसेट रिपोर्ट (2024): भारत में 2021 में वायु प्रदूषण के कारण 16 लाख मौतें हुईं, जिनमें से 38% जीवाश्म ईंधन (कोयला, तरल गैस) से संबंधित थीं।
प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास
प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP): लॉन्च: 2019 में शुरू, 102 गैर-अनुपालन शहरों (non-attainment cities) में 2024 तक PM2.5 और PM10 स्तरों को 20-30% कम करने का लक्ष्य, जिसे 2022 में संशोधित कर 131 शहरों के लिए 40% कमी का लक्ष्य 2025-26 तक रखा गया। प्रगति: ₹11,541 करोड़ आवंटित, जिसमें से ₹960 करोड़ 16 अत्यधिक प्रदूषित शहरों को दिए गए, लेकिन केवल 61% (₹587 करोड़) खर्च हुआ। कमियाँ: दिल्ली ने केवल 32% और बर्नीहाट ने 54% बजट खर्च किया। NCAP का फोकस सड़क धूल पर अधिक है, जबकि PM2.5 के मुख्य स्रोत (औद्योगिक, वाहन, और बायोमास उत्सर्जन) पर कम ध्यान दिया गया।
75% पर्यावरण संरक्षण शुल्क (EPC) और पर्यावरणीय मुआवजा (EC) फंड अप्रयुक्त रहे। अन्य पहल: भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BS-VI): वाहन उत्सर्जन को कम करने के लिए लागू। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP): दिल्ली में गंभीर AQI स्तरों पर आपातकालीन उपाय, जैसे निर्माण रोकना और ऑड-ईवन नियम। अरावली ग्रीन वॉल: 1,600 किमी लंबा और 5 किमी चौड़ा हरित गलियारा, जिसमें 135 करोड़ देशी पेड़ लगाने की योजना। वायु गुणवत्ता निगरानी: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) 308 स्टेशनों पर SO2, NOx, PM10, और SPM की निगरानी करता है।
नवीकरणीय ऊर्जा: भारत की नेट-जीरो 2070 प्रतिबद्धता और सौर/पवन ऊर्जा में निवेश। न्यायिक हस्तक्षेप: सुप्रीम कोर्ट (2024): स्वच्छ हवा को मौलिक अधिकार घोषित किया और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान की सरकारों को फसल अवशेष जलाने पर नियंत्रण के लिए जवाबदेह ठहराया। राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT): औद्योगिक उत्सर्जन और गंगा प्रदूषण पर कार्रवाई, लेकिन स्वतंत्रता पर सवाल उठे।
आपके पिछले प्रश्नों से संबंध
गंगा कार्ययोजना
गंगा कार्ययोजना (GAP) और नमामि गंगे जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए हैं, जो भारत के समग्र प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों का हिस्सा हैं। गंगा में औद्योगिक अपशिष्ट (जैसे कानपुर में टैनरियों से क्रोमियम) और सीवेज (44% उपचार) वायु प्रदूषण को भी बढ़ाते हैं, क्योंकि अपशिष्ट जलाने से PM2.5 बढ़ता है।
नमामि गंगे का ₹22,500 करोड़ का निवेश और जैव-उपचार जैसे उपाय EPI में जल प्रबंधन स्कोर को बेहतर कर सकते हैं।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक (GCI/WCI): खराब वायु गुणवत्ता GCI के स्वास्थ्य स्तंभ (भारत 101वाँ) को प्रभावित करती है, क्योंकि यह जीवन प्रत्याशा को 5.2 वर्ष कम करती है। WCI में भारत की प्रगति (39वाँ स्थान) नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल इंडिया जैसी नीतियों से जुड़ी है, जो प्रदूषण नियंत्रण में योगदान देती हैं। आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (EFI/EFW): प्रदूषण नियंत्रण में कमजोर नीति कार्यान्वयन EFI के सरकारी अखंडता (40.8) और नियामक दक्षता को प्रभावित करता है। EFW में भारत का 84वाँ स्थान नियमन (116वाँ) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वतंत्रता (114वाँ) में कमजोरी को दर्शाता है, जो प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने में बाधा डालता है।
हरित लेखांकन
हरित लेखांकन वायु और जल प्रदूषण की पर्यावरणीय लागतों को मापता है। उदाहरण: वायु प्रदूषण से भारत का आर्थिक नुकसान 1.36% जीडीपी (USD 36.8 बिलियन) है। राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT): NGT प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे गंगा में औद्योगिक अपशिष्ट और दिल्ली में वायु प्रदूषण पर कार्रवाई। हालांकि, इसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठे हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: वायु और जल प्रदूषण उपभोक्ता स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं (जैसे PM2.5 से हृदय रोग), जो उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा है। BIS के वायु गुणवत्ता मानक (IS 10500) प्रदूषण नियंत्रण को समर्थन देते हैं। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS): TPDS में डिजिटलीकरण (आधार) और रिसाव में कमी (28%) प्रदूषण नियंत्रण में डेटा प्रबंधन और जवाबदेही को बेहतर करने के लिए सबक प्रदान करते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और हॉलमार्किंग: BIS के इकोमार्क और वायु गुणवत्ता मानक प्रदूषण नियंत्रण में योगदान देते हैं, जैसे पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देना। सत्यम कम्प्यूटर्स और हवाला काण्ड: ये घोटाले पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाते हैं, जो NCAP में अप्रयुक्त फंड (75%) और कमजोर नीति कार्यान्वयन में भी दिखती है। राजकोषीय कर्षण: NCAP और नमामि गंगे में भारी निवेश (₹11,541 करोड़ और ₹22,500 करोड़) राजकोषीय कर्षण को दर्शाता है, लेकिन अपर्याप्त खर्च (61% और 32% दिल्ली में) और सीमित परिणाम (44% सीवेज उपचार) चुनौतियों को उजागर करते हैं।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer

JP GROUP

Head Office :- A/21 karol bag New Dellhi India 110011
Branch Office :- 1488, adrash nagar, hapur, Uttar Pradesh, India 245101
Contact With Our Seller & Buyer