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Global Competitiveness Index
jp Singh 2025-06-03 16:39:30
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वैश्विक पर्तिस्पर्धा सूचकांक/Global Competitiveness Index

वैश्विक पर्तिस्पर्धा सूचकांक/Global Competitiveness Index
वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक (Global Competitiveness Index - GCI) एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum - WEF) द्वारा प्रकाशित की जाती थी। यह सूचकांक विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता का आकलन करता है, जो उनकी उत्पादकता, समृद्धि, और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, 2020 के बाद WEF ने GCI को अपने पारंपरिक स्वरूप में प्रकाशित करना बंद कर दिया और इसके बजाय विशेष संस्करण और अन्य विश्लेषणों पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अलावा, प्रबंधन विकास संस्थान (IMD) द्वारा प्रकाशित विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (World Competitiveness Index - WCI) भी एक समानांतर सूचकांक है, जिसे अक्सर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में उद्धृत किया जाता है।
चूंकि आपने गंगा कार्ययोजना, हरित लेखांकन, राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT), और अन्य उपभोक्ता/पर्यावरण से संबंधित प्रश्न पूछे हैं, मैं GCI/WCI को इन संदर्भों से जोड़ते हुए भारत के प्रदर्शन और हाल के अपडेट्स पर ध्यान दूँगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक (GCI) का अवलोकन
रकाशक: विश्व आर्थिक मंच (WEF)। उद्देश्य: देशों की प्रतिस्पर्धात्मकता को मापना, जो उनकी उत्पादकता और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की क्षमता पर आधारित है। मानदंड: GCI 12 स्तंभों (pillars) पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं
संस्थाएँ (Institutions)
बुनियादी ढांचा (Infrastructure)
मैक्रोइकॉनमिक स्थिरता
स्वास्थ्य
श्रम बाजार
उत्पाद बाजार
श्रम बाजार
वित्तीय प्रणाली
बाजार का आकार
व्यापार गतिशीलता
नवाचार क्षमता
मूल्यांकन: 140 देशों की अर्थव्यवस्थाओं को 0-100 के स्कोर पर रैंक किया जाता था, जहाँ 100 सर्वश्रेष्ठ है। विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (WCI) का अवलोकन: प्रकाशक: प्रबंधन विकास संस्थान (IMD), स्विट्जरलैंड। उद्देश्य: देशों की समृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता को चार कारकों के आधार पर मापना
आर्थिक प्रदर्शन (Economic Performance)
सरकारी दक्षता (Government Efficiency)
व्यापार दक्षता (Business Efficiency)
बुनियादी ढांचा (Infrastructure)
कवरेज: 2024 में 67 देशों को शामिल किया गया।
प्रकाशन: 1989 से शुरू, वार्षिक वर्ल्ड कॉम्पिटिटिवनेस ईयरबुक (WCY) के रूप में। भारत का प्रदर्शन
GCI में भारत
019: भारत GCI में 68वें स्थान पर था (141 देशों में), जो 2018 के 58वें स्थान से 10 स्थान नीचे था। मजबूत क्षेत्र: बाजार का आकार (3रा स्थान): भारत की विशाल आबादी और उपभोक्ता आधार। नवाचार (35वाँ स्थान): स्टार्टअप्स और तकनीकी प्रगति। कमजोर क्षेत्र: स्वास्थ्य (101वाँ स्थान): कुपोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच। बुनियादी ढांचा (70वाँ स्थान): परिवहन और बिजली आपूर्ति में कमी। श्रम बाजार (103वाँ स्थान): लैंगिक असमानता और अनौपचारिक रोजगार। 2020 के बाद: WEF ने GCI को बंद कर दिया और विशेष संस्करण (जैसे COVID-19 प्रभाव विश्लेषण) पर ध्यान दिया।
WCI में भारत
2024: भारत ने 39वाँ स्थान हासिल किया (67 देशों में), जो 2023 के 40वें स्थान से एक स्थान ऊपर है।
2023: भारत 43वें से 40वें स्थान पर पहुँचा, जो एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि थी।
2022: भारत 37वें स्थान पर था, जो 2021 के 43वें स्थान से सुधार था।
मजबूत क्षेत्र
आर्थिक प्रदर्शन: मजबूत जीडीपी वृद्धि और निवेश आकर्षण। लागत प्रतिस्पर्धा: कुशल कार्यबल और कम लागत। गतिशील अर्थव्यवस्था: डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इकोसिस्टम। कमजोर क्षेत्र: बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त परिवहन और ऊर्जा ढांचा। व्यापार दक्षता: नौकरशाही और नियामक बाधाएँ। ऊर्जा सुरक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति के बावजूद
लागत प्रतिस्पर्धा: कुशल कार्यबल और कम लागत। गतिशील अर्थव्यवस्था: डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इकोसिस्टम।
कमजोर क्षेत्र: बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त परिवहन और ऊर्जा ढांचा। व्यापार दक्षता: नौकरशाही और नियामक बाधाएँ। ऊर्जा सुरक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति के बावजूद
हरित लेखांकन
हरित लेखांकन पर्यावरणीय लागतों को मापता है, जो GCI/WCI के बुनियादी ढांचा और नवाचार स्तंभों से जुड़ा है। GAP और इकोमार्क जैसे उपाय पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हैं, जो भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में योगदान देता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
उपभोक्ता विश्वास (जैसे हॉलमार्किंग और इकोमार्क के माध्यम से) आर्थिक गतिशीलता और व्यापार दक्षता को बढ़ाता है, जो WCI में भारत की रैंकिंग को बेहतर करता है।
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS)
TPDS खाद्य सुरक्षा और कुपोषण को संबोधित करता है, जो GCI के स्वास्थ्य स्तंभ (जहाँ भारत 101वें स्थान पर था) को प्रभावित करता है। TPDS में रिसाव में कमी (28% तक) राजकोषीय दक्षता को दर्शाता है, जो WCI के सरकारी दक्षता कारक से जुड़ा है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और हॉलमार्किंग: BIS की हॉलमार्किंग और इकोमार्क योजनाएँ उपभोक्ता विश्वास और व्यापार दक्षता को बढ़ाती हैं, जो WCI के लिए सकारात्मक है। उदाहरण: 4.5 लाख हॉलमार्क्ड आभूषण और 3,000 हॉलमार्किंग केंद्र भारत की आर्थिक पारदर्शिता को दर्शाते हैं। सत्यम कम्प्यूटर्स और हवाला काण्ड: सत्यम और हवाला घोटाले पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाते हैं, जो GCI के संस्थाएँ स्तंभ को कमजोर करते हैं। BIS और TPDS में डिजिटलीकरण (जैसे HUID, आधार) इन कमियों को दूर करने का प्रयास है, जो प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।
राजकोषीय कर्षण: राजकोषीय कर्षण (जैसे TPDS में 7,52,847 मीट्रिक टन अनाज की बचत) सरकारी दक्षता को दर्शाता है, जो WCI का एक प्रमुख कारक है। GAP और नमामि गंगे में राजकोषीय निवेश (₹22,500 करोड़) भी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करता है, लेकिन सीमित सफलता (44% सीवेज उपचार) चुनौतियों को उजागर करती है।
हाल के अपडेट (2024-2025): WCI 2024: भारत 39वें स्थान पर, सिंगापुर ने पहला स्थान हासिल किया। भारत की प्रगति का कारण मजबूत आर्थिक प्रदर्शन और डिजिटल इंडिया जैसी नीतियाँ हैं। चुनौतियाँ: बुनियादी ढांचा, ऊर्जा सुरक्षा, और कौशल विकास में सुधार की आवश्यकता। नवाचार: भारत का वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) में 2023 में 40वाँ स्थान (WIPO), जो WCI के नवाचार कारक से मेल खाता है।
पर्यावरणीय प्रगति: नमामि गंगे और नेट-जीरो प्रतिबद्धता ने भारत की पर्यावरणीय रैंकिंग में सुधार किया, जो WCI के बुनियादी ढांचा कारक को प्रभावित करता है। चुनौतियाँ: बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त परिवहन, बिजली, और जल प्रबंधन (जैसे गंगा में 44% सीवेज उपचार)। कौशल और रोजगार: उच्च बेरोजगारी और कौशल अंतर। संस्थागत सुधार: नौकरशाही और भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ। स्वास्थ्य और शिक्षा: कुपोषण और शिक्षा तक पहुँच में कमी।
सुधार के सुझाव
डिजिटलीकरण: डिजिटल इंडिया और आधार जैसे उपायों का विस्तार। पर्यावरणीय निवेश: नमामि गंगे और इकोमार्क जैसे कार्यक्रमों को मजबूत करना। कौशल विकास: GCI के कौशल स्तंभ को बेहतर करने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण। बुनियादी ढांचा: परिवहन, ऊर्जा, और जल उपचार में निवेश।
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