Targeted Public Distribution System
jp Singh
2025-06-03 16:21:34
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लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली /Targeted Public Distribution System
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली /Targeted Public Distribution System
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System - TPDS) भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण सरकारी योजना है, जिसे जून 1997 में शुरू किया गया था। यह प्रणाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का उन्नत संस्करण है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और अति गरीब परिवारों को सस्ती कीमतों पर खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यक वस्तुएँ प्रदान करना है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत संचालित होती है और केंद्र व राज्य सरकारों के संयुक्त दायित्व के तहत कार्य करती है।
TPDS का उद्देश्य
गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर खाद्य पदार्थ (चावल, गेहूँ, मोटे अनाज, चीनी, मिट्टी का तेल आदि) उपलब्ध कराना। खाद्य मूल्य वृद्धि से गरीबों को बचाना और न्यूनतम पोषण स्तर सुनिश्चित करना। खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना और भुखमरी को कम करना। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाद्य आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
TPDS की विशेषताएँ
लक्षित दृष्टिकोण: TPDS ने PDS के सार्वभौमिक दृष्टिकोण को बदलकर गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और गरीबी रेखा से ऊपर (APL) परिवारों को वर्गीकृत किया। अंत्योदय अन्न योजना (AAY): दिसंबर 2000 में शुरू, यह TPDS का हिस्सा है जो सबसे गरीब परिवारों (जैसे विधवाएँ, वृद्ध, विकलांग) को 35 किलो खाद्य अनाज प्रति माह अत्यधिक रियायती दरों पर (चावल: 3 रुपये/किलो, गेहूँ: 2 रुपये/किलो) प्रदान करता है। प्राथमिकता वाले परिवार (PHH): राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो अनाज प्रति माह रियायती दरों पर मिलता है। केंद्र और राज्य की भूमिका: केंद्र सरकार: खाद्य अनाज की खरीद, भंडारण, और परिवहन का दायित्व, जो भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से होता है।
राज्य सरकारें: पात्र लाभार्थियों की पहचान, राशन कार्ड जारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (FPS) की निगरानी, और वितरण की जिम्मेदारी। राशन कार्ड: लाभार्थियों को BPL, APL, AAY, और PHH श्रेणियों में राशन कार्ड जारी किए जाते हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: NFSA ने TPDS को और मजबूत किया, जिसमें 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को कवर करने का लक्ष्य रखा गया। लाभ: 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह (PHH) और 35 किलो प्रति परिवार (AAY)। मूल्य: चावल (3 रुपये/किलो), गेहूँ (2 रुपये/किलो), मोटे अनाज (1 रुपये/किलो)। कवरेज: 2020 तक, NFSA के तहत लगभग 80.6 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
डिजिटलीकरण और सुधार: आधार एकीकरण: 99.99% राशन कार्ड आधार से जुड़े हैं (दिसंबर 2023 तक, महाराष्ट्र में)। पॉइंट ऑफ सेल (PoS) मशीनें: उचित मूल्य की दुकानों पर बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए PoS मशीनें स्थापित की गई हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है। एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ONORC): 2020 में शुरू, यह लाभार्थियों को देश भर में किसी भी FPS से राशन लेने की सुविधा देता है। अन्न मित्र ऐप: PDS को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए डीलरों, अधिकारियों, और निरीक्षकों को जोड़ता है। ई-केवाईसी और डिजिटलीकरण: 5.8 करोड़ फर्जी राशन कार्ड हटाए गए, जिससे रिसाव कम हुआ।
हाल के अपडेट (2024-2025)
डिजिटल क्रांति: PDS में आधार और eKYC के माध्यम से 80.6 करोड़ लाभार्थियों को लक्षित वितरण सुनिश्चित किया गया। रिसाव में कमी: 2004-05 में 58% रिसाव से 2012 में 43% और 2024 में 28% तक कमी आई। हालांकि, अभी भी 20 मिलियन टन अनाज (69,000 करोड़ रुपये) का रिसाव होता है। कोविड-19 राहत: 2020 में, NFSA लाभार्थियों को अतिरिक्त 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल मुफ्त दी गई। पोषण पर जोर: बिल गेट्स ने 2024 में PDS के माध्यम से जैव-संवर्धित (bio-fortified) खाद्य पदार्थ वितरण की सिफारिश की, जिससे हर 1 रुपये के निवेश पर 9 रुपये का आर्थिक लाभ हो सकता है। महाराष्ट्र में प्रगति: 53,028 FPS पर PoS मशीनें स्थापित, और 2019-20 में 7,52,847 मीट्रिक टन अनाज की बचत हुई।
आपके पिछले प्रश्नों से संबंध
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: TPDS उपभोक्ता संरक्षण से सीधे जुड़ा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि गरीब उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ मिलें। यदि FPS पर अनाज की गुणवत्ता खराब हो या वितरण में अनियमितता हो, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है। उदाहरण: भ्रामक वितरण या कम मात्रा में अनाज देने की शिकायतों को CCPA संबोधित कर सकता है। सत्यम कम्प्यूटर्स और हवाला काण्ड: सत्यम और हवाला घोटाले वित्तीय हेराफेरी से संबंधित थे, जबकि TPDS खाद्य वितरण पर केंद्रित है। हालांकि, TPDS में रिसाव और भ्रष्टाचार (जैसे फर्जी राशन कार्ड) को रोकने के लिए डिजिटलीकरण और आधार एकीकरण जैसे उपाय सत्यम और हवाला जैसे घोटालों से सबक लेते हैं, जो पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हैं।
हरित लेखांकन
TPDS का पर्यावरणीय प्रभाव हरित लेखांकन से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि अनाज की बर्बादी (28% रिसाव) और परिवहन में ऊर्जा खपत पर्यावरणीय लागतें हैं। जैव-संवर्धित खाद्य पदार्थों का वितरण पर्यावरणीय स्थिरता और पोषण को बढ़ावा देता है, जो हरित लेखांकन के सिद्धांतों से मेल खाता है। राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT): TPDS का NGT से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन यदि खाद्य वितरण या भंडारण से पर्यावरणीय नुकसान (जैसे गोदामों में अनाज सड़ना या परिवहन से प्रदूषण) होता है, तो NGT कार्रवाई कर सकता है।
Conclusion
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