Consumer Protection Act
jp Singh
2025-06-03 16:19:27
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम/Consumer Protection Act
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम/Consumer Protection Act
आपने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बारे में पूछा है, और चूंकि आपने पहले सत्यम कम्प्यूटर्स घोटाला, हवाला काण्ड, हरित लेखांकन, और राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण जैसे विषयों पर सवाल उठाए हैं, मैं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को भारत के संदर्भ में विस्तार से समझाऊँगा, विशेष रूप से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जो वर्तमान में लागू है। मैं यह भी सुनिश्चित करूँगा कि जानकारी आपके पिछले प्रश्नों के संदर्भ में प्रासंगिक हो, और यदि आप किसी विशिष्ट पहलू (जैसे इसका घोटालों या पर्यावरणीय मुद्दों से संबंध) के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया स्पष्ट करें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम: अवलोकन
भारत में उपभोक्ता संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को लागू किया गया था, जिसे बाद में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। नया अधिनियम 20 जुलाई, 2020 से प्रभावी हुआ और यह डिजिटल युग, ई-कॉमर्स, और आधुनिक व्यापार प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए अधिक व्यापक और सशक्त है।
उद्देश्य
उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना, जैसे सुरक्षित उत्पाद, सूचना का अधिकार, और निष्पक्ष सुनवाई। अनुचित व्यापार प्रथाओं, भ्रामक विज्ञापनों, और दोषपूर्ण वस्तुओं/सेवाओं के खिलाफ कार्रवाई करना। उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित और प्रभावी निपटारा सुनिश्चित करना। ई-कॉमर्स और डिजिटल लेनदेन से संबंधित उभरते मुद्दों को संबोधित करना।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की मुख्य विशेषताएँ
उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा: अधिनियम में छह उपभोक्ता अधिकार परिभाषित किए गए हैं:
सुरक्षित उत्पादों और सेवाओं का अधिकार।
उत्पादों/सेवाओं के बारे में सूचना का अधिकार।
विकल्प चुनने का अधिकार।
शिकायत दर्ज करने और सुनवाई का अधिकार।
अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ संरक्षण।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)
एक नया नियामक निकाय, CCPA, स्थापित किया गया, जो उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापनों, और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर कार्रवाई करता है।
यह उत्पादों को वापस बुलाने, जुर्माना लगाने, और विज्ञापनदाताओं/कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
जिला, राज्य, और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता आयोग स्थापित किए गए। जिला आयोग: 1 करोड़ रुपये तक के दावों को संभालता है। राज्य आयोग: 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक के दावों को। राष्ट्रीय आयोग: 10 करोड़ रुपये से अधिक के दावों को। शिकायतें ऑनलाइन दर्ज की जा सकती हैं, और मध्यस्थता को प्रोत्साहित किया जाता है। ई-कॉमर्स नियम: ई-कॉमर्स कंपनियों को पारदर्शी रिटर्न, रिफंड, और शिकायत निवारण नीतियाँ प्रदान करना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं को उत्पादों की उत्पत्ति, विक्रेता की जानकारी, और मूल्य विवरण प्रदान करना। उत्पाद दायित्व: यदि कोई उत्पाद दोषपूर्ण है या उपभोक्ता को नुकसान पहुँचाता है, तो निर्माता, विक्रेता, या सेवा प्रदाता जिम्मेदार हैं।
उपभोक्ता मुआवजे की मांग कर सकता है।
भ्रामक विज्ञापन और सेलिब्रिटी समर्थन: भ्रामक विज्ञापनों के लिए दंड (10 लाख रुपये तक का जुर्माना और 2 साल तक की जेल)। सेलिब्रिटी और प्रभावशाली व्यक्तियों को समर्थन से पहले उत्पाद की प्रामाणिकता की जाँच करने की जिम्मेदारी। दंड: अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए 7 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना। गलत जानकारी देने पर 3 साल तक की जेल और 50,000 रुपये तक का जुर्माना।
आपके पिछले प्रश्नों से संबंध
सत्यम कम्प्यूटर्स घोटाला: सत्यम घोटाला (2009) एक वित्तीय हेराफेरी था जिसमें निवेशकों और शेयरधारकों को धोखा दिया गया। यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उस समय लागू होता, तो सत्यम के ग्राहकों (जैसे निवेशक या सेवा उपयोगकर्ता) भ्रामक वित्तीय जानकारी के आधार पर शिकायत दर्ज कर सकते थे। हालांकि, सत्यम घोटाला मुख्य रूप से कॉर्पोरेट गवर्नेंस और सेबी नियमों से संबंधित था, न कि उपभोक्ता संरक्षण से। फिर भी, अधिनियम की पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकताएँ ऐसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद कर सकती हैं।
हवाला काण्ड
जैन हवाला काण्ड (1991) एक वित्तीय और राजनीतिक घोटाला था, जिसमें हवाला के माध्यम से अवैध धन हस्तांतरण शामिल था। यह उपभोक्ता संरक्षण से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा, क्योंकि यह मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से संबंधित था। हालांकि, यदि हवाला लेन-देन उपभोक्ता सेवाओं (जैसे फर्जी निवेश योजनाओं) से जुड़े होते, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती थी।
हरित लेखांकन
हरित लेखांकन पर्यावरणीय लागतों और संसाधनों के मूल्यांकन पर केंद्रित है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उपभोक्ताओं को उन उत्पादों के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं या भ्रामक
भारत में कार्यान्वयन
उपभोक्ता शिकायतें: उपभोक्ता E-DAAKHIL पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 2023 तक, 1.5 लाख से अधिक शिकायतें इस पोर्टल पर दर्ज की गईं। प्रमुख मामले: अमेज़न और फ्लिपकार्ट (2020): CCPA ने अनुचित व्यापार प्रथाओं और अपारदर्शी रिटर्न नीतियों के लिए इन ई-कॉमर्स दिग्गजों की जाँच शुरू की। भ्रामक विज्ञापन: 2022 में, कई FMCG कंपनियों पर भ्रामक स्वास्थ्य दावों के लिए जुर्माना लगाया गया। उपभोक्ता जागरूकता: सरकार ने जागो उपभोक्ता जागो अभियान के तहत जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
Conclusion
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