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Hawala Scandal
jp Singh 2025-06-03 15:53:30
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हवाला काण्ड/Hawala Scandal

हवाला काण्ड/Hawala Scandal
आपने सत्यम कम्प्यूटर्स के वित्तीय घोटाले के बाद हवाला काण्ड के बारे में पूछा है। भारत में
जैन हवाला काण्ड (1991): एक अवलोकन
पृष्ठभूमि: क्या था हवाला काण्ड?: यह एक वित्तीय और राजनीतिक घोटाला था जिसमें हवाला (एक अनौपचारिक धन हस्तांतरण प्रणाली) के माध्यम से काले धन का लेन-देन किया गया। इसमें जैन बंधुओं (सुरेंद्र कुमार जैन और उनके परिवार) के नेतृत्व में चार हवाला ब्रोकर शामिल थे, जिन्होंने कथित तौर पर राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत के रूप में भुगतान किया। खुलासा: घोटाला मार्च 1991 में तब सामने आया जब कश्मीर में दो आतंकवादियों, शहबुद्दीन घौरी और अशफाक हुसैन लोन (हिजबुल मुजाहिदीन के कथित सदस्य), की गिरफ्तारी के बाद हवाला ब्रोकरों पर छापेमारी की गई। इस छापेमारी में जैन डायरी नामक दस्तावेज़ मिले, जिनमें बड़े पैमाने पर भुगतान के रिकॉर्ड थे। प्रमुख खुलासा: जैन डायरी में 115 से अधिक शीर्ष राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम थे, जिन्हें कथित तौर पर 50,000 रुपये से लेकर 7.5 करोड़ रुपये तक के भुगतान किए गए थे। इनमें विभिन्न दलों जैसे कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल, और समाजवादी जनता पार्टी के नेता शामिल थे।
प्रमुख तथ्य
जैन डायरी: छापेमारी के दौरान सीबीआई ने सुरेंद्र कुमार जैन के परिसरों से भारतीय और विदेशी मुद्रा, दो डायरियाँ, और दो नोटबुक जब्त कीं। इनमें राजनेताओं और नौकरशाहों को दिए गए भुगतानों का विवरण था, जिन्हें केवल उनके नाम के प्रारंभिक अक्षरों से पहचाना गया।
आरोपित राजनेता: कुछ प्रमुख नामों में शामिल थे:
एल.के. आडवाणी (बीजेपी, 68.5 लाख रुपये)
माधवराव सिंधिया (कांग्रेस, 75 लाख रुपये)
वी.सी. शुक्ला (कांग्रेस, 65.8 लाख रुपये)
बलराम जाखड़ (कांग्रेस, 61 लाख रुपये)
शरद यादव (जनता दल, 5 लाख रुपये)
कमल नाथ (कांग्रेस, 22 लाख रुपये)
देवी लाल (समाजवादी जनता पार्टी, 50 लाख रुपये)
तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव पर भी 3.55 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगा, हालांकि यह बाद में विवादास्पद रहा।
हवाला का उपयोग: इस घोटाले में हवाला का उपयोग काले धन को राजनेताओं और नौकरशाहों तक पहुँचाने के लिए किया गया। हवाला एक ऐसी प्रणाली है जिसमें बिना भौतिक धन हस्तांतरण के, विश्वास और ब्रोकरों के नेटवर्क के आधार पर धन का लेन-देन होता है। यह प्रणाली भारत में अवैध है क्योंकि यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का उल्लंघन करती है।
घोटाले का खुलासा और जांच
पत्रकारों की भूमिका: दिल्ली के दो पत्रकारों, राम बहादुर राय और राजेश जोशी (हindi दैनिक जनसत्ता), ने इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में पत्रकार विनीत नारायण ने 1993 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की, जिसने जांच को गति दी।
सीबीआई की भूमिका: कश्मीरी आतंकवादियों की पूछताछ से हवाला ऑपरेटरों शंभू दयाल शर्मा और मूलचंद शाह के नाम सामने आए, जिन्होंने जैन बंधुओं की ओर इशारा किया। सीबीआई ने जैन बंधुओं के परिसरों पर छापेमारी की, लेकिन शुरुआत में जांच को रोका गया, और जांच में शामिल सीबीआई अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: विनीत नारायण की PIL के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने और जैन बंधुओं को हिरासत में लेने का आदेश दिया। हालांकि, 1997-98 में सुप्रीम कोर्ट ने जैन डायरी को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में अपर्याप्त माना और सभी 115 आरोपितों को बरी कर दिया।
परिणाम: राजनीतिक प्रभाव: सात मंत्रियों का इस्तीफा: कांग्रेस के सात मंत्रियों और बीजेपी अध्यक्ष एल.के. आडवाणी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। आडवाणी ने बाद में कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया। जनता दल: जनता दल के अध्यक्ष एस.आर. बोम्मई ने भी इस्तीफा दिया, और उनकी जगह लालू प्रसाद यादव को नियुक्त किया गया। राज्यसभा में चर्चा: सोमनाथ चटर्जी और उनकी पार्टी ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी की प्रतिष्ठा को धक्का लगा। कानूनी परिणाम: सीबीआई की जांच की विफलता की व्यापक आलोचना हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को सीबीआई पर निगरानी की भूमिका सौंपी। जैन डायरी को साक्ष्य के रूप में अपर्याप्त माना गया, जिसके कारण कोई भी बड़ा राजनेता दोषी नहीं ठहराया गया। सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: इस घोटाले ने भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता को उजागर किया, जिससे जनता का विश्वास कम हुआ।
हवाला प्रणाली की अवैध प्रकृति और इसके दुरुपयोग (जैसे आतंकवाद के वित्तपोषण) पर सवाल उठे। हवाला प्रणाली क्या है? परिभाषा: हवाला एक अनौपचारिक धन हस्तांतरण प्रणाली है, जो विश्वास और हवाला ब्रोकरों (हवालादारों) के नेटवर्क पर आधारित है। इसमें भौतिक रूप से धन का हस्तांतरण नहीं होता, बल्कि हवालादारों के बीच हिसाब-किताब को संतुलित किया जाता है।
कैसे काम करता है?
एक व्यक्ति (उदाहरण: कबीर) एक देश (जैसे कनाडा) में हवालादार (ए) को धन और एक पासवर्ड देता है।
हवालादार (ए) दूसरे देश (जैसे भारत) में अपने समकक्ष हवालादार (बी) को सूचित करता है।
हवालादार (ए) दूसरे देश (जैसे भारत) में अपने समकक्ष हवालादार (बी) को सूचित करता है। प्राप्तकर्ता (जैसे कबीर का परिवार) पासवर्ड देकर हवालादार (बी) से धन प्राप्त करता है।
हवालादार बाद में आपसी लेन-देन, संपत्ति, या अन्य तरीकों से हिसाब चुकता करते हैं।
क्यों उपयोगी?
कम लागत: बैंकिंग शुल्क की तुलना में हवाला सस्ता है। गोपनीयता: कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, जिससे गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए इसका दुरुपयोग होता है। पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों और उन लोगों के लिए जो औपचारिक बैंकिंग तक नहीं पहुँच सकते। कानूनी स्थिति: भारत में हवाला अवैध है क्योंकि यह FEMA के नियमों का उल्लंघन करता है। यह काले धन, मनी लॉन्ड्रिंग, और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए उपयोग होता है।
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