Satyam Computers Scandal
jp Singh
2025-06-03 15:48:07
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सत्यम कम्प्यूटर्स का वित्तीय घोटाला/Satyam Computers Scandal
सत्यम कम्प्यूटर्स का वित्तीय घोटाला/Satyam Computers Scandal
सत्यम कम्प्यूटर्स का वित्तीय घोटाला (Satyam Computers Scandal) भारत के कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है, जिसे
घोटाले का सार
क्या हुआ: रामलिंगा राजू और उनके करीबी सहयोगियों (उनके भाई बी. रामा राजू, पूर्व सीएफओ वडलमणि श्रीनिवास, और अन्य) ने 2003 से 2008 तक कंपनी के वित्तीय विवरणों में हेराफेरी की। इसमें शामिल था: फर्जी आय और मुनाफा: कंपनी की आय और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। फर्जी नकदी और बैंक बैलेंस: लगभग 5,040 करोड़ रुपये की नकदी और बैंक बैलेंस को गलत तरीके से दिखाया गया, जो वास्तव में मौजूद नहीं था। फर्जी चालान: 7,561 से अधिक फर्जी चालान बनाए गए, जिससे राजस्व को 4,783 करोड़ रुपये तक बढ़ाकर दिखाया गया। फर्जी कर्मचारी रिकॉर्ड: गैर-मौजूद कर्मचारियों के लिए 3 मिलियन डॉलर के
उद्देश्य: कंपनी को अधिक लाभकारी और आकर्षक दिखाकर निवेशकों को लुभाना, शेयर की कीमत बढ़ाना, और व्यक्तिगत लाभ के लिए धन का दुरुपयोग करना।
घोटाले का खुलासा
2008 में संकेत: दिसंबर 2008 में, राजू ने सत्यम के धन का उपयोग कर मैटास प्रॉपर्टीज और मैटास इन्फ्रास्ट्रक्चर (रामलिंगा राजू के परिवार की कंपनियाँ) को 1.6 बिलियन डॉलर में खरीदने की कोशिश की। शेयरधारकों के विरोध के कारण यह सौदा रद्द हुआ।
7 जनवरी, 2009: रामलिंगा राजू ने सेबी और स्टॉक एक्सचेंज को एक पत्र लिखकर स्वीकार किया कि उन्होंने खातों में हेराफेरी की। उन्होंने कहा,
7 जनवरी, 2009: रामलिंगा राजू ने सेबी और स्टॉक एक्सचेंज को एक पत्र लिखकर स्वीकार किया कि उन्होंने खातों में हेराफेरी की। उन्होंने कहा,
प्रमुख प्रभाव
निवेशकों और शेयरधारकों: निवेशकों को 2.3 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। सत्यम के शेयरधारकों, बैंकों और कर्मचारियों का विश्वास टूटा, जिससे भारतीय आईटी क्षेत्र की साख को झटका लगा।
कर्मचारी: 53,000 कर्मचारियों को वेतन भुगतान में देरी और नौकरी की अनिश्चितता का सामना करना पड़ा।
कॉर्पोरेट गवर्नेंस: इस घोटाले ने भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की खामियों को उजागर किया, विशेष रूप से ऑडिटिंग प्रक्रिया और बोर्ड की पारदर्शिता में।
ऑडिटर प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC) की विफलता पर सवाल उठे, जिसे 2018 में सेबी ने दो साल के लिए भारत में ऑडिटिंग से प्रतिबंधित कर दिया और 6 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया।
आईटी क्षेत्र: भारतीय आईटी उद्योग की विश्वसनीयता पर सवाल उठे, जिससे वैश्विक ग्राहकों और निवेशकों का भरोसा कम हुआ।
कानूनी और नियामक कार्रवाई: जांच: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने फरवरी 2009 में जांच शुरू की और तीन चार्जशीट दाखिल कीं। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने भी जांच की। सजा: 9 अप्रैल, 2015 को, हैदराबाद की एक विशेष CBI अदालत ने रामलिंगा राजू, उनके भाई बी. रामा राजू, पूर्व CFO वडलमणि श्रीनिवास, और सात अन्य को सात साल की सजा सुनाई। रामलिंगा राजू पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
बेल: मई 2015 में, रामलिंगा राजू और अन्य दोषियों को हैदराबाद की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी। कंपनी का अधिग्रहण: भारत सरकार ने सत्यम को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया। अप्रैल 2009 में, टेक महिंद्रा ने सत्यम को खरीदा और इसे महिंद्रा सत्यम के रूप में रीब्रांड किया। 2013 में, इसे टेक महिंद्रा में विलय कर दिया गया।
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