Definition of Gender Budgeting
jp Singh
2025-06-03 14:00:56
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जेंडर बजटिंग की परिभाषा/Gender Budgeting
जेंडर बजटिंग की परिभाषा/Gender Budgeting
परिभाषा: जेंडर बजटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सरकारी बजट को लैंगिक दृष्टिकोण से विश्लेषित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि संसाधन महिलाओं, पुरुषों, और अन्य लैंगिक समूहों की जरूरतों को समान रूप से पूरा करें। यह लैंगिक असमानता को कम करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने का उपकरण है।
उद्देश्य
महिलाओं और वंचित लैंगिक समूहों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सुरक्षा में सुधार। लैंगिक असमानता (जैसे, वेतन अंतर, कार्यबल भागीदारी) को कम करना। नीतियों और योजनाओं में लैंगिक संवेदनशीलता को शामिल करना।
प्रकार
महिला-विशिष्ट योजनाएँ: जैसे, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना। लैंगिक-संवेदनशील योजनाएँ: शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार योजनाएँ जो सभी लिंगों को लाभ पहुँचाएँ। लैंगिक प्रभाव विश्लेषण: बजट आवंटन का लैंगिक प्रभाव मूल्यांकन।
भारत में जेंडर बजटिंग की स्थिति (2025 तक)
भारत ने 2005-06 में जेंडर बजटिंग को औपचारिक रूप से अपनाया, और यह वित्त मंत्रालय के जेंडर बजट स्टेटमेंट (GBS) के माध्यम से लागू किया जाता है। GBS में दो हिस्से हैं
भाग A: 100% महिला-विशिष्ट योजनाएँ। भाग B: कम से कम 30% महिला लाभार्थियों वाली योजनाएँ।
प्रमुख तथ्य (2024-25)
बजट आवंटन: 2024-25 के केंद्रीय बजट में जेंडर बजट ~₹3.1 लाख करोड़ (कुल बजट का ~6.5%) था (वित्त मंत्रालय)।
प्रमुख योजनाएँ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए ₹500 करोड़। उज्ज्वला योजना: 10 करोड़ से अधिक गरीब महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन। महिला शक्ति केंद्र: ग्रामीण महिलाओं के लिए कौशल और उद्यमिता प्रशिक्षण। मातृत्व लाभ योजना (PMMVY): गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ₹5,000 की सहायता। मुद्रा योजना: 70% ऋण महिलाओं को, जिसने 3 करोड़ से अधिक महिला उद्यमियों को समर्थन दिया।
प्रभाव
महिला कार्यबल भागीदारी: 2024 में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 37% (PLFS), जो 2017 के 23% से सुधार। शिक्षा: लड़कियों का स्कूल नामांकन 98% (2024, समग्र शिक्षा)। स्वास्थ्य: आयुष्मान भारत ने 50% से अधिक महिला लाभार्थियों को कवर किया। ग्रामीण सशक्तिकरण: उज्ज्वला और PM-KISAN ने ग्रामीण महिलाओं की आय और जीवन स्तर में सुधार किया।
प्रमुख संकेतक
लैंगिक समानता सूचकांक (GEI): भारत का GEI स्कोर 2024 में 0.68 (विश्व आर्थिक मंच), जो सुधार दर्शाता है। वेतन अंतर: शहरी क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं के बीच 20% वेतन अंतर (2024, PLFS)। ग्रामीण महिलाएँ: 70% महिला उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों से (मुद्रा योजना)।
भारत में जेंडर बजटिंग की चुनौतियाँ
सीमित आवंटन: जेंडर बजट कुल बजट का केवल 6.5% है, जो अपर्याप्त है। कार्यान्वयन: ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और बुनियादी ढांचे की कमी। लैंगिक डेटा की कमी: योजनाओं के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए लैंगिक डेटा अपर्याप्त। सामाजिक रूढ़ियाँ: पितृसत्तात्मक मानदंड महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को सीमित करते हैं।
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