What is the Leontief Paradox?
jp Singh
2025-06-03 13:58:42
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लियोंतिफ पैराडॉक्स क्या है?/Leontief Paradox
लियोंतिफ पैराडॉक्स क्या है?/Leontief Paradox
परिभाषा: लियोंतिफ पैराडॉक्स यह दर्शाता है कि एक पूँजी-प्रचुर देश (जैसे, अमेरिका) अपने निर्यात में श्रम-प्रधान (Labor-Intensive) वस्तुओं पर अधिक ध्यान देता है और आयात में पूँजी-प्रधान (Capital-Intensive) वस्तुओं पर, जो H-O सिद्धांत के विपरीत है। H-O सिद्धांत के अनुसार, एक देश अपनी प्रचुर संसाधनों (पूँजी या श्रम) का उपयोग करके उन वस्तुओं का निर्यात करता है जो उन संसाधनों पर आधारित होती हैं और उन वस्तुओं का आयात करता है जो उसके दुर्लभ संसाधनों पर निर्भर होती हैं।
लियोंतिफ की खोज (1953)
लियोंतिफ ने 1947 के अमेरिकी व्यापार डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि अमेरिका (विश्व का सबसे पूँजी-प्रचुर देश) श्रम-प्रधान वस्तुओं (जैसे, विमान, उच्च-प्रौद्योगिकी मशीनरी) का निर्यात करता था और पूँजी-प्रधान वस्तुओं (जैसे, कच्चे माल, भारी मशीनरी) का आयात करता था। उदाहरण: अमेरिका के निर्यात में श्रम-प्रधान वस्तुओं का पूँजी/श्रम अनुपात $14,010 प्रति व्यक्ति-वर्ष था, जबकि आयात में यह $18,180 था, यानी आयात 30% अधिक पूँजी-प्रधान थे।
विरोधाभास: H-O सिद्धांत के अनुसार, अमेरिका को पूँजी-प्रधान वस्तुओं का निर्यात और श्रम-प्रधान वस्तुओं का आयात करना चाहिए था।
लियोंतिफ पैराडॉक्स के कारण
मानव पूँजी (Human Capital)
अमेरिका में उच्च-कुशल श्रम (Skilled Labor) की प्रचुरता थी, जिसे लियोंतिफ ने अपने विश्लेषण में शामिल नहीं किया। यदि मानव पूँजी को पूँजी के रूप में माना जाए, तो अमेरिका के निर्यात मानव-पूँजी-प्रधान (Human Capital-Intensive) थे। उदाहरण: अमेरिकी निर्यात (जैसे, विमान, टेक उत्पाद) उच्च-कुशल श्रम पर निर्भर थे, जो H-O सिद्धांत के अनुरूप हो सकता है यदि मानव पूँजी को शामिल किया जाए।
प्राकृतिक संसाधन:
आयात में प्राकृतिक संसाधनों (जैसे, तेल, खनिज) की भूमिका को H-O मॉडल ने नजरअंदाज किया। अमेरिका के आयात प्राकृतिक संसाधन-प्रधान थे, जो पूँजी-प्रधान दिखते थे।
प्रौद्योगिकी अंतर
अमेरिका में श्रम की उत्पादकता अन्य देशों की तुलना में अधिक थी (लियोंतिफ ने अनुमान लगाया कि अमेरिकी श्रमिक 3 गुना अधिक उत्पादक थे), जिससे श्रम-प्रधान निर्यात प्रभावी हो सकते थे।
माँग पैटर्न (Linder Hypothesis)
देश समान माँग पैटर्न वाले देशों के साथ व्यापार करते हैं। अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित देश समान माँग (जैसे, कार) के कारण एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं, न कि केवल तुलनात्मक लाभ के आधार पर।
व्यापार असंतुलन
लियोंतिफ ने संतुलित व्यापार (Balanced Trade) मान लिया, लेकिन असंतुलित व्यापार (जैसे, अमेरिका का व्यापार अधिशेष) पैराडॉक्स को प्रभावित करता है।
फैक्टर इंटेंसिटी रिवर्सल
समय या स्थान के साथ पूँजी और श्रम की सापेक्ष कीमतें बदलने से उत्पादन प्रक्रिया पूँजी-प्रधान से श्रम-प्रधान हो सकती है।
व्यापार नीतियाँ
टैरिफ और व्यापार बाधाएँ (जैसे, श्रम-प्रधान आयात पर प्रतिबंध) ने अमेरिका के आयात को पूँजी-प्रधान बनाया।
भारत में लियोंतिफ पैराडॉक्स का संदर्भ
भारत का व्यापार पैटर्न
भारत एक श्रम-प्रचुर देश है, लेकिन इसके निर्यात में पूँजी-प्रधान (जैसे, सॉफ्टवेयर, दवाएँ) और आयात में श्रम-प्रधान (जैसे, कपड़ा, कृषि उत्पाद) वस्तुएँ शामिल हैं। 1961 में R. Bhardwaj के अध्ययन ने दिखाया कि भारत के निर्यात (विशेष रूप से अमेरिका को) पूँजी-प्रधान थे, जो H-O सिद्धांत के विपरीत था।
कारण
मानव पूँजी: भारत का IT और KPO क्षेत्र (जैसे, TCS, Infosys) उच्च-कुशल श्रम पर आधारित है, जो निर्यात को मानव-पूँजी-प्रधान बनाता है। प्रौद्योगिकी आयात: भारत पूँजी-प्रधान प्रौद्योगिकी आयात करता है, जिसे स्थानीय श्रम के साथ उपयोग करता है।
कृषि निर्यात: भारत के श्रम-प्रधान निर्यात (जैसे, बासमती चावल, मसाले) H-O सिद्धांत के अनुरूप हैं, लेकिन पूँजी-प्रधान निर्यात (जैसे, दवाएँ) पैराडॉक्स को दर्शाते हैं।
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