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Definition of Inclusive Growth
jp Singh 2025-06-03 13:51:12
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समावेशी विकास की परिभाषा/Inclusive Growth

समावेशी विकास की परिभाषा/Inclusive Growth
परिभाषा: समावेशी विकास वह विकास है जो आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक समानता, गरीबी उन्मूलन, और अवसरों की समान उपलब्धता सुनिश्चित करता है। इसका उद्देश्य आय असमानता को कम करना और सभी वर्गों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना है।
प्रमुख आयाम
आर्थिक: रोजगार सृजन, आय वृद्धि, और उत्पादकता में सुधार। सामाजिक: शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच। पर्यावरणीय: सतत विकास और संसाधनों का समान वितरण।
उपाय: सामाजिक कल्याण योजनाएँ, डिजिटल समावेशिता, और नीतिगत सुधार।
भारत में समावेशी विकास की स्थिति (2025 तक)
भारत ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ और पहल शुरू की हैं, विशेष रूप से डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत के तहत। प्रमुख पहल और प्रभाव:
प्रमुख पहल और प्रभाव
आर्थिक समावेशिता
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): 2024 तक 53 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिनमें 55% महिलाओं और 67% ग्रामीण क्षेत्रों के (वित्त मंत्रालय डेटा)। मुद्रा योजना: MSME के लिए ₹20 लाख करोड़ से अधिक के ऋण, जिसने 8 करोड़ से अधिक सूक्ष्म व्यवसायों को समर्थन दिया। रोजगार सृजन: IT, ई-कॉमर्स, और KPO जैसे क्षेत्रों में 5 मिलियन से अधिक नौकरियाँ (NASSCOM, 2024)।
सामाजिक समावेशिता
शिक्षा: समग्र शिक्षा अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल नामांकन को 98% तक बढ़ाया। स्वास्थ्य: आयुष्मान भारत ने 50 करोड़ लोगों को ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया। महिला सशक्तिकरण: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और स्टैंड-अप इंडिया ने महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाई।
डिजिटल समावेशिता
भारत नेट: 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा (2024, TRAI)। UPI: 2024 में 131 बिलियन लेनदेन, जिसने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ाया (NPCI)। आधार और PAN: 1.3 अरब आधार और 70 करोड़ PAN ने वित्तीय समावेशिता को बढ़ाया।
ग्रामीण विकास
ई-चौपाल: 4 मिलियन किसानों को डिजिटल बाजार और सेवाओं से जोड़ा। ONDC: छोटे व्यवसायों और ग्रामीण विक्रेताओं को ई-कॉमर्स से जोड़ा।
पर्यावरणीय स्थिरता
नवीकरणीय ऊर्जा: 2024 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करती है। स्वच्छ भारत मिशन: 100% ग्रामीण स्वच्छता कवरेज (2024 तक)।
भारत में समावेशी विकास के प्रमुख संकेतक
गरीबी में कमी: 2011-24 के बीच 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए (NITI Aayog)। आय असमानता: भारत का Gini Coefficient (आय असमानता मापक) 0.36 (2023), जो अभी भी सुधार की आवश्यकता दर्शाता है। वित्तीय समावेशिता: 80% वयस्कों के पास बैंक खाता (2024, RBI)। डिजिटल साक्षरता: 350 मिलियन ग्रामीण इंटरनेट उपयोगकर्ता (2024, TRAI)।
भारत में समावेशी विकास की चुनौतियाँ
आय असमानता: Gini Coefficient (0.36) सुधार की आवश्यकता दर्शाता है। डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी। कौशल बेमेल: KPO और टेक क्षेत्र में कुशल कार्यबल की कमी। पर्यावरणीय चुनौतियाँ: औद्योगिक विकास और सततता के बीच संतुलन। ग्रामीण बुनियादी ढांचा: बिजली और कनेक्टिविटी की कमी।
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