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Ultranationalism
jp Singh 2025-06-03 13:17:37
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अति इष्ट राष्ट्र/Ultranationalism

अति इष्ट राष्ट्र/Ultranationalism
अति राष्ट्रवाद (Ultranationalism) क्या है?
अति राष्ट्रवाद या चरम राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद का एक उग्र और चरम रूप है, जिसमें एक देश अपनी विशिष्ट राष्ट्रीय पहचान, हितों, और श्रेष्ठता को बढ़ावा देने के लिए अन्य देशों पर प्रभुत्व, नियंत्रण, या हिंसक साधनों का उपयोग करता है। यह राष्ट्रवाद की तुलना में अधिक आक्रामक और विभाजनकारी होता है।
अति राष्ट्रवाद की मुख्य विशेषताएं
राष्ट्रीय श्रेष्ठता: यह विश्वास कि एक राष्ट्र अन्य राष्ट्रों से श्रेष्ठ है और उसे दूसरों पर प्रभुत्व स्थापित करने का अधिकार है। उदाहरण: ऐतिहासिक रूप से, फासीवादी इटली और नाज़ी जर्मनी ने अति राष्ट्रवादी नीतियों का पालन किया, जिसमें राष्ट्रीय श्रेष्ठता और विस्तारवादी नीतियां शामिल थीं।
हिंसक या आक्रामक नीतियां
अति राष्ट्रवाद में हिंसा, बलात्कार, या आर्थिक दबाव का उपयोग हो सकता है ताकि राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाया जाए। उदाहरण: कम्बोडियाई नरसंहार (1970 के दशक) में अति राष्ट्रवादी विचारधारा एक प्रेरणा थी।
सांस्कृतिक एकरूपता
यह सांस्कृतिक, भाषाई, या जातीय एकरूपता को ज़बरदस्ती लागू करने की कोशिश करता है, जिससे अल्पसंख्यकों या भिन्न संस्कृतियों पर दबाव पड़ता है। इससे सांस्कृतिक विविधता नष्ट होने का खतरा रहता है। राजनीतिक हिंसा: शांतिकाल में भी अति राष्ट्रवादी संगठन राजनीतिक हिंसा में शामिल हो सकते हैं। कल्पित समुदाय: राष्ट्र को एक
अति राष्ट्रवाद और सामान्य राष्ट्रवाद में अंतर
राष्ट्रवाद: यह एक समूह की साझा पहचान (भाषा, संस्कृति, इतिहास) पर आधारित है, जो स्वायत्तता और एकता को बढ़ावा देता है। उदाहरण: भारत का स्वतंत्रता आंदोलन, जो ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रवादी भावना पर आधारित था।
अति राष्ट्रवाद: यह राष्ट्रवाद का चरम रूप है, जो आक्रामकता, हिंसा, और अन्य देशों या समूहों के दमन पर आधारित होता है। उदाहरण: जर्मनी में नाज़ी शासन, जो अति राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित था।
भारत में अति राष्ट्रवाद का संदर्भ
भारत में राष्ट्रवाद का एक समृद्ध इतिहास है, जो स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक एकता से जुड़ा है। हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि जब राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक या धार्मिक एकरूपता के लिए ज़बरदस्ती लागू किया जाता है, तो यह अति राष्ट्रवाद की ओर बढ़ सकता है।
आलोचना: कुछ लोग मानते हैं कि अति राष्ट्रवाद लोकतंत्र विरोधी हो सकता है और पूंजीवादी हितों को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से जब यह वोटबैंक या सांस्कृतिक एकरूपता पर केंद्रित होता है। यह सांस्कृतिक विविधता को नुकसान पहुंचा सकता है और सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है।
उदाहरण: भारत में, कुछ राजनीतिक समूहों पर अति राष्ट्रवादी होने का आरोप लगाया जाता है, जब वे सांस्कृतिक या धार्मिक पहचान को राष्ट्रीय पहचान से ऊपर रखते हैं। हालांकि, यह एक विवादास्पद और संवेदनशील विषय है।
अति राष्ट्रवाद के प्रभाव
सकारात्मक: राष्ट्रीय गौरव और एकता को बढ़ावा दे सकता है। संकट के समय (जैसे युद्ध) में राष्ट्रीय हितों की रक्षा। नकारात्मक: हिंसा और युद्ध को बढ़ावा, जैसे विश्व युद्धों में देखा गया। अल्पसंख्यकों या अन्य देशों के खिलाफ भेदभाव। सांस्कृतिक विविधता का नुकसान और सामाजिक तनाव। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव, जैसे प्रतिकारी शुल्क (जैसा आपने पहले पूछा) के माध्यम से व्यापार युद्ध।
आपके पिछले प्रश्नों से संबंध
प्रतिकारी शुल्क (Reciprocal Tariff): अति राष्ट्रवाद आर्थिक नीतियों को प्रभावित कर सकता है, जैसे आयात पर उच्च शुल्क लगाना, जो राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।
टपकन सिद्धांत (Trickle-Down Theory): अति राष्ट्रवाद पूंजीवादी नीतियों से जुड़ा हो सकता है, जहां आर्थिक लाभ अमीरों को पहले दिए जाते हैं, जो टपकन सिद्धांत से संरेखित है।
जोखिम पूंजी (Venture Capital): अति राष्ट्रवादी नीतियां स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे आत्मनिर्भर भारत के तहत स्थानीय निवेश को प्राथमिकता देना।
नेट बैंकिंग और CCIL: अति राष्ट्रवाद आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे डिजिटल वित्तीय प्रणालियां (जैसे नेट बैंकिंग और CCIL की सेवाएं) मजबूत होती हैं।
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इंद्रधनुषी राष्ट्र: यदि आप
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