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jp Singh 2025-06-03 13:08:15
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टेराटोलॉजी (Teratology)

टेराटोलॉजी (Teratology)
टेराटोलॉजी (Teratology)
टेराटोलॉजी (Teratology) की परिभाषा
टेराटोलॉजी (ग्रीक शब्द teras से, जिसका अर्थ
टेराटोलॉजी के अध्ययन क्षेत्र
टेराटोलॉजी में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं:
असामान्यताओं का वर्णन और वर्गीकरण (Description and Classification):
पौधों, जंतुओं, और मानव में जन्मजात विकृतियों की पहचान और वर्गीकरण।
उदाहरण: पौधों में असामान्य पर्णसंन्यास (Fasciation) या जंतुओं में अंग की कमी।
टेराटोजन्स (Teratogens):
पर्यावरणीय कारक (जैसे रसायन, विकिरण, रोग), जो असामान्य विकास का कारण बनते हैं। उदाहरण: पौधों में कीटनाशक या भारी धातुएँ; मानव में रूबेला वायरस या थैलिडोमाइड।
विकासात्मक तंत्र (Developmental Mechanisms):
भ्रूण या पौधे के प्रारंभिक विकास में रुकावट, जैसे कोशिका विभाजन या ऊतक भेदन में त्रुटियाँ।
प्रायोगिक टेराटोलॉजी (Experimental Teratology):
प्रयोगशाला में असामान्यताओं को प्रेरित करने के लिए रसायनों या अन्य कारकों का उपयोग। उदाहरण: चूहों में रासायनिक एजेंटों से जन्मजात दोष उत्पन्न करना।
व्यवहारिक टेराटोलॉजी (Behavioral Teratology):
विकास के दौरान टेराटोजन्स के कारण व्यवहारिक असामान्यताएँ, जैसे मानव में मानसिक विकास में देरी। यह क्षेत्र 1963 में वर्बॉफ और गॉटलिब के कार्य से शुरू हुआ।
आनुवंशिकी (Genetics):
उत्परिवर्तन या गुणसूत्र असामान्यताएँ जो जन्मजात दोषों का कारण बनती हैं।
टेराटोलॉजी का इतिहास
प्राचीन काल: प्राचीन यूनानियों और रोमनों ने जन्मजात असामान्यताओं को
1830: फ्रांसीसी शब्द tératologie से टेराटोलॉजी शब्द लिया गया, जिसे Étienne Geoffroy Saint-Hilaire ने 1820 में व्यवस्थित किया।
19वीं सदी: पौधों में असामान्यताओं का अध्ययन (Vegetable Teratology) मैक्सवेल टी. मास्टर्स द्वारा प्रचारित, जिन्होंने पौधों की विकृतियों को समझाया।
20वीं सदी: जोसेफ वार्कनी (Josef Warkany) ने प्रायोगिक टेराटोलॉजी की नींव रखी, यह सिद्ध करते हुए कि पर्यावरणीय कारक (जैसे पोषण की कमी, रसायन) विकृतियाँ उत्पन्न करते हैं।
1959-1973: जेम्स विल्सन ने टेराटोजेनेसिस के छह सिद्धांत प्रतिपादित किए, जो टेराटोजन्स के प्रभावों को समझने के लिए आधार बने।
विल्सन के छह सिद्धांत (Wilson’s Principles of Teratology)
आनुवंशिक संवेदनशीलता: भ्रूण की आनुवंशिक संरचना और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन असामान्यताओं को प्रभावित करता है।
विकासात्मक चरण: टेराटोजन्स का प्रभाव भ्रूण के विकास के चरण पर निर्भर करता है (संवेदनशील अवधियाँ)।
विशिष्ट प्रभाव: टेराटोजन्स विशिष्ट कोशिकाओं और ऊतकों पर कार्य करते हैं।
प्रवेश और पहुंच: टेराटोजन्स का प्रभाव उनकी ऊतकों तक पहुंच पर निर्भर करता है।
खुराक और अवधि: टेराटोजन्स की मात्रा और जोखिम की अवधि प्रभाव को निर्धारित करती है।
अभिव्यक्तियाँ: असामान्यताएँ संरचनात्मक, कार्यात्मक, या व्यवहारिक हो सकती हैं।
पौधों में टेराटोलॉजी (Vegetable Teratology)
पौधों में टेराटोलॉजी असामान्य संरचनाओं और विकास का अध्ययन करती है, जिन्हें
प्रकार:
पर्णसंन्यास (Fasciation): तने या डंठल का असामान्य चपटापन, जैसे कॉककॉम्ब (Celosia) में।
विकृत पत्तियाँ: असामान्य आकार या संरचना, जैसे अतिरिक्त पंखुड़ियाँ।
गॉल्स (Galls): कीटों या जीवाणुओं (Agrobacterium tumefaciens) के कारण असामान्य वृद्धि।
क्लोरोसिस: पर्णहरिम की कमी के कारण असामान्य रंग।
विकासात्मक रुकावट: फूलों या बीजों का असामान्य विकास।
कारण:
आनुवंशिक: उत्परिवर्तन या जीन अभिव्यक्ति में परिवर्तन।
पर्यावरणीय: कीटनाशक, भारी धातुएँ (जैसे सीसा, पारा), या पोषण की कमी।
यांत्रिक: चोट या बाहरी दबाव।
जैविक: जीवाणु (Xanthomonas), कवक, या कीट।
उदाहरण:
गुलाब में अतिरिक्त पंखुड़ियाँ (Double Flowers)। पर्णसंन्यास से प्रभावित डहेलिया या सूरजमुखी। Agrobacterium से क्राउन गॉल रोग।
टेराटोलॉजी का महत्व पारिस्थितिक महत्व:
पौधों में असामान्यताएँ पर्यावरणीय तनाव (प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन) के संकेतक के रूप में कार्य करती हैं। जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी।
कृषि:
असामान्यताओं का अध्ययन फसलों की सुरक्षा और सुधार में मदद करता है। उदाहरण: जीवाणुजन्य गॉल्स का नियंत्रण।
चिकित्सा और जंतु विज्ञान:
मानव और जंतुओं में जन्मजात दोषों (जैसे हृदय दोष, अंग की कमी) का अध्ययन।
टेराटोजन्स (थैलिडोमाइड, रूबेला) की पहचान और रोकथाम।
औद्योगिक और औषधीय उपयोग:
कुछ असामान्य पौधों में अद्वितीय रासायनिक यौगिक, जैसे एंटीमाइक्रोबियल्स।
वैज्ञानिक अनुसंधान:
टेराटोलॉजी विकासात्मक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी को समझने में मदद करती है।
Physcomitrella patens (मॉस) जैसे मॉडल जीवों में जीन कार्य का अध्ययन।
टेराटोलॉजी में नवीनतम प्रगति आणविक जीव विज्ञान:
डीएनए अनुक्रमण और CRISPR से असामान्यताओं के आनुवंशिक कारणों की खोज। उदाहरण: पौधों में उत्परिवर्तन जो पर्णसंन्यास का कारण बनते हैं।
पर्यावरणीय टेराटोजन्स:
बिस्फेनॉल A, एट्राज़ीन जैसे रसायनों का कम-खुराक प्रभाव (Low-Dose Toxicity)। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का पौधों पर प्रभाव।
प्रायोगिक मॉडल:
चूहों और पौधों (Arabidopsis thaliana) में टेराटोजन्स के प्रभावों का अध्ययन।
व्यवहारिक टेराटोलॉजी:
व्यवहारिक असामान्यताओं का अध्ययन, विशेष रूप से जंतुओं में दवाओं के प्रभाव।
बायोरेमेडिएशन:
टेराटोजन्स (जैसे भारी धातुएँ) को हटाने के लिए जीवाणुओं और पौधों का उपयोग।
उदाहरण और अनुप्रयोग पौधों में:
पर्णसंन्यास (Fasciation) से प्रभावित कॉककॉम्ब (Celosia)। Agrobacterium tumefaciens से क्राउन गॉल, जो ट्यूमर जैसे उभार बनाता है। कीटनाशकों से असामान्य फूल विकास।
जंतुओं/मानव में:
थैलिडोमाइड से मानव भ्रूण में अंग विकृति (1950-60)। रूबेला वायरस से जन्मजात हृदय दोष।
प्रायोगिक: चूहों में पोषण की कमी से आँखों के विकास में दोष।
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