Trickle-Down Theory
jp Singh
2025-06-03 12:50:06
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टपकन सिद्धांत/Trickle-Down Theory
टपकन सिद्धांत/Trickle-Down Theory
टपकन सिद्धांत (Trickle-Down Theory), जिसे हिंदी में
टपकन सिद्धांत की मुख्य विशेषताएं
कर छूट और प्रोत्साहन: सरकारें अमीर व्यक्तियों, बड़े व्यवसायों, या कॉर्पोरेट्स को कर में छूट देती हैं। उदाहरण: कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, निवेश के लिए सब्सिडी।
निवेश और रोजगार सृजन: धनाढ्य वर्ग अपने अतिरिक्त धन को व्यवसायों, स्टार्टअप्स, या अन्य परियोजनाओं में निवेश करते हैं। इससे नए रोजगार, उत्पादन, और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं।
रिसाव प्रभाव: बढ़ते निवेश और रोजगार से निम्न और मध्यम वर्ग को अप्रत्यक्ष लाभ होता है, जैसे नौकरियां, बेहतर वेतन, और उपभोक्ता वस्तुओं तक पहुंच।
आर्थिक विकास: समग्र अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है, क्योंकि उत्पादन और उपभोग बढ़ता है। उदाहरण: भारत में: 2019 में भारत सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% (नई कंपनियों के लिए 15%) किया। इसका उद्देश्य कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करना था, ताकि रोजगार सृजन और आर्थिक विकास हो, जो अंततः निम्न वर्गों तक लाभ पहुंचाए।
अंतरराष्ट्रीय: 1980 के दशक में अमेरिका में रोनाल्ड रीगन की
रतिस्पर्धात्मकता: कम कर दरें देश को वैश्विक निवेश के लिए आकर्षक बनाती हैं। टपकन सिद्धांत की आलोचना और सीमाएं: आय असमानता: आलोचकों का कहना है कि टपकन सिद्धांत अमीरों को और अमीर बनाता है, लेकिन लाभ निम्न वर्गों तक पर्याप्त रूप से नहीं पहुंचता। इससे आय असमानता बढ़ती है। उदाहरण: 2018 में IMF के एक अध्ययन में पाया गया कि टैक्स कटौती का लाभ मुख्य रूप से उच्च आय वर्ग को मिलता है।
सीमित रिसाव: अमीर वर्ग अतिरिक्त धन को बचत, विदेशी निवेश, या लक्जरी खर्च में उपयोग कर सकता है, न कि रोजगार सृजन में। राजस्व हानि: सरकार को कर छूट से राजस्व में कमी आती है, जिससे सार्वजनिक सेवाएं (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा) प्रभावित हो सकती हैं। वास्तविक प्रभाव पर सवाल: कई अध्ययनों (जैसे OECD, 2020) में यह पाया गया कि टपकन सिद्धांत हमेशा निम्न वर्गों तक लाभ नहीं पहुंचाता।
भारत में टपकन सिद्धांत
आत्मनिर्भर भारत: भारत सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कमी और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI स्कीम) जैसे कदम उठाए, जो टपकन सिद्धांत से प्रेरित हैं। इनका उद्देश्य विनिर्माण और रोजगार बढ़ाना है।
प्रतिकारी शुल्क (जैसा आपने पहले पूछा): भारत ने कुछ देशों के आयात पर प्रतिकारी शुल्क लगाए, जो घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देकर अप्रत्यक्ष रूप से टपकन प्रभाव को समर्थन देते हैं।
डिजिटल इंडिया: डिजिटल सेवाएं (जैसे नेट बैंकिंग, टेलीमेडिसिन) और तकनीकी नवाचार भी टपकन सिद्धांत के तहत अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों को प्रोत्साहन से रोजगार और सेवाएं बढ़ती हैं।
टपकन सिद्धांत बनाम अन्य सिद्धांत
टपकन बनाम ट्रिकल-अप (Trickle-Up): ट्रिकल-अप सिद्धांत कहता है कि निम्न और मध्यम वर्ग को प्रत्यक्ष लाभ (जैसे सब्सिडी, न्यूनतम वेतन) देने से उपभोग बढ़ता है, जो अर्थव्यवस्था को ऊपर की ओर बढ़ाता है। भारत में मनरेगा (MGNREGA) इसका उदाहरण है।
केनेसियन अर्थशास्त्र: यह मांग-पक्ष (Demand-Side) पर केंद्रित है, जबकि टपकन सिद्धांत आपूर्ति-पक्ष (Supply-Side) पर।
Conclusion
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