Reciprocal Fee or Reciprocal Tariff
jp Singh
2025-06-03 12:48:09
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प्रतिकारी शुल्क/Reciprocal Fee or Reciprocal Tariff
प्रतिकारी शुल्क/Reciprocal Fee or Reciprocal Tariff
प्रतिकारी शुल्क (Reciprocal Fee या Reciprocal Tariff) से तात्पर्य उस शुल्क या कर से है जो एक देश किसी अन्य देश के खिलाफ तब लागू करता है, जब वह देश पहले उस देश के माल या सेवाओं पर शुल्क या टैरिफ लगाता है। यह एक तरह का जवाबी कदम होता है, जिसका उद्देश्य व्यापार में संतुलन बनाना, घरेलू उद्योगों की रक्षा करना, या अन्य देशों की व्यापार नीतियों का जवाब देना होता है। इसे अंग्रेजी में
प्रतिकारी शुल्क की विशेषताएं
जवाबी कार्रवाई: यह शुल्क तब लगाया जाता है जब कोई देश दूसरे देश के माल पर टैरिफ या प्रतिबंध लगाता है। उदाहरण के लिए, यदि देश A देश B के माल पर 20% टैरिफ लगाता है, तो देश B जवाब में देश A के माल पर समान या उच्च टैरिफ लागू कर सकता है।
उद्देश्य
घरेलू उद्योगों की रक्षा: स्थानीय उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए।
राजनीतिक दबाव: व्यापार नीतियों को प्रभावित करने के लिए।
राजस्व: शुल्क से सरकारी आय बढ़ाना।
प्रकार: यह आयात शुल्क (Import Duty) के रूप में हो सकता है, जो माल की कीमत या मात्रा पर आधारित होता है (निश्चित या परिवर्तनशील)।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार: यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत लागू किया जा सकता है, लेकिन इसे विवादास्पद माना जाता है क्योंकि यह व्यापार युद्ध को बढ़ावा दे सकता है।
उदाहरण: यदि संयुक्त राज्य अमेरिका चीनी माल पर 25% टैरिफ लगाता है, तो चीन जवाब में अमेरिकी माल (जैसे सोयाबीन या कारें) पर समान टैरिफ लागू कर सकता है। यह एक प्रतिकारी शुल्क होगा। भारत में, यदि कोई देश भारतीय स्टील पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है, तो भारत उस देश के आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स या कृषि उत्पादों पर प्रतिकारी शुल्क लागू कर सकता है।
भारत में संदर्भ
भारत ने अतीत में प्रतिकारी शुल्क का उपयोग किया है, जैसे 2019 में अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ लगाने के जवाब में भारत ने अमेरिकी सेब, बादाम, और अन्य उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया था।
सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 के तहत भारत में ऐसे शुल्कों को नियंत्रित किया जाता है।
डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे पहल के तहत, भारत ने कुछ आयातित वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिकारी शुल्क का हिस्सा हो सकता है।
लाभ
घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: स्थानीय व्यवसायों को सस्ते आयात से बचाव।
राजनीतिक संदेश: अन्य देशों को अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ चेतावनी।
आर्थिक संतुलन: आयात-निर्यात में समानता बनाए रखना।
चुनौतियां
व्यापार युद्ध: जवाबी शुल्कों से व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है, जिससे दोनों देशों को नुकसान होता है।
उपभोक्ता प्रभाव: आयातित माल की कीमतें बढ़ने से उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
WTO नियम: प्रतिकारी शुल्क को WTO के नियमों का पालन करना होता है, अन्यथा विवाद हो सकता है।
अन्य संबंधित शुल्कों से तुलना
उत्पाद शुल्क (Excise Duty): यह घरेलू विनिर्माण पर लगाया जाता है, न कि आयात पर।
सीमा शुल्क (Customs Duty): आयात-निर्यात पर सामान्य कर, जो प्रतिकारी शुल्क का हिस्सा हो सकता है।
संरक्षणात्मक टैरिफ: यह घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए लगाया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि जवाबी कार्रवाई के लिए हो।
Conclusion
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