Media Lab Asia
jp Singh
2025-06-03 12:36:36
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मीडिया लैब एशिया/Media Lab Asia
मीडिया लैब एशिया/Media Lab Asia
मीडिया लैब एशिया (Media Lab Asia) एक गैर-लाभकारी संगठन था, जिसे भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा 2001 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग करके आम लोगों, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित समुदायों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, और अक्षम व्यक्तियों के सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में समाधान प्रदान करना था। यह मूल रूप से मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के मीडिया लैब के सहयोग से शुरू किया गया था, लेकिन 2003 के बाद MIT के साथ विशेष सहयोग समाप्त हो गया।
इतिहास और पुनर्गठन
स्थापना: 2001 में, भारत सरकार और MIT मीडिया लैब के बीच सहयोग के साथ शुरू हुआ। शुरुआती परियोजनाओं में विश्व कंप्यूटर (सस्ते कंप्यूटिंग उपकरण), बिट्स फॉर ऑल (कम लागत, उच्च बैंडविड्थ कनेक्टिविटी), और टुमॉरोज़ टूल (ग्रामीण प्रासंगिक अनुप्रयोग) शामिल थे।
पुनर्गठन: 8 सितंबर 2017 को, मीडिया लैब एशिया को डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन (DIC) के रूप में पुनर्जनन किया गया। DIC अब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम करता है, जिसमें ई-गवर्नेंस, नवाचार, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देना शामिल है।
मुख्य उद्देश्य और कार्यक्षेत्र
मीडिया लैब एशिया का फोकस
स्वास्थ्य: टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थकेयर समाधान, जैसे डिजिडृष्टि (दृष्टि देखभाल के लिए डिजिटल सिस्टम)।
शिक्षा: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा उपकरण और सामग्री।
आजीविका: ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए ICT-आधारित समाधान।
अक्षम व्यक्तियों का सशक्तिकरण: सहायक प्रौद्योगिकियां, जैसे दृष्टिबाधित लोगों के लिए उपकरण।
वायरलेस कनेक्टिविटी: ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए परियोजनाएं।
प्रमुख परियोजनाएं और योगदान
75 विकास परियोजनाएं: मीडिया लैब एशिया ने स्वास्थ्य, शिक्षा, और आजीविका जैसे क्षेत्रों में 75 परियोजनाएं शुरू कीं। ये परियोजनाएं अनुसंधान से लेकर पायलट टेस्टिंग और बड़े पैमाने पर तैनाती तक ले जाई गईं।
डिजिटल गंगेटिक प्लेन्स: IIT कानपुर और लखनऊ में स्थापित कनपुर-लखनऊ लैब (KLL) ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी पर काम किया।
सहयोग: 59 साझेदार एजेंसियों के साथ सहयोग, जिसमें IIT, NGOs, और उद्योग शामिल थे। MLA मुख्य रूप से फंडिंग प्रदान करता था, जबकि साझेदार उत्पाद विकास और तैनाती करते थे।
IT रिसर्च एकेडमी (ITRA): MeitY के तहत एक राष्ट्रीय कार्यक्रम, जो अब DIC के एक हिस्से के रूप में संचालित होता है। यह ICT और इलेक्ट्रॉनिक्स में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देता है।
विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना: इलेक्ट्रॉनिक्स और IT में पीएचडी अनुसंधान को प्रोत्साहन, जिसे DIC (पूर्व में MLA) लागू करता है।
कार्य पद्धति
सहयोगी अनुसंधान: MLA ने अकादमिक संस्थानों (जैसे IIT), NGOs, और निजी संगठनों के साथ मिलकर काम किया।
फंडिंग मॉडल: MLA ने परियोजनाओं को वित्त पोषित किया, जबकि साझेदार संगठन उत्पाद विकास और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार थे।
लैब से तैनाती: प्रौद्योगिकी को अनुसंधान से पायलट टेस्टिंग और फिर राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया।
चुनौतियां
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): शुरुआती चरण में IPR के वितरण को लेकर अस्पष्टता थी, जिसने कॉर्पोरेट निवेश को प्रभावित किया।
प्रतिभा प्रतिबंध: सरकारी स्वामित्व (40% से अधिक) के कारण कर्मचारियों की वेतन सीमा ($550/माह) थी, जिसने उच्च-गुणवत्ता वाली प्रतिभा को आकर्षित करना मुश्किल किया।
प्रशासनिक प्रक्रियाएं: तकनीकी कार्य की तुलना में प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक कार्यों पर अधिक ध्यान।
वर्तमान स्थिति
2017 में डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के रूप में पुनर्गठन के बाद, मीडिया लैब एशिया के कार्य DIC के तहत संचालित हो रहे हैं। DIC डिजिटल इंडिया मिशन को लागू करने, ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने, और नवाचार को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह अब स्वास्थ्य, शिक्षा, और आजीविका जैसे क्षेत्रों में ICT समाधानों पर केंद्रित है।
Conclusion
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jp Singh
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