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Capital Adequacy Ratio
jp Singh 2025-06-03 10:35:16
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पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) क्या है/Capital Adequacy Ratio

पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) क्या है/Capital Adequacy Ratio
CAR वह अनुपात है जो बैंक की पूंजी (Capital) को उसकी जोखिम-भारित परिसंपत्तियों (RWA) के साथ तुलना करता है। यह बैंक की वित्तीय मजबूती को मापता है और यह सुनिश्चित करता है कि बैंक के पास अपने दायित्वों को पूरा करने और जोखिमों (जैसे ऋण डिफॉल्ट) से निपटने के लिए पर्याप्त पूंजी हो।
CAR की गणना सूत्र
$$CAR = \frac{\text{टियर 1 पूंजी} + \text{टियर 2 पूंजी}}{\text{जोखिम-भारित परिसंपत्तियां (RWA)}} \times 100$$
उदाहरण: यदि किसी बैंक की टियर 1 पूंजी 500 करोड़ रुपये, टियर 2 पूंजी 200 करोड़ रुपये, और RWA 5000 करोड़ रुपये है, तो:
$$CAR = \frac{500 + 200}{5000} \times 100 = 14\%$$
CAR के घटक
बैंक की पूंजी (Capital
टियर 1 पूंजी (Core Capital): यह बैंक की सबसे मजबूत और स्थायी पूंजी है, जिसमें इक्विटी शेयर पूंजी (Equity Share Capital), रिज़र्व, और अघटित लाभ (Retained Earnings) शामिल होते हैं। यह सबसे विश्वसनीय पूंजी मानी जाती है।
टियर 2 पूंजी (Supplementary Capital): इसमें कम स्थायी पूंजी शामिल होती है, जैसे पुनर्मूल्यांकन रिज़र्व (Revaluation Reserves), अधीनस्थ ऋण (Subordinated Debt), और सामान्य प्रावधान (General Provisions)।
जोखिम-भारित परिसंपत्तियां (RWA): यह बैंक की परिसंपत्तियों (जैसे ऋण, निवेश) का वह मूल्य है, जो उनके जोखिम स्तर के आधार पर भारित किया जाता है। उदाहरण के लिए:
सरकारी प्रतिभूतियों पर जोखिम वजन 0% हो सकता है (कम जोखिम)। व्यक्तिगत ऋण पर जोखिम वजन 100% या अधिक हो सकता है (उच्च जोखिम)। RWA की गणना बासेल मानकों के अनुसार की जाती है।
CAR का उद्देश्य
वित्तीय स्थिरता: CAR यह सुनिश्चित करता है कि बैंक के पास संकट की स्थिति (जैसे ऋण डिफॉल्ट या आर्थिक मंदी) में नुकसान को सहन करने के लिए पर्याप्त पूंजी हो।
जोखिम प्रबंधन: यह बैंकों को जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों में अत्यधिक निवेश करने से रोकता है। निवेशकों का विश्वास: उच्च CAR निवेशकों और जमाकर्ताओं में विश्वास बढ़ाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि बैंक वित्तीय रूप से मजबूत है।
नियामक अनुपालनസ
बासेल मानकों (Basel Norms):** CAR बासेल I, II, और III मानकों का हिस्सा है, जो वैश्विक स्तर पर बैंकों की पूंजी पर्याप्तता को नियंत्रित करते हैं। भारत में, RBI इन मानकों को लागू करता है। RBI के दिशानिर्देश: RBI ने बासेल III मानकों के आधार पर भारतीय बैंकों के लिए न्यूनतम CAR आवश्यकताएं निर्धारित की हैं।
RBI और बासेल मानकों के अनुसार CAR
बासेल III मानक: वैश्विक स्तर पर, बासेल III मानकों के तहत बैंकों को न्यूनतम 8% CAR (जिसमें 6% टियर 1 और 2% टियर 2) बनाए रखना होता है। इसके अतिरिक्त, पूंजी संरक्षण बफर (Capital Conservation Buffer) और अन्य बफर शामिल हो सकते हैं।
RBI की आवश्यकताएं: भारत में, RBI ने बासेल III के आधार पर न्यूनतम CAR को 11.5% निर्धारित किया है (9% बेस CAR + 2.5% पूंजी संरक्षण बफर)। कुछ बैंकों के लिए अतिरिक्त बफर भी लागू हो सकते हैं।
टियर 1: न्यूनतम 7%।
कुल CAR: न्यूनतम 11.5% (2025 तक, RBI नीति पर निर्भर)।
भारतीय संदर्भ: भारतीय बैंक, जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), HDFC बैंक, आदि, सामान्यतः 12-16% CAR बनाए रखते हैं, जो RBI की न्यूनतम आवश्यकता से अधिक है।
CAR का महत्व
जमाकर्ताओं की सुरक्षा: पर्याप्त CAR सुनिश्चित करता है कि बैंक के पास जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पूंजी हो। आर्थिक संकट से सुरक्षा: यह बैंकों को आर्थिक मंदी, ऋण डिफॉल्ट, या अन्य वित्तीय संकटों से बचाने में मदद करता है। नियामक अनुपालन: CAR का पालन न करने पर RBI बैंकों पर जुर्माना, प्रतिबंध, या अन्य नियामक कार्रवाई कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मानक: बासेल मानकों के अनुरूप CAR वैश्विक वित्तीय प्रणाली में स्थिरता लाता है। बाजार विश्वास: उच्च CAR निवेशकों और ग्राहकों में बैंक की विश्वसनीयता बढ़ाता है।
CAR के प्रभाव
बैंकों पर प्रभाव
उच्च CAR: बैंकों को अधिक पूंजी बनाए रखनी पड़ती है, जिससे उनकी उधार देने की क्षमता सीमित हो सकती है, लेकिन यह उनकी स्थिरता बढ़ाता है। निम्न CAR: इससे बैंक जोखिम में पड़ सकता है, क्योंकि नुकसान को सहन करने की क्षमता कम होती है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
उच्च CAR से बैंकों की ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, क्योंकि उनके पास उधार देने के लिए कम धन होता है। निम्न CAR से सस्ते ऋण उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन यह बैंक की विश्वसनीयता को कम कर सकता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
उच्च CAR अर्थव्यवस्था में नकदी की उपलब्धता को कम कर सकता है, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है। निम्न CAR से आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं, लेकिन यह वित्तीय अस्थिरता का जोखिम बढ़ाता है।
निवेशकों पर प्रभाव: उच्च CAR वाले बैंक निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक होते हैं, क्योंकि वे कम जोखिम वाले माने जाते हैं।
भारतीय संदर्भ में CAR
RBI नीतियां: RBI ने बासेल III मानकों को लागू करते हुए भारतीय बैंकों के लिए कड़े CAR मानक निर्धारित किए हैं। 3 जून 2025 तक, न्यूनतम CAR 11.5% है, लेकिन कई बैंक इससे अधिक (12-16%) CAR बनाए रखते हैं।
उदाहरण: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): ~13-14% CAR (2023-24 डेटा के आधार पर, नवीनतम के लिए जांच आवश्यक)। HDFC बैंक: ~18-19% CAR, जो RBI की आवश्यकता से काफी अधिक है।
चुनौतियां: भारतीय बैंकों, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets - NPAs) के कारण पूंजी जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरकार और RBI इन बैंकों में पूंजी निवेश के माध्यम से समर्थन करते हैं। कोविड-19 प्रभाव: महामारी के दौरान, RBI ने बैंकों को पूंजी संरक्षण बफर में कुछ छूट दी थी ताकि वे अधिक उधार दे सकें, लेकिन CAR की न्यूनतम आवश्यकता बनी रही।
उदाहरण:- यदि किसी बैंक की टियर 1 पूंजी 400 करोड़ रुपये, टियर 2 पूंजी 100 करोड़ रुपये, और RWA 4000 करोड़ रुपये है, तो: $$CAR = \frac{400 + 100}{4000} \times 100 = 12.5\%$$ यदि RBI की न्यूनतम CAR आवश्यकता 11.5% है, तो यह बैंक अनुपालन में है।
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