Cash Reserve Ratio
jp Singh
2025-06-03 10:31:05
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नकद आरक्षित अनुपात (CRR) क्या है/Cash Reserve Ratio
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) क्या है/Cash Reserve Ratio
CRR वह न्यूनतम प्रतिशत है, जो बैंकों को अपनी NDTL का नकदी के रूप में RBI के पास जमा करना होता है। यह नकदी RBI के पास ब्याज-मुक्त रहती है, जिसका अर्थ है कि बैंक इस राशि पर कोई ब्याज नहीं कमाते। CRR का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करना और बैंकों की तरलता सुनिश्चित करना है।
उदाहरण: यदि CRR 4% है और किसी बैंक की NDTL 1000 करोड़ रुपये है, तो उसे 40 करोड़ रुपये (1000 × 4%) RBI के पास नकदी के रूप में जमा करने होंगे।
CRR की विशेषताएं
अनिवार्य आवश्यकता: सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, और कुछ अन्य वित्तीय संस्थानों को CRR का पालन करना होता है।
केवल नकदी: CRR के तहत जमा राशि केवल नकदी के रूप में RBI के पास रखी जाती है, न कि सरकारी प्रतिभूतियों या सोने जैसे अन्य परिसंपत्तियों में, जैसा कि SLR में होता है।
ब्याज-मुक्त: RBI इस जमा राशि पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं देता, जिससे यह बैंकों के लिए एक लागत बन जाता है।
NDTL पर आधारित: NDTL में मांग जमा (Demand Deposits, जैसे बचत और चालू खाते) और सावधि जमा (Time Deposits, जैसे सावधि जमा) शामिल होते हैं।
परिवर्तनशील दर: RBI आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर CRR को समायोजित करता है। वर्तमान में (2025 तक), CRR सामान्यतः 4.5% के आसपास है, लेकिन सटीक दर के लिए RBI की नवीनतम नीति की जांच आवश्यक है।
नकदी नियंत्रण: CRR बढ़ाने से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन रहता है, जबकि CRR कम करने से उधार देने की क्षमता बढ़ती है।
CRR का उद्देश्य
नकदी प्रवाह नियंत्रण: CRR अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा को नियंत्रित करता है। उच्च CRR से नकदी कम होती है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है, जबकि निम्न CRR से नकदी बढ़ती है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
वित्तीय स्थिरता: यह सुनिश्चित करता है कि बैंकों के पास आपातकालीन स्थिति (जैसे अचानक निकासी) के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध हो।
मुद्रास्फीति नियंत्रण: उच्च CRR बाजार में नकदी को कम करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करता है।
बैंकों का अनुशासन: CRR बैंकों को अनुशासित तरीके से उधार देने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वे जोखिमपूर्ण ऋण देने से बचें।
मौद्रिक नीति का हिस्सा: CRR, SLR, रेपो दर, और रिवर्स रेपो दर के साथ मिलकर RBI की मौद्रिक नीति को लागू करने में मदद करता है।
CRR का कार्यप्रणाली
गणना: CRR की गणना बैंकों की NDTL के आधार पर की जाती है। NDTL में बचत खाते, चालू खाते, और सावधि जमा शामिल होते हैं।
जमा: बैंकों को अपनी NDTL का CRR द्वारा निर्धारित प्रतिशत RBI के पास नकदी के रूप में जमा करना होता है। यह राशि RBI के पास एक विशेष खाते में रखी जाती है।
रिपोर्टिंग: बैंक नियमित रूप से (आमतौर पर हर पखवाड़े) RBI को अपनी CRR स्थिति की रिपोर्ट देते हैं। इसका उल्लंघन करने पर RBI द्वारा दंड (जैसे जुर्माना) लगाया जा सकता है।
समायोजन: RBI आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर CRR को बढ़ा या घटा सकता है
उच्च CRR: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, जैसे कि कीमतों में तेज वृद्धि होने पर।
निम्न CRR: आर्थिक मंदी या विकास को प्रोत्साहित करने के लिए।
भारतीय संदर्भ में CRR
वर्तमान स्थिति: 3 जून 2025 तक, CRR सामान्यतः 4.5% के आसपास है, लेकिन सटीक दर के लिए RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा की जांच आवश्यक है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान (2020-2021), RBI ने CRR को 4% से घटाकर 3% किया था ताकि बैंकों को अधिक उधार देने की क्षमता मिले।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: पहले CRR काफी अधिक (8-10%) हुआ करता था, लेकिन समय के साथ RBI ने इसे कम किया ताकि बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो।
प्रभाव: CRR का उपयोग भारत में नकदी प्रवाह को नियंत्रित करने और मुद्रास्फीति को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
CRR के प्रभाव
बैंकों पर प्रभाव
उच्च CRR: बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन रहता है, क्योंकि अधिक नकदी RBI के पास जमा रहती है। इससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।
निम्न CRR: बैंकों को अधिक उधार देने की स्वतंत्रता मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ सकती है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
उच्च CRR से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन होता है, जिससे होम लोन, कार लोन आदि की ब्याज दरें बढ़ सकती हैं।
निम्न CRR से सस्ते ऋण उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
उच्च CRR: नकदी प्रवाह कम होता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है, लेकिन आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।
निम्न CRR: नकदी प्रवाह बढ़ता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, लेकिन मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम होता है।
मुद्रास्फीति पर प्रभाव: उच्च CRR मुद्रास्फीति को कम करने में मदद करता है, जबकि निम्न CRR इसे बढ़ा सकता है।
उदाहरण:- यदि किसी बैंक की NDTL 2000 करोड़ रुपये है और CRR 4.5% है, तो उसे 90 करोड़ रुपये (2000 × 4.5%) RBI के पास नकदी में जमा करने होंगे। इससे बैंक के पास उधार देने के लिए केवल 1910 करोड़ रुपये बचेगा। यदि RBI CRR को 4.5% से घटाकर 4% करता है, तो बैंक को केवल 80 करोड़ रुपये जमा करने होंगे, जिससे उसके पास उधार देने के लिए 10 करोड़ रुपये अतिरिक्त होंगे।
Conclusion
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