Statutory Liquidity Ratio
jp Singh
2025-06-03 10:27:39
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) क्या है/Statutory Liquidity Ratio
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) क्या है/Statutory Liquidity Ratio
SLR वह न्यूनतम प्रतिशत है, जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि (NDTL) का सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities), नकदी, सोना, या अन्य RBI द्वारा अनुमोदित तरल परिसंपत्तियों में निवेश करना होता है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों की तरलता सुनिश्चित करना और अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करना है।
उदाहरण: यदि SLR 18% है और किसी बैंक की NDTL 1000 करोड़ रुपये है, तो उसे 180 करोड़ रुपये (1000 × 18%) तरल परिसंपत्तियों में रखने होंगे।
SLR की विशेषताएं
अनिवार्य आवश्यकता: सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, और कुछ अन्य वित्तीय संस्थानों को SLR का पालन करना होता है।
तरल परिसंपत्तियां: SLR को पूरा करने के लिए बैंक निम्नलिखित में निवेश कर सकते हैं
नकदी (Cash)
सोना (Gold)
सरकारी प्रतिभूतियां (Government Securities), जैसे ट्रेजरी बिल्स और सरकारी बांड
RBI द्वारा अनुमोदित अन्य सुरक्षित परिसंपत्तियां
NDTL पर आधारित: NDTL में मांग जमा (Demand Deposits, जैसे चालू और बचत खाते) और सावधि जमा (Time Deposits, जैसे सावधि जमा) शामिल होते हैं।
परिवर्तनशील दर: RBI समय-समय पर आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर SLR को समायोजित करता है। वर्तमान में (2025 तक), SLR सामान्यतः 18% के आसपास है, लेकिन सटीक दर के लिए RBI की नवीनतम नीति की जांच आवश्यक है।
नकदी प्रवाह नियंत्रण: SLR बढ़ाने से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन रहता है, जबकि SLR कम करने से उधार देने की क्षमता बढ़ती है।
SLR का उद्देश्य
तरलता सुनिश्चित करना: SLR यह सुनिश्चित करता है कि बैंकों के पास आपातकालीन स्थिति (जैसे अचानक निकासी) में पर्याप्त तरल परिसंपत्तियां हों।
नकदी नियंत्रण: यह अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करता है। उच्च SLR से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन रहता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है।
सरकारी उधार में सहायता: SLR के तहत बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होता है, जो सरकार को अपने घाटे (Fiscal Deficit) को वित्तपोषित करने में मदद करता है।
वित्तीय स्थिरता: यह बैंकों को जोखिमपूर्ण उधार से बचाने और वित्तीय प्रणाली को स्थिर रखने में मदद करता है।
मुद्रास्फीति और विकास में संतुलन: SLR का उपयोग RBI द्वारा मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है।
SLR का कार्यप्रणाली
गणना: SLR की गणना बैंकों की NDTL के आधार पर की जाती है। NDTL में बचत खाते, चालू खाते, और सावधि जमा शामिल होते हैं।
निवेश: बैंकों को अपनी NDTL का एक निश्चित प्रतिशत (SLR दर) तरल परिसंपत्तियों में रखना होता है। यह राशि नकदी, सोना, या सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में हो सकती है।
रिपोर्टिंग: बैंक नियमित रूप से RBI को अपनी SLR स्थिति की रिपोर्ट देते हैं, और इसका उल्लंघन करने पर दंड (जैसे जुर्माना) लगाया जा सकता है।
समायोजन: RBI आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर SLR को बढ़ा या घटा सकता है। उदाहरण के लिए:
उच्च SLR: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, जैसे कि कीमतों में तेज वृद्धि होने पर।
निम्न SLR: आर्थिक मंदी के दौरान बैंकों को अधिक उधार देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए।
भारतीय संदर्भ में SLR
वर्तमान स्थिति: 3 जून 2025 तक, SLR सामान्यतः 18% के आसपास है, लेकिन सटीक दर के लिए RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा की जांच आवश्यक है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान (2020-2021), RBI ने SLR और CRR को कम करके बैंकों को अधिक उधार देने की क्षमता प्रदान की थी।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: पहले SLR काफी अधिक (20-25%) हुआ करता था, लेकिन समय के साथ RBI ने इसे कम किया ताकि बैंकों को अधिक उधार देने की स्वतंत्रता मिले।
प्रभाव: भारत में SLR का उपयोग न केवल तरलता प्रबंधन के लिए, बल्कि सरकारी उधार (जैसे बांड और ट्रेजरी बिल्स) को समर्थन देने के लिए भी किया जाता है।
SLR के प्रभाव
बैंकों पर प्रभाव
उच्च SLR: बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन रहता है, जिससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है। निम्न SLR: बैंकों को अधिक उधार देने की स्वतंत्रता मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ सकती है।
उपभोक्ताओं पर प्रभा
उच्च SLR से बैंकों के पास उधार देने के लिए कम धन होता है, जिससे होम लोन, कार लोन आदि की ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। निम्न SLR से सस्ते ऋण उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
उच्च SLR: नकदी प्रवाह कम होता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है, लेकिन आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।
निम्न SLR: नकदी प्रवाह बढ़ता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, लेकिन मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम होता है।
सरकार पर प्रभाव: SLR के तहत बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश सरकार को अपने घाटे को वित्तपोषित करने में मदद करता है।
उदाहरण:- यदि किसी बैंक की NDTL 5000 करोड़ रुपये है और SLR 18% है, तो उसे 900 करोड़ रुपये (5000 × 18%) तरल परिसंपत्तियों (जैसे सरकारी बांड या नकदी) में रखने होंगे। इससे बैंक के पास उधार देने के लिए केवल 4100 करोड़ रुपये बचेगा। यदि RBI SLR को 18% से घटाकर 17% करता है, तो बैंक को केवल 850 करोड़ रुपये तरल परिसंपत्तियों में रखने होंगे, जिससे उसके पास उधार देने के लिए 50 करोड़ रुपये अतिरिक्त होंगे।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781