What is Bank Rate
jp Singh
2025-06-03 10:19:44
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बैंक रेट क्या है/What is Bank Rate
बैंक रेट क्या है/What is Bank Rate
बैंक रेट वह ब्याज दर है, जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों को दीर्घकालिक ऋण देता है, आमतौर पर बिना किसी प्रतिभूति (सिक्योरिटीज) के। यह मुख्य रूप से बैंकों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो रेपो दर या MSF की तुलना में अधिक दीर्घकालिक और महंगा होता है।
बैंक रेट की विशेषताएं
दीर्घकालिक उधार: बैंक रेट का उपयोग दीर्घकालिक ऋण के लिए किया जाता है, जबकि रेपो दर और MSF अल्पकालिक उधार के लिए हैं।
उच्च ब्याज दर: बैंक रेट सामान्यतः रेपो दर और MSF दर से अधिक होती है, क्योंकि यह बिना प्रतिभूतियों के ऋण होता है, जिसमें जोखिम अधिक होता है।
मौद्रिक नीति का हिस्सा: यह RBI की मौद्रिक नीति का एक हिस्सा है, जो बैंकों की उधार लागत को प्रभावित करता है और अर्थव्यवस्था में नकदी के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
सीमित उपयोग: बैंक रेट का उपयोग कम होता है, क्योंकि बैंक आमतौर पर रेपो दर या MSF जैसे सस्ते विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं।
बैंक रेट का महत्व
नकदी प्रबंधन: बैंक रेट बैंकों को दीर्घकालिक नकदी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है, खासकर जब अन्य स्रोत उपलब्ध न हों।
मुद्रास्फीति और आर्थिक स्थिरता: उच्च बैंक रेट से बैंकों के लिए उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे नकदी की आपूर्ति कम होती है और मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है। निम्न बैंक रेट आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
वित्तीय अनुशासन: उच्च बैंक रेट बैंकों को अनुशासित उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि यह एक महंगा विकल्प है।
भारतीय संदर्भ में बैंक रेट
भारत में, बैंक रेट RBI द्वारा तय की जाती है और यह सामान्यतः रेपो दर से अधिक होती है। उदाहरण के लिए, यदि रेपो दर 6.5% है, तो बैंक रेट 7% या अधिक हो सकती है।
बैंक रेट का उपयोग आमतौर पर तब होता है जब बैंक रेपो या MSF सुविधाओं की सीमा को पार कर चुके होते हैं या दीर्घकालिक नकदी की आवश्यकता होती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान, RBI ने बैंक रेट को अपेक्षाकृत स्थिर रखा, जबकि रेपो दर को कम करके अर्थव्यवस्था को सहारा दिया गया था।
3 जून 2025 तक, सटीक बैंक रेट जानने के लिए RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा की जांच आवश्यक है।
बैंक रेट के प्रभाव
बैंकों पर प्रभाव
बैंक रेट पर उधार लेना महंगा होता है, जिससे बैंक इस विकल्प का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में करते हैं। इससे बैंकों की उधार देने की लागत बढ़ सकती है, जिसका असर ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋण की ब्याज दरों पर पड़ता है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
उच्च बैंक रेट से बैंकों द्वारा दी जाने वाली ऋण की ब्याज दरें (जैसे होम लोन, कार लोन) बढ़ सकती हैं। उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ सकता है, क्योंकि ऋण लेना महंगा हो जाता है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
उच्च बैंक रेट अर्थव्यवस्था में नकदी की आपूर्ति को कम करता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है, लेकिन आर्थिक विकास धीमा हो सकता है। निम्न बैंक रेट आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है, लेकिन इसका उपयोग कम होता है।
उद्योगों पर प्रभाव
उच्च बैंक रेट से व्यवसायों के लिए ऋण महंगा हो सकता है, जिससे निवेश और विस्तार पर असर पड़ता है।
उदाहरण:- यदि बैंक रेट 7% है और रेपो दर 6.5% है, तो बैंक दीर्घकालिक नकदी की आवश्यकता के लिए RBI से 7% ब्याज दर पर उधार ले सकते हैं। यह रेपो दर की तुलना में महंगा है, इसलिए बैंक इसे केवल विशेष परिस्थितियों में उपयोग करते हैं, जैसे कि जब रेपो या MSF सुविधाएं उपलब्ध न हों।
बैंक रेट बनाम रेपो दर
रेपो दर अल्पकालिक और प्रतिभूतियों पर आधारित होती है, जबकि बैंक रेट दीर्घकालिक और बिना प्रतिभूतियों के होती है। बैंक रेट आमतौर पर रेपो दर से अधिक होती है, क्योंकि इसमें जोखिम अधिक होता है। रेपो दर का उपयोग नियमित नकदी प्रबंधन के लिए अधिक होता है, जबकि बैंक रेट का उपयोग विशेष परिस्थितियों में होता है।
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