International Code of Nomenclature for Plants
jp Singh
2025-05-30 14:22:43
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वनस्पति नामकरण का अंतरराष्ट्रीय कोड (International Code of Nomenclature for Plants)
वनस्पति नामकरण का अंतरराष्ट्रीय कोड (International Code of Nomenclature for Plants)
वनस्पति नामकरण का अंतरराष्ट्रीय कोड (International Code of Nomenclature for Plants)
वनस्पति नामकरण का अंतरराष्ट्रीय कोड (International Code of Nomenclature for Plants) पौधों के वैज्ञानिक नामकरण को मानकीकृत करने के लिए एक नियमावली है, जिसे International Code of Nomenclature for algae, fungi, and plants (ICN) कहा जाता है। इसे पहले International Code of Botanical Nomenclature (ICBN) के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2011 में मेलबर्न में हुए अंतरराष्ट्रीय वनस्पति कांग्रेस (International Botanical Congress) के बाद इसका नाम बदलकर ICN कर दिया गया। यह कोड पौधों, शैवाल, और कवक (जो अब पादप जगत से अलग माने जाते हैं) के वैज्ञानिक नामों को व्यवस्थित करने के लिए नियम और दिशानिर्देश प्रदान करता है।
वनस्पति नामकरण का अंतरराष्ट्रीय कोड (ICN) क्या है?
ICN एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत नियमावली है जो यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक पौधे (शैवाल, कवक, और पादप) का एक अद्वितीय और वैज्ञानिक नाम हो, जो विश्व स्तर पर मान्य हो। यह कोड वैज्ञानिक समुदाय को पौधों की पहचान, वर्गीकरण, और संचार में एकरूपता प्रदान करता है। इसका प्रबंधन International Association for Plant Taxonomy (IAPT) द्वारा किया जाता है, और इसे हर कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय वनस्पति कांग्रेस में अद्यतन किया जाता है।
ICN के प्रमुख सिद्धांत ICN कुछ मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है:
नामकरण की स्वतंत्रता: पादप, शैवाल, और कवक का नामकरण जंतु नामकरण (ICZN) और बैक्टीरिया नामकरण (ICNP) से स्वतंत्र है।
प्रकार सिद्धांत (Type Principle): प्रत्येक टैक्सन (वर्गीकरण स्तर, जैसे प्रजाति, वंश) का एक प्रकार नमूना (Type Specimen) होता है, जो उस टैक्सन का प्रतिनिधित्व करता है। यह नमूना किसी हर्बेरियम में संग्रहीत होता है।
प्राथमिकता का नियम (Priority Rule): सबसे पहले प्रकाशित वैध नाम को प्राथमिकता दी जाती है। यदि दो नाम उपलब्ध हैं, तो पुराना नाम मान्य होता है।
एकमात्रता (Uniqueness): प्रत्येक टैक्सन का केवल एक वैध वैज्ञानिक नाम हो सकता है। लैटिन भाषा: वैज्ञानिक नाम लैटिन या लैटिनीकृत रूप में होते हैं, क्योंकि लैटिन वैज्ञानिक संचार की सार्वभौमिक भाषा है। स्थिरता और सार्वभौमिकता: नामकरण नियम विश्व स्तर पर लागू होते हैं और स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं।
ICN के प्रमुख नियम
ICN में पौधों के नामकरण के लिए कई नियम और दिशानिर्देश हैं। कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं:
द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature):
यह कार्ल लिनियस द्वारा विकसित पद्धति है, जिसमें प्रत्येक पौधे को दो भागों वाला नाम दिया जाता है: वंश (Genus): पहला भाग, जो हमेशा संज्ञा होता है और बड़ा अक्षर (Capital Letter) से शुरू होता है। प्रजाति (Species): दूसरा भाग, जो विशेषण होता है और छोटा अक्षर (Lowercase) से शुरू होता है। उदाहरण: Mangifera indica (आम), Rosa indica (गुलाब)। नाम हमेशा इटैलिक में लिखे जाते हैं या रेखांकित किए जाते हैं।
प्रकाशन की आवश्यकता:
कोई नाम तभी वैध माना जाता है जब वह किसी वैज्ञानिक पत्रिका या पुस्तक में औपचारिक रूप से प्रकाशित हो। प्रकाशन में नाम, विवरण, और प्रकार नमूना (Type Specimen) का उल्लेख होना चाहिए। उदाहरण: लिनियस की पुस्तक Species Plantarum (1753) को पौधों के नामकरण का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है।
प्रकार नमूना (Type Specimen):
प्रत्येक प्रजाति या टैक्सन का एक प्रकार नमूना होता है, जो हर्बेरियम में संग्रहीत होता है। यह उस प्रजाति की पहचान का आधार होता है। उदाहरण: यदि कोई नई प्रजाति खोजी जाती है, तो उसका एक नमूना (जैसे पत्ती, फूल) हर्बेरियम में जमा किया जाता है।
प्राथमिकता और समानार्थक (Priority and Synonyms):
यदि किसी पौधे के लिए एक से अधिक नाम प्रकाशित होते हैं, तो सबसे पहले प्रकाशित वैध नाम को प्राथमिकता दी जाती है। अन्य नाम समानार्थक (Synonyms) कहलाते हैं और उपयोग नहीं किए जाते। उदाहरण: यदि Rosa indica को बाद में Rosa bengalensis नाम दिया गया, लेकिन Rosa indica पहले प्रकाशित हुआ, तो Rosa indica ही मान्य होगा।
संशोधन और परिवर्तन:
यदि नई आनुवंशिक या विकासात्मक जानकारी से पता चलता है कि कोई पौधा गलत टैक्सन में रखा गया है, तो उसका नाम बदला जा सकता है। उदाहरण: कुछ शैवाल, जो पहले पादप जगत में थे, अब डीएनए विश्लेषण के आधार पर प्रोटिस्टा में रखे गए हैं।
लेखक का उल्लेख (Author Citation):
वैज्ञानिक नाम के साथ उस वैज्ञानिक का नाम भी लिखा जाता है जिसने प्रजाति का नामकरण किया। उदाहरण: Mangifera indica L., जहाँ
हाइब्रिड और खेती वाले पौधे:
हाइब्रिड पौधों के लिए विशेष नियम हैं, जैसे नाम के बीच
ICN के प्रमुख नियमों का अनुप्रयोग
नामों की स्थिरता:
ICN यह सुनिश्चित करता है कि नाम बार-बार न बदलें, जिससे वैज्ञानिक संचार में भ्रम न हो। वैधता: केवल वे नाम मान्य हैं जो ICN के नियमों के अनुसार प्रकाशित और पंजीकृत हों।
संरक्षण (Conservation):
यदि कोई नाम बहुत प्रचलित है, लेकिन तकनीकी रूप से अमान्य है, तो उसे संरक्षित किया जा सकता है।
हर्बेरियम और डेटाबेस:
नामकरण की जानकारी हर्बेरियम, जैसे Kew Gardens, और डेटाबेस, जैसे The Plant List या World Flora Online, में संग्रहीत होती है।
ICN का महत्व
वैश्विक एकरूपता: ICN यह सुनिश्चित करता है कि विश्व भर में प्रत्येक पौधे का एक ही वैज्ञानिक नाम हो, जिससे भ्रम से बचा जा सके। उदाहरण: आम को भारत में
वैज्ञानिक संचार: वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, और कृषकों के बीच पौधों की सटीक पहचान में मदद। जैव विविधता संरक्षण: लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान और संरक्षण में सहायता।
कृषि और औषधीय उपयोग: उपयोगी पौधों (जैसे औषधीय, खाद्य) की सटीक पहचान।
विकास का अध्ययन: नामकरण विकासात्मक संबंधों को समझने में मदद करता है, खासकर डीएनए विश्लेषण के साथ।
ICN के कुछ उदाहरण
आम (Mangifera indica L.):
वंश: Mangifera, प्रजाति: indica, लेखक: लिनियस (L.)।
यह द्विबीजपत्री एंजियोस्पर्म है, कुल: Anacardiaceae।
गेहूँ (Triticum aestivum L.):
वंश: Triticum, प्रजाति: aestivum, लेखक: लिनियस।
यह एकबीजपत्री एंजियोस्पर्म है, कुल: Poaceae।
मॉस (Funaria hygrometrica Hedw.):
वंश: Funaria, प्रजाति: hygrometrica, लेखक: Hedwig। यह ब्रायोफाइटा समूह का पौधा है।
ICN में हाल के परिवर्तन
2011 (मेलबर्न कोड): ICBN का नाम ICN में बदला गया, और कवक व शैवाल को शामिल किया गया।
इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन: 2012 से ऑनलाइन प्रकाशित नाम भी मान्य हैं, बशर्ते वे PDF प्रारूप में हों और ISSN/ISBN के साथ पंजीकृत हों।
डीएनए आधारित नामकरण: आनुवंशिक डेटा का उपयोग अब नामकरण और वर्गीकरण में बढ़ रहा है, विशेष रूप से APG (Angiosperm Phylogeny Group) सिस्टम के लिए।
अतिरिक्त शाखाएँ
पादप जैव रसायन (Plant Biochemistry): परिभाषा: पौधों में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं और यौगिकों का अध्ययन। अध्ययन क्षेत्र: एंजाइम, प्रोटीन, शर्करा, और माध्यमिक मेटाबोलाइट्स (जैसे एल्कलॉइड, टेरपेन)। उदाहरण: नीम में एजाडिरैक्टिन (कीट निरोधक) का अध्ययन।
महत्व: औषधीय यौगिकों और जैव रासायनिक मार्गों की खोज।
पादप विकासवादी जीव विज्ञान (Plant Evolutionary Biology):
परिभाषा: पौधों के विकास और उनकी उत्पत्ति का अध्ययन। अध्ययन क्षेत्र: फाइलोजेनी, प्रजातियों का निर्माण, और अनुकूलन। उदाहरण: शैवाल से एंजियोस्पर्म तक का विकास।
महत्व: पौधों की विविधता और विकास को समझना।
नवीनतम प्रगति और भविष्य
आनुवंशिक अनुसंधान: डीएनए सीक्वेंसिंग और CRISPR ने वनस्पति विज्ञान को क्रांतिकारी बनाया है।
जलवायु परिवर्तन: पौधों की पर्यावरणीय अनुकूलता का अध्ययन, जैसे सूखा-सहिष्णु फसलें।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): पौधों की प्रजातियों की पहचान और रोग निदान में AI का उपयोग।
अंतरिक्ष में वनस्पति: अंतरिक्ष स्टेशनों में पौधों की खेती का अध्ययन।
वनस्पति विज्ञान की विशिष्ट शाखाएँ
1. पादप आणविक जीव विज्ञान (Plant Molecular Biology)
परिभाषा: यह पौधों में आणविक स्तर पर होने वाली प्रक्रियाओं, जैसे डीएनए, आरएनए, और प्रोटीन की संरचना, कार्य, और अंतःक्रियाओं का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: जीन अभिव्यक्ति: जीन का सक्रिय होना और प्रोटीन निर्माण। एपिजेनेटिक्स: जीन अभिव्यक्ति में गैर-आनुवंशिक परिवर्तन, जैसे डीएनए मिथाइलेशन। सिग्नलिंग मार्ग: पर्यावरणीय संकेतों (जैसे प्रकाश, तापमान) का पौधों पर प्रभाव। ट्रांसक्रिप्टोमिक्स: पौधों में सभी आरएनए अणुओं का विश्लेषण। नवीनतम प्रगति: RNAi (RNA Interference): जीन साइलेंसिंग के लिए उपयोग, जैसे रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने में। सिंगल-सेल RNA सीक्वेंसिंग: पौधों की कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति का सूक्ष्म विश्लेषण। उदाहरण: Arabidopsis thaliana (एक मॉडल पौधा) में जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन।
महत्व: रोग-प्रतिरोधी और पर्यावरणीय तनाव-सहिष्णु फसलों का विकास, औषधीय यौगिकों की खोज।
2. पादप जैव सूचना विज्ञान (Plant Bioinformatics)
परिभाषा: यह जैव सूचना विज्ञान की तकनीकों का उपयोग करके पौधों के आनुवंशिक और जैव रासायनिक डेटा का विश्लेषण करती है। अध्ययन क्षेत्र: जीनोम विश्लेषण: पौधों के पूर्ण जीनोम का अनुक्रमण और मैपिंग। प्रोटिओमिक्स: पौधों में प्रोटीन की संरचना और कार्य का अध्ययन। डेटाबेस प्रबंधन: जैसे The Plant List, TAIR (The Arabidopsis Information Resource)। मशीन लर्निंग: प्रजातियों की पहचान और रोग निदान के लिए। नवीनतम प्रगति: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): पौधों की प्रजातियों और रोगों की पहचान के लिए AI मॉडल। बिग डेटा विश्लेषण: लाखों जीन अनुक्रमों का विश्लेषण। उदाहरण: चावल (Oryza sativa) के जीनोम का डेटाबेस विश्लेषण।
महत्व: जेनेटिक डेटा का उपयोग फसलों के सुधार और जैव विविधता अध्ययन में।
3. पादप माइकोलॉजी (Plant Mycology)
परिभाषा: यह पौधों के साथ कवकों (Fungi) के संबंधों का अध्ययन करती है, विशेष रूप से सहजीवी और रोगजनक कवकों पर। अध्ययन क्षेत्र: माइकोराइजा: जड़ों और कवकों का सहजीवी संबंध, जो पोषक अवशोषण में मदद करता है। रोगजनक कवक: जैसे रस्ट, ब्लाइट, और पाउडरी मिल्ड्यू। लायकेन: शैवाल और कवक का सहजीवी संबंध। नवीनतम प्रगति: जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा कवक का उपयोग रोगजनक कवकों के खिलाफ। माइकोराइजा आधारित कृषि: मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए। उदाहरण: गेहूँ में रस्ट रोग (Puccinia कवक) का अध्ययन।
महत्व: फसलों की सुरक्षा, मृदा स्वास्थ्य, और पारिस्थितिक संतुलन।
4. पादप जैव ऊर्जा विज्ञान (Plant Bioenergy)
परिभाषा: यह पौधों से जैव ईंधन (Biofuel) और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: जैव ईंधन: इथेनॉल (गन्ना, मक्का) और बायोडीजल (जटरोफा)। लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास: पौधों की लकड़ी और रेशों से ऊर्जा। पौधों का संशोधन: उच्च बायोमास उत्पादन के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग। नवीनतम प्रगति: शैवाल आधारित जैव ईंधन: माइक्रोएल्गी से बायोडीजल उत्पादन। सिंथेटिक बायोलॉजी: पौधों में ऊर्जा उत्पादन मार्गों का डिज़ाइन। उदाहरण: जटरोफा (Jatropha curcas) से बायोडीजल।
महत्व: नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन में कमी, और पर्यावरणीय स्थिरता।
5. पादप इम्यूनोलॉजी (Plant Immunology)
परिभाषा: यह पौधों की प्रतिरक्षा प्रणाली और रोगजनकों के खिलाफ उनकी रक्षा तंत्र का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएँ: रोगजनकों (वायरस, बैक्टीरिया, कवक) के खिलाफ रासायनिक और भौतिक रक्षा। हाइपरसेंसिटिव रिस्पॉन्स: रोगग्रस्त कोशिकाओं का स्व-विनाश। सिग्नलिंग: सैलिसिलिक एसिड और जेस्मोनिक एसिड जैसे हार्मोन की भूमिका। नवीनतम प्रगति: CRISPR-आधारित प्रतिरक्षा: रोग प्रतिरोधक जीन का संपादन। RNA साइलेंसिंग: वायरस के खिलाफ पौधों की रक्षा। उदाहरण: टमाटर में बैक्टीरियल विल्ट के खिलाफ प्रतिरक्षा का अध्ययन।
महत्व: रोग-प्रतिरोधी फसलों का विकास, कृषि उत्पादकता में सुधार।
6. पादप न्यूरोबायोलॉजी (Plant Neurobiology)
परिभाषा: यह पौधों में सिग्नलिंग और पर्यावरणीय संकेतों के प्रति प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है, जो तंत्रिका तंत्र जैसे व्यवहार को दर्शाता है। अध्ययन क्षेत्र: सिग्नल ट्रांसडक्शन: विद्युतीय और रासायनिक संकेतों का प्रसार। संवेदनशीलता: प्रकाश, स्पर्श, और गुरुत्वाकर्षण के प्रति प्रतिक्रियाएँ। पौधों की स्मृति: पर्यावरणीय तनाव की स्मृति, जैसे सूखा। नवीनतम प्रगति: विद्युतीय सिग्नलिंग: पौधों में तंत्रिका-जैसे संकेतों का अध्ययन। स्पर्शानुवर्तन: मिमोसा प्यूडिका (छुईमुई) में तेजी से प्रतिक्रिया। उदाहरण: वीनस फ्लाईट्रैप (Dionaea muscipula) में कीट पकड़ने की प्रक्रिया।
महत्व: पौधों की पर्यावरणीय अनुकूलता और बुद्धिमत्ता को समझना।
7. पादप मेटाबोलाइट्स विज्ञान (Plant Metabolomics)
परिभाषा: यह पौधों में उपापचयी यौगिकों (Metabolites) और उनके जैव रासायनिक मार्गों का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: प्राइमरी मेटाबोलाइट्स: शर्करा, प्रोटीन, लिपिड। सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स: एल्कलॉइड, टेरपेन, फ्लेवोनॉइड। मेटाबोलाइट प्रोफाइलिंग: मास स्पेक्ट्रोमेट्री से विश्लेषण। नवीनतम प्रगति: हाई-थ्रूपुट विश्लेषण: हजारों मेटाबोलाइट्स का एक साथ अध्ययन। औषधीय यौगिक: नए एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल यौगिकों की खोज। उदाहरण: नीम में एजाडिरैक्टिन (कीट निरोधक) का विश्लेषण।
महत्व: औषधीय और औद्योगिक यौगिकों की खोज, पौधों की रासायनिक विविधता।
8. पादप नैनोबॉटनी (Plant Nanobotany)
परिभाषा: यह नैनोटेक्नोलॉजी का उपयोग पौधों के अध्ययन और अनुप्रयोग में करती है। अध्ययन क्षेत्र: नैनोकण: पौधों में पोषक तत्वों या दवाओं का वितरण। नैनोसेंसर: पौधों में तनाव या रोगों का पता लगाना। नैनो-संशोधन: पौधों की संरचना में सुधार। नवीनतम प्रगति: नैनो-उर्वरक: पोषक तत्वों की दक्षता बढ़ाने के लिए। नैनो-कीटनाशक: कम मात्रा में प्रभावी कीटनाशक। उदाहरण: नैनोकणों द्वारा मक्का में नाइट्रोजन वितरण।
महत्व: टिकाऊ कृषि, पर्यावरणीय प्रभाव में कमी।
9. पादप फेनोलॉजी (Plant Phenology)
परिभाषा: यह पौधों के जीवन चक्र की घटनाओं (जैसे फूलना, फलना) और पर्यावरणीय कारकों के साथ उनके संबंध का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: मौसमी परिवर्तन: फूलने और अंकुरण का समय। जलवायु प्रभाव: तापमान और वर्षा का प्रभाव। परागण: परागणकों (जैसे मधुमक्खी) के साथ समन्वय। नवीनतम प्रगति: जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग से फूलने के समय में बदलाव। रिमोट सेंसिंग: उपग्रह डेटा से फेनोलॉजिकल पैटर्न का अध्ययन। उदाहरण: आम के फूलने का समय और जलवायु का प्रभाव।
महत्व: कृषि समयबद्धता, जैव विविधता संरक्षण।
10. पादप अंतरिक्ष जीव विज्ञान (Plant Space Biology)
परिभाषा: यह अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि, विकास, और व्यवहार का अध्ययन है। अध्ययन क्षेत्र: गुरुत्वाकर्षण प्रभाव: सूक्ष्म गुरुत्व में पौधों की वृद्धि। प्रकाश और विकिरण: अंतरिक्ष में प्रकाश और कॉस्मिक विकिरण का प्रभाव। हाइड्रोपोनिक्स: अंतरिक्ष में मिट्टी-रहित खेती। नवीनतम प्रगति: ISS प्रयोग: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में सलाद और गेहूँ की खेती। मंगल मिशन: मंगल पर पौधों की खेती की संभावनाएँ।उदाहरण: Arabidopsis thaliana का अंतरिक्ष में अंकुरण।
महत्व: अंतरिक्ष मिशनों में खाद्य उत्पादन, ऑक्सीजन आपूर्ति।
इन विशिष्ट शाखाओं का महत्व
आधुनिक अनुसंधान: आणविक जीव विज्ञान, जैव सूचना विज्ञान, और नैनोबॉटनी जैसे क्षेत्र पौधों के अध्ययन को क्रांतिकारी बना रहे हैं।
टिकाऊ कृषि: जैव ऊर्जा, इम्यूनोलॉजी, और मेटाबोलाइट्स विज्ञान पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करते हैं।
नवाचार: अंतरिक्ष जीव विज्ञान और न्यूरोबायोलॉजी पौधों की नई संभावनाओं को खोलते हैं।
औषधीय और औद्योगिक उपयोग: मेटाबोलाइट्स और माइकोलॉजी से नए यौगिकों की खोज।
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