Revolutionary movements abroad
jp Singh
2025-05-29 10:43:36
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विदेशों में क्रन्तिकारी आंदोलन
विदेशों में क्रन्तिकारी आंदोलन
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विदेशों में क्रांतिकारी आंदोलनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये आंदोलन मुख्य रूप से उन भारतीय प्रवासियों द्वारा संचालित किए गए, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र और वैचारिक संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते थे। विदेशों में क्रांतिकारी गतिविधियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया और अन्य क्षेत्रों में फैली थीं। इनका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन को कमजोर करना, हथियार और धन जुटाना, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्थन जुटाना था। नीचे विदेशों में क्रांतिकारी आंदोलनों का संक्षिप्त अवलोकन दिया गया है
1. गदर आंदोलन (1913-1917)
उद्भव: गदर आंदोलन की शुरुआत 1913 में उत्तरी अमेरिका (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा) में बसे भारतीय प्रवासियों, विशेषकर पंजाबी सिखों, द्वारा की गई। यह आंदोलन हिंदुस्तान गदर पार्टी द्वारा संचालित था, जिसकी स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भाकना, और करतार सिंह सराभा जैसे नेताओं ने की। मुख्यालय: सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में "युगांतर आश्रम"। उद्देश्य: भारतीयों को सशस्त्र क्रांति के लिए प्रेरित करना और ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना। गतिविधियां: प्रकाशन: "गदर" नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया गया, जो हिंदी, पंजाबी, और उर्दू में छपता था। यह क्रांतिकारी विचारधारा और ब्रिटिश अत्याचारों को उजागर करता था। विदेशों में भारतीयों को संगठित कर हथियार और धन जुटाना। 1915 में, गदर कार्यकर्ताओं ने भारत में सशस्त्र विद्रोह की योजना बनाई, जिसे "फरवरी विद्रोह" कहा गया। हालांकि, यह योजना ब्रिटिश खुफिया तंत्र के कारण विफल रही।
प्रभाव: गदर आंदोलन ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना जगाई और भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रेरित किया।
2. बर्लिन कमेटी (1915)
स्थापना: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी में भारतीय क्रांतिकारियों ने इंडियन इंडिपेंडेंस कमेटी (बर्लिन कमेटी) की स्थापना की। इसका नेतृत्व वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय, भूपेंद्रनाथ दत्त, और लाला हरदयाल ने किया। उद्देश्य: जर्मनी जैसे ब्रिटिश विरोधी देशों के समर्थन से भारत में क्रांति भड़काना। गतिविधियां: जर्मनी और तुर्की के सहयोग से भारतीय सैनिकों (विशेषकर युद्धबंदियों) को ब्रिटिश सेना के खिलाफ भड़काना। हथियारों की तस्करी की योजना, जैसे बाघा जतिन के नेतृत्व में बंगाल में हथियार लाने की कोशिश। अफगानिस्तान और दक्षिण-पूर्व एशिया में क्रांतिकारी गतिविधियों का समन्वय। परिणाम: कमेटी की कई योजनाएं विफल रहीं, लेकिन इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाया।
3. इंडिया हाउस, लंदन (1905-1910)
स्थापना: श्यामजी कृष्ण वर्मा ने लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना की, जो भारतीय छात्रों और क्रांतिकारियों का केंद्र बन गया। प्रमुख नेता: विनायक दामोदर सावरकर, मदन लाल ढींगरा, और अन्य। गतिविधियां: क्रांतिकारी साहित्य का प्रकाशन, जैसे "इंडियन सोशियोलॉजिस्ट" और "तलवार" पत्रिका। भारतीय छात्रों को क्रांतिकारी विचारधारा से प्रेरित करना और हथियारों का प्रशिक्षण देना। 1909 में, मदन लाल ढींगरा ने लंदन में ब्रिटिश अधिकारी कर्जन वायली की हत्या की, जो एक महत्वपूर्ण घटना थी। प्रभाव: इंडिया हाउस ने ब्रिटिश साम्राज्य के दिल में स्वतंत्रता की मांग को मजबूत किया, लेकिन ब्रिटिश दमन के कारण इसे बंद कर दिया गया।
4. अन्य विदेशी क्रांतिकारी गतिविधियां
जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया: रास बिहारी बोस ने जापान में क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व किया और बाद में आजाद हिंद फौज (1942) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी और जापान के सहयोग से ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा दिया। रूस और कम्युनिस्ट प्रभाव: कुछ क्रांतिकारी, जैसे एम.एन. रॉय, रूस में कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हुए और भारत में समाजवादी क्रांति की वकालत की। अमेरिका में अन्य गतिविधियां: गदर आंदोलन के अलावा, अमेरिका में भारतीय प्रवासियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए धन और समर्थन जुटाया।
5. प्रमुख विशेषताएं
वैश्विक नेटवर्क: विदेशी क्रांतिकारी आंदोलनों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को वैश्विक मंच प्रदान किया। प्रेरणा: यूरोपीय क्रांतियां, आयरिश स्वतंत्रता आंदोलन, और रूसी क्रांति ने इन आंदोलनों को प्रभावित किया। हथियार और धन: विदेशों में क्रांतिकारियों ने हथियार, विस्फोटक, और धन जुटाने की कोशिश की, जो भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए भेजे गए। प्रचार: समाचार पत्र, पत्रिकाएं, और पर्चे छापकर जनता को जागृत करने का प्रयास किया गया।
6. प्रभाव और सीमाएं
प्रभाव: विदेशी क्रांतिकारी आंदोलनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को प्रचारित किया। भारतीय प्रवासियों में राष्ट्रीय चेतना का प्रसार हुआ। सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन पर दबाव बढ़ाया। सीमाएं: ब्रिटिश खुफिया तंत्र ने कई योजनाओं को विफल कर दिया। विदेशों में सीमित संसाधनों और समन्वय की कमी ने आंदोलनों को कमजोर किया। भारत में बड़े पैमाने पर जन समर्थन की कमी।
7. प्रमुख क्रांतिकारी और उनके योगदान
लाला हरदयाल: गदर आंदोलन और बर्लिन कमेटी के प्रणेता। श्यामजी कृष्ण वर्मा: इंडिया हाउस के संस्थापक और क्रांतिकारी विचारक। वी.डी. सावरकर: इंडिया हाउस में क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रेरित किया। रास बिहारी बोस: जापान से क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन और आजाद हिंद फौज की नींव। सुभाष चंद्र बोस: आजाद हिंद फौज के माध्यम से सशस्त्र क्रांति को वैश्विक स्तर पर ले गए।
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