Indian National Congress (INC)
jp Singh
2025-05-29 10:29:55
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress - INC)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress - INC)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress - INC)
स्थापना: वर्ष: 28 दिसंबर 1885, बॉम्बे में। संस्थापक: एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (A.O. Hume), एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश सिविल सेवक, जिन्होंने भारतीय बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर इसकी स्थापना की। प्रमुख प्रारंभिक नेता: दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, डब्ल्यू.सी. बनर्जी (प्रथम अध्यक्ष), और गोपाल कृष्ण गोखले। प्रथम अधिवेशन: बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में आयोजित, जिसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उद्देश्य: भारतीयों की समस्याओं को ब्रिटिश सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना। स्वशासन (Self-Governance) और भारतीयों के लिए प्रशासनिक सुधारों की मांग। राष्ट्रीय एकता और जागरूकता को बढ़ावा देना।
विकास के चरण
1. उदारवादी चरण (1885-1905): विशेषताएं: संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीकों (प्रार्थना पत्र, प्रस्ताव, और सभाएं) पर जोर। मध्यम वर्ग और शिक्षित भारतीयों (वकील, शिक्षक, पत्रकार) का नेतृत्व। ब्रिटिश शासन के भीतर सुधारों की मांग, जैसे सिविल सेवा में भारतीयों की भागीदारी, करों में कमी, और विधायी परिषदों में प्रतिनिधित्व। प्रमुख नेता: दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता। उपलब्धियां: दादाभाई नौरोजी ने "धन निष्कासन सिद्धांत" के माध्यम से ब्रिटिश आर्थिक शोषण को उजागर किया। 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम के तहत सीमित विधायी सुधार। सीमाएं: यह चरण मुख्य रूप से शहरी मध्यम वर्ग तक सीमित था, और ग्रामीण जनता तक इसकी पहुंच कम थी। ब्रिटिश सरकार ने इन मांगों को गंभीरता से नहीं लिया।
. उग्रवादी चरण (1905-1919): पृष्ठभूमि: लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन (1905) ने राष्ट्रीय भावनाओं को भड़काया, जिससे स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन शुरू हुआ। विशेषताएं: स्वराज (पूर्ण स्वशासन) की मांग। स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा और ब्रिटिश माल के बहिष्कार पर जोर। जन-आंदोलनों और प्रत्यक्ष कार्रवाई की शुरुआत। प्रमुख नेता: बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय (लाल-बाल-पाल)। मुख्य घटनाएं: स्वदेशी आंदोलन (1905): बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी और बहिष्कार को अपनाया गया। सूरत विभाजन (1907): कांग्रेस में उदारवादी और उग्रवादी गुटों में विभाजन। मोर्ले-मिंटो सुधार (1909): भारतीयों को सीमित विधायी प्रतिनिधित्व, लेकिन सांप्रदायिक निर्वाचन की शुरुआत।
महत्व: इस चरण ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक आधार दिया और जनता को संगठित किया। तिलक का नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बना।
3. गांधीवादी चरण (1915-1947): महात्मा गांधी का आगमन: 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन-आंदोलन में बदल दिया। विशेषताएं: सत्याग्रह, अहिंसा, और असहयोग की रणनीतियां। ग्रामीण जनता, किसानों, और मजदूरों की व्यापक भागीदारी। सामाजिक सुधारों (जैसे छुआछूत विरोध, स्वदेशी) को राष्ट्रीय आंदोलन के साथ जोड़ा। प्रमुख आंदोलन: चंपारण सत्याग्रह (1917): बिहार में नील किसानों के लिए। खेड़ा सत्याग्रह (1918): गुजरात में किसानों के लिए कर माफी। असहयोग आंदोलन (1920-22): खिलाफत आंदोलन के साथ गठबंधन; विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार। सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34): दांडी नमक सत्याग्रह (1930) के साथ शुरू, नमक कानून तोड़ा गया। भारत छोड़ो आंदोलन (1942): "करो या मरो" का नारा; स्वतंत्रता की मांग को तेज किया। प्रमुख नेता: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, सरोजिनी नायडू।
महत्व: कांग्रेस ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक और समावेशी बनाया। महिलाओं और विभिन्न सामाजिक समूहों की भागीदारी बढ़ी। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज (1942) के माध्यम से सशस्त्र संघर्ष को बढ़ावा दिया।
4. स्वतंत्रता की ओर (1945-1947): द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव: युद्ध ने ब्रिटिश शक्ति को कमजोर किया, जिससे स्वतंत्रता की मांग तेज हुई। मुख्य घटनाएं: क्रिप्स मिशन (1942): स्वशासन का प्रस्ताव, लेकिन असफल। वेवेल योजना (1945): अंतरिम सरकार की स्थापना का प्रयास, लेकिन विफल। कैबिनेट मिशन (1946): संविधान सभा और अंतरिम सरकार का प्रस्ताव। माउंटबेटन योजना (1947): भारत का विभाजन और स्वतंत्रता। स्वतंत्रता: 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन विभाजन के साथ भारत और पाकिस्तान दो देश बने। कांग्रेस की प्रमुख उपलब्धियां: राष्ट्रीय एकता: कांग्रेस ने विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों, और सामाजिक समूहों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया।
जन-आंदोलन: गांधीजी के नेतृत्व में कांग्रेस ने राष्ट्रीय आंदोलन को ग्रामीण और शहरी जनता तक पहुंचाया। स्वतंत्रता: कांग्रेस के नेतृत्व में भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की। सामाजिक सुधार: छुआछूत विरोध, स्वदेशी, और स्त्री शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाया। नेतृत्व विकास: गांधी, नेहरू, पटेल, और बोस जैसे नेताओं ने वैश्विक स्तर पर भारत की आवाज को मजबूत किया।
चुनौतियां: उदारवादी-उग्रवादी विभाजन: 1907 के सूरत विभाजन ने कांग्रेस को कमजोर किया। सांप्रदायिकता: मुस्लिम लीग (1906) और सांप्रदायिक विभाजन ने एकता को चुनौती दी। आंतरिक मतभेद: गांधी और बोस जैसे नेताओं के बीच रणनीतियों को लेकर मतभेद। विभाजन: स्वतंत्रता के साथ भारत का विभाजन और सांप्रदायिक हिंसा एक दुखद परिणाम थी।
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