Sargent Scheme
jp Singh
2025-05-29 10:16:39
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सार्जेंट योजना
सार्जेंट योजना
सार्जेंट योजना
सार्जेंट योजना की मुख्य विशेषताएं
शिक्षा का ढांचा: पूर्व-प्राथमिक शिक्षा: 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए नर्सरी स्कूलों की स्थापना। प्राथमिक शिक्षा: 6-11 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 5 वर्ष की अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा। माध्यमिक शिक्षा: 11-17 वर्ष की आयु के लिए 6 वर्ष की शिक्षा, जिसमें सामान्य और व्यावसायिक शिक्षा शामिल थी। उच्च शिक्षा: विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर। वयस्क शिक्षा: साक्षरता और निरक्षरता उन्मूलन के लिए विशेष कार्यक्रम। 40-वर्षीय योजना: इस योजना को पूरी तरह लागू करने के लिए 40 वर्ष का समय निर्धारित किया गया था। इसका लक्ष्य था कि 40 वर्षों में भारत में सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा और साक्षरता सुनिश्चित की जाए। प्राथमिक शिक्षा: 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या बढ़ाने पर जोर।
मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्राथमिकता। माध्यमिक और व्यावसायिक शिक्षा: माध्यमिक शिक्षा को दो भागों में विभाजित किया गया: सामान्य शिक्षा और व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा। 11-14 वर्ष के लिए जूनियर हाई स्कूल और 14-17 वर्ष के लिए सीनियर हाई स्कूल। व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना। उच्च और तकनीकी शिक्षा: विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कठोर मानदंड। तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नए संस्थानों की स्थापना। शिक्षक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान। वयस्क और सामाजिक शिक्षा: निरक्षरता को दूर करने के लिए वयस्क शिक्षा कार्यक्रम। सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को शिक्षा का हिस्सा बनाने का सुझाव।
वित्तीय प्रावधान: योजना के लिए अनुमानित लागत 200 करोड़ रुपये थी, जिसे केंद्र और प्रांतीय सरकारों के बीच साझा किया जाना था। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के लिए विशेष बजट। प्रभाव और सीमाएं: प्रभाव: यह योजना भारत में आधुनिक और व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली की नींव रखने का पहला बड़ा प्रयास थी। इसने अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। स्वतंत्रता के बाद भारत की शिक्षा नीतियों (जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति) पर इसका प्रभाव देखा गया। सीमाएं: योजना को लागू करने के लिए 40 वर्ष का समय अव्यवहारिक माना गया। ब्रिटिश शासन के अंतिम चरण में होने के कारण इसका पूर्ण कार्यान्वयन नहीं हो सका।
वित्तीय संसाधनों और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती थी। कुछ आलोचकों ने इसे औपनिवेशिक हितों को ध्यान में रखकर बनाया हुआ माना।
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jp Singh
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