Wardha Scheme
jp Singh
2025-05-29 10:15:51
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
शिक्षा की वर्घा योजना
शिक्षा की वर्घा योजना
वर्धा योजना (Wardha Scheme), जिसे बुनियादी शिक्षा योजना (Basic Education Scheme) के रूप में भी जाना जाता है, 1937 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्रस्तावित की गई थी। इसे गांधीजी के नई तालीम (Nai Talim) के दर्शन पर आधारित किया गया था और इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा को ग्रामीण और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना था। इस योजना की रूपरेखा वर्धा (महाराष्ट्र) में आयोजित एक शिक्षा सम्मेलन में तैयार की गई थी, और इसे 1938 में जाकिर हुसैन समिति द्वारा विस्तार से विकसित किया गया।
वर्धा योजना की मुख्य विशेषताएं
मातृभाषा में शिक्षा: शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए ताकि बच्चे अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़े रहें। बुनियादी शिक्षा: शिक्षा को प्राथमिक स्तर (7 से 14 वर्ष की आयु) तक अनिवार्य और निःशुल्क करना। शिक्षा का केंद्र ग्रामीण जीवन और हस्तशिल्प (जैसे बुनाई, कताई, कृषि, और लकड़ी का काम) होना चाहिए, जिससे बच्चे आत्मनिर्भर बनें। उत्पादक कार्य पर आधारित शिक्षा: शिक्षा का आधार हस्तशिल्प और उत्पादक कार्य होना चाहिए, जिससे बच्चे सीखते समय आर्थिक रूप से उत्पादक बन सकें। यह विचार गांधीजी के "हाथ, हृदय और मस्तिष्क" के समन्वय पर आधारित था। स्वावलंबन और सामाजिक समानता: शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करना था। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने का प्रयास था।
पाठ्यक्रम: पाठ्यक्रम में हस्तशिल्प, सामाजिक अध्ययन, सामान्य विज्ञान, गणित, और सामाजिक कार्य शामिल थे। खेल, कला, और नैतिक शिक्षा पर भी जोर दिया गया। शिक्षक की भूमिका: शिक्षकों को न केवल शिक्षक, बल्कि मार्गदर्शक और समुदाय के नेतृत्वकर्ता के रूप में देखा गया। शिक्षकों को हस्तशिल्प और व्यावहारिक कार्यों में प्रशिक्षित होना आवश्यक था। जाकिर हुसैन समिति (1938): इस समिति ने वर्धा योजना को लागू करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए। इसने 7 वर्ष की प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य करने और इसके लिए वित्तीय व्यवस्था पर जोर दिया। समिति ने सुझाव दिया कि शिक्षा का खर्च आंशिक रूप से हस्तशिल्प से उत्पन्न आय से पूरा किया जाए।
प्रभाव और चुनौतियां: प्रभाव: वर्धा योजना ने ग्रामीण भारत में शिक्षा को प्रासंगिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसने आत्मनिर्भरता और सामाजिक समानता के विचार को बढ़ावा दिया। कई राज्यों, विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में, इस योजना के तहत बुनियादी स्कूल स्थापित किए गए। चुनौतियां: ब्रिटिश सरकार ने इस योजना को पूर्ण समर्थन नहीं दिया, जिसके कारण इसका व्यापक कार्यान्वयन नहीं हो सका। हस्तशिल्प पर आधारित शिक्षा को लागू करने में संसाधनों और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी एक बड़ी बाधा थी। कुछ आलोचकों ने इसे आधुनिक शिक्षा की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं माना।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781