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Congress Socialist Party, CSP
jp Singh 2025-05-28 17:20:30
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काँग्रेस सनाजवादी दल

काँग्रेस सनाजवादी दल
कांग्रेस समाजवादी दल (Congress Socialist Party, CSP) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण वामपंथी-समाजवादी संगठन था, जिसका गठन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के भीतर समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए हुआ। यह दल स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए समर्पित था।
गठन: स्थापना: कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना मई 1934 में पटना में हुई थी। संस्थापक: प्रमुख नेताओं में जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, यूसुफ मेहरअली, राम मनोहर लोहिया, और मीनू मसानी शामिल थे। उद्देश्य: CSP का गठन कांग्रेस के भीतर समाजवादी विचारधारा को मजबूत करने, साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष को तेज करने, और सामाजिक-आर्थिक समानता के लिए काम करने के लिए किया गया था। यह पूँजीवाद और सामंती व्यवस्था के खिलाफ था। पृष्ठभूमि: 1930 के दशक में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई युवा नेता, विशेषकर जयप्रकाश नारायण, मार्क्सवाद और समाजवाद से प्रभावित थे। उन्हें लगता था कि कांग्रेस की नीतियाँ मध्यमवर्गीय और पूँजीवादी हितों को अधिक बढ़ावा दे रही थीं।
1931: जयप्रकाश नारायण और अन्य ने बिहार में एक समाजवादी समूह बनाया, जो बाद में राष्ट्रीय स्तर पर CSP के रूप में संगठित हुआ। CSP ने कांग्रेस के ढाँचे के भीतर रहकर काम किया, लेकिन स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक क्रांति पर भी जोर दिया। प्रमुख गतिविधियाँ और योगदान: स्वतंत्रता संग्राम: CSP ने सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय भागीदारी की। इसके नेताओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सत्याग्रह और जेल यात्राएँ कीं। जयप्रकाश नारायण को 1942 में गिरफ्तारी के बाद हजारीबाग जेल से भागने के लिए जाना जाता है। किसान और श्रमिक आंदोलन: CSP ने किसानों और श्रमिकों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने अखिल भारतीय किसान सभा के साथ मिलकर जमींदारी प्रथा और शोषण के खिलाफ आंदोलन चलाए। यूसुफ मेहरअली ने 'किसान मार्च' और अन्य ग्रामीण आंदोलनों को प्रेरित किया।
वैचारिक प्रभाव: CSP ने मार्क्सवाद और गांधीवादी विचारों का मिश्रण प्रस्तुत किया। यह पूर्ण समाजवाद की वकालत करता था, लेकिन हिंसक क्रांति के बजाय लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीकों पर जोर देता था। इसने भूमि सुधार, औद्योगीकरण, और सामाजिक समानता जैसे मुद्दों को कांग्रेस के एजेंडे में शामिल करने की कोशिश की। विघटन और बाद का विकास: 1948 में अलगाव: स्वतंत्रता के बाद, CSP के नेताओं ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया, क्योंकि वे कांग्रेस की नीतियों को पर्याप्त समाजवादी नहीं मानते थे। इसके परिणामस्वरूप, CSP ने समाजवादी पार्टी (Socialist Party) के रूप में स्वतंत्र अस्तित्व अपनाया। 1952: समाजवादी पार्टी और किसान मजदूर प्रजा पार्टी (नेतृत्व: जे.बी. कृपलानी) के विलय से प्रजा समाजवादी पार्टी (PSP) बनी।
बाद के विभाजन: जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं के बीच मतभेदों के कारण समाजवादी आंदोलन कई धड़ों में बँट गया। लोहिया ने संयुक्त समाजवादी पार्टी (SSP) बनाई। जयप्रकाश नारायण का योगदान: 1970 के दशक में, जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन (1974-75) का नेतृत्व किया, जो आपातकाल (1975-77) के खिलाफ एक बड़ा जन-आंदोलन बना। प्रभाव और विरासत: कांग्रेस पर प्रभाव: CSP ने कांग्रेस को समाजवादी नीतियों, जैसे भूमि सुधार और श्रमिक कल्याण, की ओर झुकाने में मदद की। नेहरू की समाजवादी नीतियों में CSP का प्रभाव देखा जा सकता है।
समाजवादी आंदोलन: CSP ने भारत में समाजवादी आंदोलन को मजबूत किया और बाद में कई समाजवादी दलों (जैसे PSP, SSP, और जनता पार्टी) का आधार तैयार किया। नेतृत्व: जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, और अन्य नेताओं ने भारतीय राजनीति में समाजवादी विचारधारा को लोकप्रिय बनाया। चुनौतियाँ: कांग्रेस के साथ तनाव: CSP को कांग्रेस के भीतर रहते हुए वैचारिक स्वतंत्रता बनाए रखने में कठिनाई हुई। आंतरिक मतभेद: मार्क्सवाद, गांधीवाद, और लोकतांत्रिक समाजवाद के बीच संतुलन बनाना मुश्किल रहा। विखंडन: स्वतंत्रता के बाद समाजवादी नेताओं के बीच मतभेदों ने CSP के प्रभाव को कम किया।
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