Rebellion of the Rampas
jp Singh
2025-05-28 13:29:59
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रंपा विद्रोह (1879)
रंपा विद्रोह (1879)
रंपा विद्रोह (Rampa Rebellion): रंपा विद्रोह दो अलग-अलग अवधियों में हुए, जो आंध्र प्रदेश के गोदावरी क्षेत्र (वर्तमान में अल्लूरी सीताराम राजू जिला) में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और जमींदारों के खिलाफ आदिवासियों (मुख्य रूप से कोया और कोंडा रेड्डी) द्वारा शुरू किए गए थे।
1. प्रथम रंपा विद्रोह (1879)
स्थान: रंपा क्षेत्र, गोदावरी एजेंसी (वर्तमान आंध्र प्रदेश)।
नेतृत्व: तम्मन्ना डोरा। कारण: ब्रिटिश राजस्व नीतियों और भारी करों का दबाव। ताड़ी (पाम वाइन) पर प्रतिबंध और अतिरिक्त कर, जो आदिवासियों की संस्कृति का हिस्सा था। ब्रिटिश समर्थित जमींदारों का शोषण। घटनाक्रम: मार्च 1879 में शुरू हुआ, जिसमें विद्रोहियों ने चोडावरम पुलिस स्टेशन पर हमला किया और हथियार लूटे। विद्रोह गोलकोंडा पहाड़ियों और भद्राचलम तक फैला। परिणाम: ब्रिटिश सेना ने विद्रोह को दबा दिया। तम्मन्ना डोरा मारा गया, और कई विद्रोहियों को अंडमान जेल भेजा गया। यह विद्रोह आदिवासियों की स्वायत्तता और संस्कृति की रक्षा का प्रतीक था।
2. द्वितीय रंपा विद्रोह (1922-24)
स्थान: रंपा क्षेत्र, गोदावरी एजेंसी। नेतृत्व: अल्लूरी सीताराम राजू, जिन्हें "मन्यम वीरुडु" (जंगल का वीर) कहा जाता है। कारण: 1882 का मद्रास वन अधिनियम, जिसने पोडु खेती (शिफ्टिंग कल्टिवेशन) और जंगल संसाधनों पर प्रतिबंध लगाया। ब्रिटिश द्वारा सड़क निर्माण में जबरन मजदूरी और जंगल का व्यावसायिक उपयोग। जमींदारों और व्यापारियों का शोषण। घटनाक्रम: अगस्त 1922 में शुरू हुआ, जिसमें अल्लूरी ने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। चिंतापल्ली, कृष्णादेवीपेटा, और राजवोम्मंगी जैसे पुलिस स्टेशनों पर हमले किए गए। विद्रोहियों ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वराज के विचारों को अपनाया।
परिणाम: मई 1924 में अल्लूरी को पकड़कर गोली मार दी गई। विद्रोह को दबा दिया गया, लेकिन इसने आदिवासियों की शक्ति को उजागर किया। 2022 में विद्रोह की शताब्दी पर डाक टिकट जारी किए गए। महत्व: दोनों विद्रोह आदिवासियों के जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा के लिए थे। अल्लूरी सीताराम राजू आज भी आंध्र प्रदेश में एक लोक नायक हैं, और उनकी जयंती (4 जुलाई) राज्य में उत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह विद्रोह राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान का प्रतीक है और फिल्म RRR के लिए प्रेरणा बनी। तुलना (पाइक, फकीर, मुंडा, नील, पाबना, दक्कन, अवध, मोपला, और कूका से): पाइक विद्रोह (1817): सैन्य विद्रोह, ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ, जबकि रंपा आदिवासी और जंगल अधिकारों पर केंद्रित था।
फकीर विद्रोह (1760-1800): धार्मिक समुदायों द्वारा गुरिल्ला युद्ध, जबकि रंपा में आदिवासी और आर्थिक तत्व प्रमुख थे। मुंडा विद्रोह (1899-1900): आदिवासी और धार्मिक पुनर्जनन, रंपा से मिलता-जुलता, लेकिन रंपा में राष्ट्रीय स्वतंत्रता का प्रभाव अधिक था। नील आंदोलन (1859-60): नील बागान मालिकों के खिलाफ, शांतिपूर्ण, जबकि रंपा हिंसक और गुरिल्ला युद्ध पर आधारित था। पाबना विद्रोह (1873-76): जमींदारों के खिलाफ शांतिपूर्ण, जबकि रंपा आदिवासी और ब्रिटिश विरोधी था। दक्कन दंगे (1875): साहूकारों के खिलाफ हिंसक, रंपा से मिलते-जुलते, लेकिन रंपा में आदिवासी और जंगल तत्व प्रमुख थे।
अवध किसान सभा (1918-22): जमींदारों के खिलाफ, गांधीवादी प्रभाव में, जबकि रंपा सशस्त्र और आदिवासी था। मोपला विद्रोह (1921): जमींदारों और ब्रिटिश के खिलाफ, खिलाफत से प्रेरित, जबकि रंपा में धार्मिक तत्व कम थे। कूका आंदोलन (1871-72): धार्मिक सुधार और सशस्त्र विद्रोह, जबकि रंपा आदिवासी और आर्थिक था। रामोसी विद्रोह (1822-29): मराठा गौरव और अकाल से प्रेरित, रंपा की तरह गुरिल्ला युद्ध पर आधारित, लेकिन रंपा आदिवासी और जंगल केंद्रित था।
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