Pike Rebellion (1817)
jp Singh
2025-05-28 13:06:54
searchkre.com@gmail.com /
8392828781
पाइक विद्रोह (1817)
पाइक विद्रोह (1817)
पाइक विद्रोह (1817) ओडिशा में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों के खिलाफ पाइक समुदाय द्वारा शुरू किया गया एक सशस्त्र विद्रोह था। इसे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में भी जाना जाता है।
मुख्य बिंदु: नेतृत्व: बक्शी जगबंधु विद्याधर ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया। कारण: ब्रिटिश राजस्व नीतियों और करों का दमनकारी बोझ। 1803 में खुर्दा पर ब्रिटिश कब्जे के बाद पाइकों की शक्ति और प्रतिष्ठा में कमी। पुरी के जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन छीने जाने से धार्मिक भावनाओं को ठेस। विस्तार: विद्रोह खुर्दा से शुरू होकर पुर्ल, पीपली, कटक, और घुमसुर (वर्तमान गंजम और कंधमाल) तक फैला। इसमें स्थानीय राजाओं, जमींदारों, ग्राम प्रधानों, किसानों और आदिवासियों का समर्थन मिला।
घटनाक्रम: विद्रोहियों ने ब्रिटिश प्रतीकों जैसे पुलिस थानों, प्रशासकीय कार्यालयों और खजाने पर हमले किए। शुरुआत में विद्रोहियों को कुछ सफलताएँ मिलीं, लेकिन तीन महीनों में ब्रिटिश सेना ने इसे दबा दिया। परिणाम: व्यापक दमन हुआ, कई विद्रोहियों को जेल में डाला गया या मार दिया गया। बक्शी जगबंधु को 1825 में गिरफ्तार किया गया और 1829 में कैद में उनकी मृत्यु हो गई। कुछ विद्रोहियों ने 1819 तक गुरिल्ला युद्ध जारी रखा। महत्व: ओडिशा में इसे वीरता का प्रतीक माना जाता है, और 2017 में इसकी 200वीं वर्षगाँठ पर भारत सरकार ने इसे इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में "प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" के रूप में शामिल किया।
हालांकि, केंद्र सरकार ने बाद में इसे आधिकारिक तौर पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मानने से इनकार किया, लेकिन इसे NCERT की कक्षा 8 की इतिहास की किताब में केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया। पाइक कौन थे? पाइक ओडिशा के गजपति शासकों की पारंपरिक किसान मिलिशिया थे, जो युद्ध में सैन्य सेवाएँ देते थे और शांतिकाल में खेती करते थे। वे तीन श्रेणियों में बँटे थे: प्रहरी (तलवारधारी), बनुआ (तीरंदाज), और धेनकिया (तलवार और ढालधारी)।
वाद: कुछ इतिहासकारों, विशेषकर केरल के, ने इस विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा देने पर सवाल उठाए, क्योंकि 1817 से पहले भी दक्षिण भारत में विद्रोह (जैसे 1806 का वेल्लोर विद्रोह) हुए थे।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh
searchkre.com@gmail.com
8392828781