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rajiv gandhi
jp Singh 2025-05-28 11:25:21
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राजीव गांधी

राजीव गांधी
इंदिरा गांधी की हत्या (31 अक्टूबर 1984) के बाद राजीव गांधी भारत के अगले प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989 तक रहा। राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 40 वर्ष की आयु में यह पद संभाला। वे एक आधुनिक सोच वाले नेता थे, जिन्होंने भारत को तकनीकी और आर्थिक प्रगति की ओर ले जाने की कोशिश की।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े बेटे थे। उनका छोटा भाई संजय गांधी भी एक राजनीतिक नेता था, लेकिन 1980 में उनकी मृत्यु हो गई थी। शिक्षा: राजीव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के दून स्कूल में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (ट्रिनिटी कॉलेज) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन डिग्री पूरी नहीं की। वे पढ़ाई में औसत थे, लेकिन तकनीक और विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। पेशेवर जीवन: भारत लौटने के बाद, राजीव ने 1968 में इंडियन एयरलाइंस में पायलट के रूप में प्रशिक्षण लिया और एक कमर्शियल पायलट के रूप में काम किया। वे राजनीति से दूर एक शांत और निजी जीवन जीना चाहते थे। विवाह: 1968 में, उन्होंने इटली की नागरिक सोनिया मैनो से विवाह किया, जिन्हें वे कैम्ब्रिज में मिले थे। उनके दो बच्चे हैं—राहुल गांधी और प्रियंका गांधी।
राजनीति में प्रवेश अनिच्छुक शुरुआत: राजीव गांधी की राजनीति में कोई विशेष रुचि नहीं थी। वे अपने भाई संजय गांधी के विपरीत, जो इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे, पर्दे के पीछे रहना पसंद करते थे। हालांकि, संजय की 1980 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद, इंदिरा गांधी ने राजीव को राजनीति में लाने का फैसला किया। सांसद के रूप में: 1981 में, राजीव ने संजय की लोकसभा सीट अमेठी (उत्तर प्रदेश) से उपचुनाव जीता और सांसद बने। वे जल्द ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता बन गए और अपनी माँ के साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने में जुट गए। युवा नेतृत्व: राजीव ने कांग्रेस के युवा विंग और संगठन को पुनर्जनन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी आधुनिक सोच और तकनीकी रुचि ने उन्हें युवा मतदाताओं के बीच लोकप्रिय बनाया।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, 31 अक्टूबर 1984 को राजीव गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सर्वसम्मति से अपना नेता चुना, और उसी दिन उन्हें भारत का सातवाँ प्रधानमंत्री बनाया गया। 1984 के आम चुनाव में, इंदिरा की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर के कारण कांग्रेस ने अभूतपूर्व जीत हासिल की, और राजीव गांधी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई।
प्रमुख नीतियाँ और उपलब्धियाँ
आर्थिक सुधार और आधुनिकीकरण: आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत: राजीव गांधी ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने और उदारीकरण की दिशा में शुरुआती कदम उठाए। उन्होंने निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया, आयात नियमों को शिथिल किया, और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की कोशिश की। प्रौद्योगिकी क्रांति: राजीव को भारत में
पंचायती राज और स्थानीय शासन: राजीव गांधी ने ग्रामीण भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को बढ़ावा दिया। उनकी सरकार ने पंचायतों को अधिक शक्ति और संसाधन देने के लिए नीतियाँ बनाईं, जो बाद में 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों (1992) का आधार बनीं। विदेश नीति: राजीव गांधी ने भारत की गुट-निरपेक्ष नीति को बनाए रखा और पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की। श्रीलंका में हस्तक्षेप: 1987 में, उनकी सरकार ने श्रीलंका में तमिल-सिंहली गृहयुद्ध को सुलझाने के लिए भारत-श्रीलंका समझौता किया। इसके तहत भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका भेजा गया, जो बाद में विवादास्पद साबित हुआ। मालदीव में हस्तक्षेप: 1988 में, मालदीव में तख्तापलट की कोशिश को रोकने के लिए भारत ने सैन्य हस्तक्षेप (ऑपरेशन कैक्टस) किया, जिसने भारत की क्षेत्रीय शक्ति को प्रदर्शित किया।
उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) को मजबूत करने में योगदान दिया। सामाजिक सुधार: शिक्षा नीति: 1986 में, उनकी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) लागू की, जिसने शिक्षा के प्रसार और गुणवत्ता सुधार पर ध्यान दिया। नवोदय विद्यालय जैसी योजनाएँ शुरू की गईं। महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ शुरू की गईं, और उनकी सरकार ने लैंगिक समानता पर जोर दिया। युवा सशक्तिकरण: राजीव ने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं, जैसे राष्ट्रीय युवा नीति।
चुनौतियाँ बोफोर्स घोटाला: 1987 में, बोफोर्स घोटाले ने राजीव गांधी की सरकार को हिला दिया। स्वीडन की बोफोर्स कंपनी से तोपों की खरीद में कथित रिश्वतखोरी के आरोप लगे, जिसमें राजीव और उनके करीबी सहयोगियों पर उँगलियाँ उठीं। यह घोटाला उनकी साफ-सुथरी छवि को नुकसान पहुँचाने वाला साबित हुआ। श्रीलंका में IPKF: श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) का हस्तक्षेप असफल रहा। LTTE (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) के साथ संघर्ष में कई भारतीय सैनिक मारे गए, और इसने राजीव की विदेश नीति की आलोचना को बढ़ावा दिया। पंजाब संकट: इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब में सिख आतंकवाद बढ़ गया था। राजीव ने पंजाब समझौता (1985) के माध्यम से शांति स्थापित करने की कोशिश की, जिसमें अकाली दल के नेता हरचंद सिंह लोंगोवाल के साथ समझौता हुआ। हालांकि, इस समझौते को लागू करना मुश्किल रहा, और आतंकवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।
आर्थिक अस्थिरता: राजीव की सरकार ने उदारीकरण की शुरुआत की, लेकिन भारत अभी भी आर्थिक संकटों, जैसे उच्च राजकोषीय घाटा और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी, से जूझ रहा था। इन समस्याओं का समाधान बाद में 1991 में हुआ। 1984 के सिख विरोधी दंगे: इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और अन्य शहरों में हुए सिख विरोधी दंगों ने राजीव की सरकार की शुरुआत को विवादास्पद बना दिया। उनकी टिप्पणी, “जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है,” को सिख समुदाय के प्रति असंवेदनशील माना गया, जिससे उनकी आलोचना हुई।
1989 का चुनाव और सत्ता से बाहर 1989 के आम चुनाव में, बोफोर्स घोटाले और अन्य मुद्दों के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी दलों, विशेषकर वी.पी. सिंह के नेतृत्व में जनता दल और अन्य गठबंधन, ने सरकार बनाई। राजीव गांधी विपक्ष के नेता बने।
बाद का जीवन और हत्या विपक्ष में भूमिका: 1989 से 1991 तक, राजीव गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई। वे 1991 के आम चुनाव में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे थे। हत्या: 21 मई 1991 को, तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान, LTTE की एक आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। यह हत्या श्रीलंका में IPKF के हस्तक्षेप के जवाब में थी। उनकी मृत्यु ने देश को झकझोर दिया और नेहरू-गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत को और गहरा किया। मरणोपरांत सम्मान: 1991 में, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
व्यक्तिगत विशेषताएँ और विचारधारा आधुनिक दृष्टिकोण: राजीव गांधी एक तकनीक-प्रेमी और प्रगतिशील नेता थे। उनकी सोच 21वीं सदी के भारत को आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने पर केंद्रित थी। सादगी: पायलट के रूप में अपने करियर के कारण, वे सादगी और अनुशासित जीवनशैली के लिए जाने जाते थे। युवा अपील: उनकी युवा छवि और आधुनिक विचारों ने उन्हें विशेषकर युवा मतदाताओं और शहरी मध्यम वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाया। विवाद: बोफोर्स घोटाला और श्रीलंका में IPKF का असफल हस्तक्षेप उनकी छवि को नुकसान पहुँचाने वाले प्रमुख मुद्दे थे। विरासत राजीव गांधी की विरासत भारतीय राजनीति और समाज में गहरी छाप छोड़ती है
तकनीकी क्रांति: भारत में IT और दूरसंचार क्रांति की नींव उनके कार्यकाल में रखी गई, जिसने भारत को वैश्विक IT हब बनने की दिशा में ले जाया। पंचायती राज: उनकी पंचायती राज की दृष्टि ने भारत में स्थानीय शासन को मजबूत किया। विदेश नीति: उनकी विदेश नीति ने भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर एक मजबूत स्थिति दी, हालांकि श्रीलंका में हस्तक्षेप विवादास्पद रहा। नेहरू-गांधी परिवार: उनकी हत्या ने नेहरू-गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत को और मजबूत किया। उनकी पत्नी सोनिया गांधी बाद में कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, और उनके बच्चे राहुल और प्रियंका भी सक्रिय राजनीति में हैं। स्मृति: उनके सम्मान में कई संस्थान और योजनाएँ शुरू की गईं, जैसे राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, और राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना। युवा नेतृत्व: राजीव गांधी ने भारत में युवा नेतृत्व को प्रेरित किया और आधुनिक भारत की नींव रखी।
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