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Uppuraan ka vivaran
jp Singh 2025-05-17 19:54:17
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उपनिषद का विवरण

Uppuraan ka vivaran
Uppuraan ka vivaran
उपपुराण हिंदू धर्म के उन ग्रंथों को कहते हैं जो 18 महापुराणों के अतिरिक्त हैं और इन्हें सहायक या गौण पुराण माना जाता है। ये भी वेदव्यास या उनके शिष्यों द्वारा संकलित माने जाते हैं और इनमें धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, और दार्शनिक विषयों का वर्णन होता है। उपपुराणों की संख्या भी 18 मानी जाती है, और ये महापुराणों की तुलना में अधिक विशिष्ट विषयों पर केंद्रित हो सकते हैं, जैसे किसी विशेष देवता, तीर्थ, या साधना।
1. सनत्कुमार पुराण
विवरण: यह उपपुराण सनत्कुमार (चार सनत्कुमारों में से एक) के उपदेशों पर आधारित है। इसमें सृष्टि, धर्म, और भक्ति का वर्णन है।
महत्व: यह भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान पर केंद्रित है, विशेष रूप से वैष्णव और शैव दर्शन को समेटता है।
प्रमुख विषय: सृष्टि की उत्पत्ति और मन्वंतरों का वर्णन। भक्ति और तपस्या के नियम। तीर्थों और व्रतों का महत्व।
विशेषता: यह उपपुराण संन्यास और आध्यात्मिक साधना पर जोर देता है।
2. नरसिंह पुराण
विवरण: यह भगवान विष्णु के नरसिंह (नर-शेर) अवतार को समर्पित है। इसमें नरसिंह की कथाएं, भक्ति, और तीर्थों का वर्णन है।
महत्व: यह वैष्णव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और नरसिंह की भक्ति को बढ़ावा देता है।
प्रमुख विषय: नरसिंह और हिरण्यकशिपु की कथा। नरसिंह पूजा के मंत्र और विधियां। भक्ति और रक्षा के सिद्धांत।
विशेषता: यह नरसिंह भक्ति और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है।
3. नंदी पुराण
विवरण: यह भगवान शिव के वाहन नंदी के नाम पर है। इसमें शिव भक्ति, तीर्थ, और कर्मकांड का वर्णन है।
महत्व: यह शैव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और शिव पूजा के नियमों को समझाता है।
प्रमुख विषय: शिव और नंदी की कथाएं। शिव लिंग पूजा और तीर्थों का महत्व। धर्म और साधना के नियम।
विशेषता: यह शिव भक्ति और तांत्रिक साधना पर केंद्रित है।
4. शिवरहस्य पुराण
विवरण: यह भगवान शिव के रहस्यमयी स्वरूप और उनकी लीलाओं पर आधारित है। इसमें शिव-पार्वती की कथाएं और तांत्रिक साधना का वर्णन है।
महत्व: यह शैव और तंत्र साधकों के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: शिव की महिमा और तांत्रिक पूजा। शिव-पार्वती विवाह और अन्य लीलाएं। तीर्थों और साधना के नियम।
विशेषता: यह तंत्र और शिव भक्ति का गहरा दर्शन प्रस्तुत करता है।
5. दुर्गा पुराण
विवरण: यह देवी दुर्गा की महिमा पर केंद्रित है। इसमें दुर्गा सप्तशती के समान कथाएं और शक्ति पूजा का वर्णन है।
महत्व: यह शाक्त भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और देवी पूजा के नियमों को समझाता है।
प्रमुख विषय: दुर्गा और महिषासुर की कथा। चंडी पाठ और देवी पूजा के मंत्र। शक्ति साधना और तीर्थों का महत्व।
विशेषता: यह शक्ति उपासना और तंत्र साधना का प्रमुख ग्रंथ है।
6. कपिल पुराण
विवरण: यह कपिल मुनि (सांख्य दर्शन के प्रणेता) के उपदेशों पर आधारित है। इसमें सांख्य दर्शन, भक्ति, और कर्म का वर्णन है।
महत्व: यह दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: सांख्य दर्शन के सिद्धांत। भक्ति और मोक्ष के उपाय। सृष्टि और प्रलय का वर्णन।
विशेषता: यह दर्शन और भक्ति का समन्वय प्रस्तुत करता है।
7. वामन पुराण (कभी-कभी उपपुराण माना जाता है)
विवरण: यह भगवान विष्णु के वामन अवतार पर आधारित है। इसमें वामन और राजा बलि की कथा, तीर्थ, और भक्ति का वर्णन है।
महत्व: यह वैष्णव भक्ति और दान के महत्व को दर्शाता है।
प्रमुख विषय: वामन अवतार की कथा। तीर्थों और व्रतों का महत्व। भक्ति और धर्म के सिद्धांत।
विशेषता: यह वैष्णव भक्ति के लिए प्रेरणादायक है।
8. उशनस पुराण
विवरण: यह शुक्राचार्य (उशनस) के नाम पर है, जो दैत्यों के गुरु थे। इसमें नीति, धर्म, और ज्योतिष का वर्णन है।
महत्व: यह नीति और ज्योतिष के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: नीति और शासन के सिद्धांत। ज्योतिष और कर्मकांड। धर्म और तीर्थों का महत्व।
विशेषता: यह नीति और ज्योतिष पर केंद्रित है।
9. मन्वंतर पुराण
विवरण: यह मन्वंतरों (मनु के युगों) पर आधारित है। इसमें सृष्टि, मनु की कथाएं, और धर्म का वर्णन है।
महत्व: यह सृष्टि और इतिहास के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: विभिन्न मन्वंतरों का वर्णन। सृष्टि और प्रलय की कथाएं। धर्म और कर्मकांड।
विशेषता: यह सृष्टि के चक्रीय स्वरूप को समझाता है।
10. वरुण पुराण
विवरण: यह वरुण देवता (जल के देवता) को समर्पित है। इसमें जल, तीर्थ, और धर्म का वर्णन है।
महत्व: यह तीर्थ और पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है।
प्रमुख विषय: वरुण देवता की महिमा। तीर्थों और जल स्रोतों का महत्व। धर्म और भक्ति के नियम।
विशेषता: यह जल और प्रकृति के संरक्षण पर जोर देता है।
11. कालिका पुराण
विवरण: यह देवी काली की महिमा पर आधारित है। इसमें काली पूजा, तंत्र, और शक्ति साधना का वर्णन है।
महत्व: यह शाक्त और तांत्रिक साधकों के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: काली और तारा की कथाएं। तंत्र साधना और मंत्र। शक्ति पूजा और तीर्थ।
विशेषता: यह तंत्र और शक्ति साधना का प्रमुख ग्रंथ है।
12. सांब पुराण
विवरण: यह सूर्य देव के पुत्र सांब को समर्पित है। इसमें सूर्य पूजा, ज्योतिष, और धर्म का वर्णन है।
महत्व: यह सूर्य भक्ति और ज्योतिष के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: सांब और सूर्य पूजा की कथाएं। ज्योतिष और सूर्य मंत्र। तीर्थों और व्रतों का महत्व।
विशेषता: यह सूर्य भक्ति और स्वास्थ्य के लिए प्रसिद्ध है।
13. सौर पुराण
विवरण: यह सूर्य देव को समर्पित है। इसमें सूर्य पूजा, ज्योतिष, और कर्मकांड का वर्णन है।
महत्व: यह सूर्य भक्ति और ज्योतिष के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: सूर्य देव की महिमा। सूर्य पूजा के मंत्र और विधियां। ज्योतिष और तीर्थों का महत्व।
विशेषता: यह सूर्य भक्ति और ऊर्जा के लिए प्रेरणादायक है।
14. पराशर पुराण
विवरण: यह पराशर मुनि (ज्योतिष के प्रणेता) के नाम पर है। इसमें ज्योतिष, धर्म, और नीति का वर्णन है।
महत्व: यह ज्योतिष और धर्म के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: ज्योतिष के सिद्धांत। धर्म और कर्मकांड। तीर्थों और व्रतों का महत्व।
विशेषता: यह ज्योतिष और नीति का प्रमुख ग्रंथ है।
15. मारीच पुराण
विवरण: यह मारीच मुनि के नाम पर है। इसमें धर्म, भक्ति, और तीर्थों का वर्णन है।
महत्व: यह भक्ति और तीर्थ यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: धर्म और भक्ति के सिद्धांत। तीर्थों और व्रतों का महत्व। सृष्टि और प्रलय का वर्णन।
विशेषता: यह भक्ति और तीर्थ पर केंद्रित है।
16. भार्गव पुराण
विवरण: यह भृगु मुनि (भार्गव) के नाम पर है। इसमें ज्योतिष, धर्म, और नीति का वर्णन है।
महत्व: यह ज्योतिष और धर्म के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: ज्योतिष और कर्मकांड। धर्म और तीर्थों का महत्व। सृष्टि और वंशावलियां।
विशेषता: यह ज्योतिष और नीति पर जोर देता है।
17. गणेश पुराण
विवरण: यह भगवान गणेश को समर्पित है। इसमें गणेश की कथाएं, पूजा विधियां, और भक्ति का वर्णन है।
महत्व: यह गणेश भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: गणेश का जन्म और लीलाएं। गणेश पूजा के मंत्र और विधियां। भक्ति और साधना के नियम।
विशेषता: यह गणेश भक्ति और विघ्न नाश के लिए प्रसिद्ध है।
18. हंस पुराण
विवरण: यह भगवान विष्णु के हंस अवतार पर आधारित है। इसमें भक्ति, योग, और दर्शन का वर्णन है।
महत्व: यह आध्यात्मिक साधना और योग के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रमुख विषय: हंस अवतार की कथा। योग और ध्यान के सिद्धांत। भक्ति और मोक्ष के उपाय।
विशेषता: यह योग और आध्यात्मिक साधना पर केंद्रित है।
उपपुराणों की विशेषताएं और महत्व
विशिष्टता: उपपुराण महापुराणों की तुलना में अधिक विशिष्ट विषयों पर केंद्रित हैं, जैसे किसी विशेष देवता (नरसिंह, गणेश, काली), तंत्र साधना, या ज्योतिष।
भक्ति और साधना: ये भक्ति, तंत्र, और कर्मकांड के नियमों को विस्तार से समझाते हैं, जो विशिष्ट समुदायों (वैष्णव, शैव, शाक्त) के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सांस्कृतिक महत्व: उपपुराणों ने स्थानीय परंपराओं, तीर्थों, और साधनाओं को संरक्षित किया है।
दार्शनिक और व्यावहारिक: कुछ उपपुराण (जैसे कपिल, पराशर) दर्शन और ज्योतिष जैसे व्यावहारिक विषयों पर जोर देते हैं, जबकि अन्य (जैसे गणेश, कालिका) भक्ति और तंत्र पर केंद्रित हैं।
प्रामाणिकता: उपपुराणों में कुछ अंश प्रक्षिप्त माने जाते हैं, लेकिन ये फिर भी हिंदू धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
महापुराण और उपपुराण में अंतर प्रमुखता: महापुराण अधिक व्यापक और प्रामाणिक माने जाते हैं, जबकि उपपुराण सहायक और विशिष्ट हैं। विषय: महापुराण सृष्टि, वंशावली, और धर्म पर विस्तृत हैं, जबकि उपपुराण किसी एक देवता, तंत्र, या ज्योतिष पर केंद्रित हो सकते हैं। प्रचार: महापुराण (जैसे भागवत, शिव) अधिक प्रसिद्ध हैं, जबकि उपपुराण विशिष्ट समुदायों में लोकप्रिय हैं।
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