Puran
jp Singh
2025-05-17 18:20:42
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पुराण
पुराण - भारतीय साहित्य और धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और समृद्ध अंग है। यह संस्कृत शब्द
पुराणों की परिभाषा
पुराण वे ग्रंथ हैं जो पांच लक्षणों से युक्त होते हैं, जिन्हें
1. सर्ग (सृष्टि की उत्पत्ति)
2. प्रतिसर्ग (सृष्टि का पुनः निर्माण)
3. वंश (देवताओं और ऋषियों के वंश)
4. मन्वंतर (मनुओं के युग)
5. वंशानुचरित (राजाओं की वंशावली और उनके चरित्र)
पुराणों की संख्या और वर्गीकरण
कुल 18 महापुराण माने जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं
पुराण का नाम - संबंधित देवता
1. ब्रह्मा पुराण - ब्रह्मा
2. पद्म पुराण - विष्णु
3. विष्णु पुराण - विष्णु
4. भागवत पुराण - विष्णु (कृष्ण) -
5. नारद पुराण - विष्णु -
6. मार्कण्डेय पुराण - दुर्गा -
7. अग्नि पुराण - अग्नि -
8. भागवत पुराण - कृष्ण -
9. वायु पुराण - वायु -
10. ब्रह्मवैवर्त पुराण - विष्णु -
11. लिंग पुराण - शिव -
12. वराह पुराण - विष्णु -
13. स्कन्द पुराण - कार्तिकेय -
14. वामन पुराण - विष्णु -
15. कूर्म पुराण - विष्णु -
16. मत्स्य पुराण - विष्णु -
17. गरुड़ पुराण - विष्णु -
18. --------------
पुराणों की विशेषताएँ
1. लोकभाषा में रचना: पुराणों की शैली सरल और आम जनमानस के लिए सुलभ थी।
2. कथात्मक शैली: संवाद, कथाएँ और उपाख्यानों के माध्यम से संदेश संप्रेषित किया गया।
3. धार्मिक समन्वय: इनमें शैव, वैष्णव, शाक्त आदि संप्रदायों को स्थान मिला।
4. नैतिक शिक्षा: धर्म, कर्म, पुनर्जन्म, पापपुण्य जैसे मूल्यों को स्थापित किया गया।
5. इतिहास और भूगोल का वर्णन: जैसे जंबूद्वीप, सप्तद्वीप, प्राचीन राजवंश आदि।
पुराणों की उपयोगिता
धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोगी
लोक संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखने में सहायक
साहित्य, कला और नाटक के लिए प्रेरणा स्रोत
इतिहास और समाजशास्त्र का महत्वपूर्ण स्रोत
1. पुराणों की विषयवस्तु
पुराण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं। इनमें जीवन, जगत, ब्रह्मांड और मानव व्यवहार के गूढ़ रहस्यों को सरल, रोचक और कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं
सृष्टि की उत्पत्ति और विकास (Cosmogony)
देवताओं की कथाएँ – शिव, विष्णु, ब्रह्मा, देवी आदि के जन्म, कार्य और अवतारों का वर्णन
दैत्यदेव संघर्ष, धर्मअधर्म का द्वंद्व
महान राजाओं की कथाएँ – हरिश्चंद्र, भरत, पुरुरवा, रघु, ययाति, युधिष्ठिर आदि
तीर्थों और पवित्र स्थलों की महिमा
धर्मशास्त्र और जीवन मूल्य – सत्य, क्षमा, दया, सेवा आदि
योग, तंत्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु आदि पर जानकारी
2. पुराणों की रचनाशैली
संवादात्मक शैली: पुराणों की रचना सामान्यतः गुरुशिष्य, ऋषिराजा या देवतामुनि संवाद के रूप में होती है। जैसे, सूतजी और शौनक मुनियों के बीच संवाद।
कथा के भीतर कथा (Story within a story): एक मुख्य कथा के भीतर कई उपकथाएँ चलती हैं।
अलंकारिक भाषा और श्लोकबद्ध रचना: इनमें साहित्यिक सौंदर्य का समृद्ध उपयोग होता है।
3. पुराणों का सामाजिक योगदान
पुराणों ने भारतीय समाज में एकता, धार्मिकता और नैतिकता को बनाए रखने में निम्नलिखित प्रकार से योगदान दिया
क्षेत्र - योगदान
धार्मिक एकता - विभिन्न देवीदेवताओं की कथाओं से सभी संप्रदायों को जोड़ा
सामाजिक शिक्षा - वर्ण, आश्रम, धर्म, स्त्री धर्म, कर्तव्य आदि को स्पष्ट किया
सांस्कृतिक संरक्षण - व्रत, पर्व, तीर्थ, नृत्य, संगीत, लोकाचार की जानकारी दी
स्त्री सम्मान - कई पुराणों में देवियों की महिमा और शक्ति का वर्णन मिलता है, जैसे दुर्गा सप्तशती (मार्कण्डेय पुराण से)
4. पुराणों की ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्ता
पुराणों में भारत के प्राचीन इतिहास और वंशावली (जैसे सूर्यवंश, चंद्रवंश) का विवरण है।
इतिहास और कल्पना का सुंदर मिश्रण – जिससे हमें समाज के विकासक्रम की झलक मिलती है।
पुराणों की कथाएँ कालांतर में नाटकों, कविताओं और लोकगीतों का आधार बनीं।
रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों की कथाओं को विस्तार देने का कार्य भी पुराणों ने किया (विशेषकर भागवत पुराण और विष्णु पुराण)।
5. आधुनिक युग में पुराणों की प्रासंगिकता
1. धार्मिक चेतना का स्रोत – आज भी पुराणों का पाठ पूजापद्धति का अंग है।
2. सांस्कृतिक पहचान की पुष्टि – तीर्थ यात्रा, व्रत, रीतिरिवाजों में पुराणों की शिक्षाएँ अंतर्निहित हैं।
3. नैतिक शिक्षा – वर्तमान नैतिक संकटों के बीच पुराणों की कथाएँ जैसे – प्रह्लाद की भक्ति, हरिश्चंद्र का सत्य, सती सावित्री का व्रत, आज भी प्रेरणा देती हैं।
4. लोकसाहित्य और मीडिया में योगदान – टीवी, रेडियो, फिल्में, भजन आदि में पुराणों की कथाओं का भरपूर प्रयोग हो रहा है।
6. प्रमुख पुराणों की संक्षिप्त विशेषताएँ
पुराण - प्रमुख विषय
भागवत पुराण - श्रीकृष्ण की लीलाएँ, भक्ति मार्ग
विष्णु पुराण - सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म, अवतार
शिव पुराण - शिव तत्व, अवतार, पार्वती कथा
स्कन्द पुराण - तीर्थ महात्म्य, कार्तिकेय की कथाएँ
मार्कण्डेय पुराण - दुर्गा सप्तशती, स्त्रीशक्ति
गरुड़ पुराण - मृत्यु, पापपुण्य, आत्मा की यात्रा
Conclusion
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jp Singh
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