(Charles John Canning, 1812-1862)
jp Singh
2025-05-27 16:23:51
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लॉर्ड चार्ल्स जॉन कैनिंग (1812-1862)
लॉर्ड चार्ल्स जॉन कैनिंग (1812-1862)
लॉर्ड चार्ल्स जॉन कैनिंग (Charles John Canning, 1812-1862), जिन्हें लॉर्ड कैनिंग के नाम से जाना जाता है, 1856 से 1862 तक भारत के गवर्नर-जनरल और 1858 से 1862 तक भारत के पहले वायसराय (Viceroy) थे। उनका शासनकाल भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इस दौरान 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ, मुगल साम्राज्य का अंत हुआ, और ब्रिटिश क्राउन ने भारत में प्रत्यक्ष शासन शुरू किया। लॉर्ड कैनिंग का शासनकाल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की नींव को मजबूत करने और विद्रोह के बाद भारत में स्थिरता लाने के लिए जाना जाता है।
लॉर्ड कैनिंग का शासनकाल (1856-1862)
1. प्रारंभिक पृष्ठभूमि और नियुक्ति
नियुक्ति: लॉर्ड कैनिंग को 1856 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत का गवर्नर-जनरल नियुक्त किया। वह लॉर्ड डलहौजी के उत्तराधिकारी थे, जिनके शासनकाल में आक्रामक विस्तारवादी नीतियां (जैसे हड़प नीति) अपनाई गई थीं, जिसने 1857 के विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार की।
पृष्ठभूमि: लॉर्ड कैनिंग एक अनुभवी ब्रिटिश राजनेता थे और उनके पिता जॉर्ज कैनिंग ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रह चुके थे। भारत में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती 1857 का विद्रोह और उसके बाद की अस्थिरता थी।
2. 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
लॉर्ड कैनिंग का शासनकाल 1857 के विद्रोह के लिए सबसे अधिक जाना जाता है, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह था।
विद्रोह की शुरुआत
10 मई 1857 को मेरठ में सिपाहियों ने विद्रोह शुरू किया, जो जल्द ही दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, और अन्य क्षेत्रों में फैल गया। विद्रोहियों ने दिल्ली में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को
लॉर्ड कैनिंग की भूमिका
विद्रोह के शुरुआती चरण में लॉर्ड कैनिंग को इसकी तीव्रता का अंदाजा नहीं था। उन्होंने शुरू में इसे एक स्थानीय सिपाही विद्रोह समझा, लेकिन जल्द ही इसे दबाने के लिए कठोर कदम उठाए। उन्होंने ब्रिटिश सैन्य बलों को संगठित किया और जनरल आर्कडेल विल्सन, मेजर हॉडसन, और जॉन निकोलसन जैसे अधिकारियों के नेतृत्व में दिल्ली, कानपुर, और लखनऊ पर पुनः कब्जा किया गया। कैनिंग ने विद्रोह को दबाने के लिए सिख, गोरखा, और अन्य वफादार भारतीय सैनिकों की मदद ली।
दिल्ली पर पुनः कब्जा
सितंबर 1857 में ब्रिटिश सेना ने दिल्ली पर पुनः कब्जा कर लिया। बहादुर शाह जफर को हुमायूं के मकबरे से गिरफ्तार किया गया और उनके पुत्रों को मार दिया गया। दिल्ली में व्यापक नरसंहार और लूटपाट हुई, और शहर को ब्रिटिश सैन्य नियंत्रण में ले लिया गया। कैनिंग की नीति: विद्रोह के दौरान कैनिंग ने संयम और कठोरता का मिश्रित दृष्टिकोण अपनाया। उन्हें
3. ब्रिटिश क्राउन का शासन (1858)
1857 के विद्रोह ने ब्रिटिश सरकार को यह एहसास कराया कि ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन भारत में प्रभावी नहीं रहा। इसके परिणामस्वरूप, लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में ब्रिटिश क्राउन ने भारत में प्रत्यक्ष शासन शुरू किया।
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858
2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश संसद ने यह अधिनियम पारित किया, जिसके तहत भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन को हस्तांतरित हुआ। लॉर्ड कैनिंग को भारत का पहला वायसराय नियुक्त किया गया, और उनकी भूमिका अब ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि के रूप में थी। रानी विक्टोरिया की 1 नवंबर 1858 की घोषणा (Queen’s Proclamation) में भारतीयों को समानता, धार्मिक स्वतंत्रता, और ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा का आश्वासन दिया गया।
प्रशासनिक सुधार
कैनिंग ने विद्रोह के बाद भारत में प्रशासनिक स्थिरता लाने के लिए कई सुधार किए। उन्होंने भारतीय सैन्य बलों को पुनर्गठित किया और सिखों, गोरखाओं, और अन्य समुदायों को सेना में शामिल किया। उन्होंने भारतीय रियासतों को आश्वासन दिया कि उनकी स्वायत्तता का सम्मान किया जाएगा, ताकि वे ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार रहें। दिल्ली को पंजाब प्रांत के अधीन एक जिला बनाया गया, और स्थानीय स्तर पर डिप्टी कमिश्नर और अन्य अधिकारियों ने प्रशासन संभाला।
4. प्रमुख नीतियां और सुधार
लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियां और सुधार लागू किए गए, जिन्होंने ब्रिटिश शासन को मजबूत किया और भारत में स्थिरता लाने में मदद की।
रियासतों के साथ संबंध
कैनिंग ने लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति (Doctrine of Lapse) को समाप्त किया और भारतीय रियासतों को उनके अधिकारों का आश्वासन दिया। इसके तहत रियासतों को गोद लेने के अधिकार को मान्यता दी गई, जिसने कई रियासतों को ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार बनाया। उन्होंने रियासतों को सम्मान और पुरस्कार देकर उनके साथ गठबंधन मजबूत किया। कानूनी और सामाजिक सुधार: 1859 में वैधता संशोधन अधिनियम (Widow Remand Act) पारित किया गया, जिसने हिंदू विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार दिया। यह सामाजिक सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम था। कैनिंग ने भारतीयों को प्रशासन में शामिल करने के लिए शुरुआती कदम उठाए, हालांकि यह सीमित था। आर्थिक नीतियां: विद्रोह के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए कैनिंग ने राजस्व और कर प्रणाली में सुधार किए। रेलवे, टेलीग्राफ, और डाक व्यवस्था का विस्तार किया गया, जिसने ब्रिटिश प्रशासन को मजबूत किया और भारत के विभिन्न हिस्सों को जोड़ा।
सैन्य पुनर्गठन
विद्रोह के बाद ब्रिटिश सेना में भारतीय सिपाहियों की संख्या कम की गई, और यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई। सेना में हिंदू-मुस्लिम एकता को कम करने के लिए विभिन्न समुदायों को अलग-अलग रेजिमेंट में संगठित किया गया।5. दिल्ली में शासन प्रशासनिक व्यवस्था: 1857 के बाद दिल्ली को पंजाब प्रांत के अधीन एक जिला बनाया गया। ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर और अन्य अधिकारी स्थानीय प्रशासन संभालते थे। लाल किला ब्रिटिश सेना की छावनी बन गया, और मुगलकालीन इमारतों का उपयोग सैन्य और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए किया गया। दिल्ली में कठोर सैन्य कानून लागू किया गया, और विद्रोह से जुड़े लोगों को दंडित करने के लिए तलाशी अभियान चलाए गए।
सांस्कृतिक प्रभाव
दिल्ली, जो पहले मुगल सांस्कृतिक और साहित्यिक केंद्र थी, अब ब्रिटिश प्रशासन का केंद्र बन गई। मुगल दरबार की परंपराएं, जैसे मुशायरे और सांस्कृतिक आयोजन, कमजोर पड़ गए। ब्रिटिशों ने दिल्ली में पश्चिमी शिक्षा को बढ़ावा देना शुरू किया, और अंग्रेजी स्कूलों की स्थापना हुई।
6. लॉर्ड कैनिंग का अंत और विरासत
मृत्यु: लॉर्ड कैनिंग का शासनकाल 1862 तक चला। उनकी पत्नी, लेडी शार्लोट कैनिंग, की 1861 में भारत में मृत्यु हो गई थी, जिसने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया। 17 जून 1862 को लॉर्ड कैनिंग की लंदन में मृत्यु हो गई। विरासत: लॉर्ड कैनिंग को भारत में ब्रिटिश क्राउन के शासन की नींव रखने के लिए याद किया जाता है। उनके संयमपूर्ण दृष्टिकोण ने विद्रोह के बाद भारत में स्थिरता लाने में मदद की। उनकी
7. ऐतिहासिक महत्व
मुगल साम्राज्य का अंत: लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में बहादुर शाह जफर के निर्वासन और मुगल साम्राज्य के अंत ने भारतीय इतिहास में एक युग का अंत किया।
ब्रिटिश राज की स्थापना: 1858 में ब्रिटिश क्राउन के प्रत्यक्ष शासन की शुरुआत ने भारत में औपनिवेशिक शासन को औपचारिक रूप दिया।
1857 के विद्रोह का प्रभाव: कैनिंग के शासनकाल में 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव साबित हुआ। इसने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया।
दिल्ली का परिवर्तन: दिल्ली को ब्रिटिश प्रशासनिक केंद्र के रूप में पुनर्गठित किया गया, जो बाद में 1911 में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनी।
Conclusion
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