Muslim and Hindu States of South India
jp Singh
2025-05-26 17:07:33
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दक्षिण भारत के मुस्लिम एवं हिन्दू राज्य
दक्षिण भारत के मुस्लिम एवं हिन्दू राज्य
मध्यकालीन भारत (लगभग 13वीं से 17वीं सदी) में दक्षिण भारत (दक्कन और दक्षिणी प्रायद्वीप) में कई मुस्लिम और हिंदू राज्य फले-फूले, जिन्होंने अपनी सैन्य शक्ति, प्रशासन, और सांस्कृतिक योगदान के लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाया। ये राज्य दिल्ली सल्तनत और बाद में मुगल साम्राज्य के प्रभाव से स्वतंत्र या अर्ध-स्वतंत्र रहे। नीचे दक्षिण भारत के प्रमुख मुस्लिम और हिंदू राज्यों का संक्षिप्त और विस्तृत विवरण दिया गया है, जो आपके पिछले प्रश्नों (जौनपुर, गुजरात, मालवा, कश्मीर, मेवाड़, विजयनगर, अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा) को ध्यान में रखते हुए जौनपुर और कश्मीर को छोड़कर दक्षिण भारत पर केंद्रित है, क्योंकि ये दोनों उत्तर भारत से संबंधित हैं।
1. दक्षिण भारत के प्रमुख मुस्लिम राज्य
दक्षिण भारत में मुस्लिम राज्य मुख्य रूप से बहमनी सल्तनत के विघटन के बाद उभरे, जिन्हें दक्कनी सल्तनतें कहा जाता है। इनमें शामिल हैं
(i) बहमनी सल्तनत (1347-1527)
स्थापना: 1347 ई. में अलाउद्दीन हसन बहमन शाह (हसन गंगू) ने गुलबर्गा में बहमनी सल्तनत की स्थापना की, जो दिल्ली सल्तनत से अलग होकर दक्कन में पहला स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बना। राजधानी: गुलबर्गा (1347-1425), बाद में बीदर (1425-1527)।
प्रमुख शासक
हसन गंगू (1347-1358): संस्थापक, जिन्होंने दक्कन को एकीकृत किया। मुहम्मद शाह प्रथम (1358-1375): सैन्य और प्रशासनिक सुधार किए। महमूद गवाँ (1463-1482): एक विद्वान वज़ीर, जिन्होंने सल्तनत को समृद्ध बनाया और मदरसे स्थापित किए। विशेषताएँ: प्रशासन: बहमनी सल्तनत ने दक्कन में एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा बनाया, जिसमें प्रांतों को तरफ़ (प्रांत) में बांटा गया।
स्थापत्य: गुलबर्गा में जामा मस्जिद और बीदर में महमूद गवाँ का मदरसा प्रसिद्ध हैं। संस्कृति: फारसी साहित्य और दक्कनी उर्दू की शुरुआत हुई। सूफी संतों को संरक्षण मिला। पतन: आंतरिक विवाद और प्रांतीय गवर्नरों की स्वतंत्रता की मांग के कारण 1527 तक सल्तनत पाँच दक्कनी सल्तनतों (अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा, बीदर, और बरार) में विघटित हो गई।
(ii) अहमदनगर सल्तनत (1490-1636)
स्थापना: 1490 ई. में मलिक अहमद निज़ामशाह द्वारा। राजधानी: अहमदनगर (महाराष्ट्र)। प्रमुख शासक/व्यक्तित्व: मलिक अहमद निज़ामशाह: संस्थापक, जिन्होंने भिंगार में सल्तनत स्थापित की।
चाँद बीबी: मुगलों के खिलाफ वीरतापूर्ण रक्षा (1595-96)। मलिक अम्बर: छापामार युद्ध और रैयतवाड़ी व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध। विशेषताएँ: स्थापत्य: अहमदनगर किला, बाग़-ए-रौजा, और हुसैनाबाद। साहित्य: फारसी और दक्कनी उर्दू में बुरहान-ए-मासीर (सैय्यद अली तबतबाई)। आर्थिक: हीरे और कपास व्यापार। पतन: 1636 में मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अहमदनगर पर कब्जा कर लिया।
(iii) बीजापुर सल्तनत (1489-1686)
स्थापना: 1489 ई. में यूसुफ आदिल शाह द्वारा। राजधानी: बीजापुर (कर्नाटक)।
यूसुफ आदिल शाह: संस्थापक, फारसी संस्कृति को बढ़ावा दिया। इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय:
विशेषताएँ: स्थापत्य: गोल गुम्बज, इब्राहिम रौजा, जामा मस्जिद, और मलिक-ए-मैदान तोप। साहित्य: दक्कनी उर्दू में किताब-ए-नौरस (इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय)। संस्कृति: हिंदू-मुस्लिम समन्वय और दक्कनी चित्रकला। पतन: 1686 में औरंगजेब ने बीजापुर पर कब्जा कर लिया।
(iv) गोलकुंडा सल्तनत (1518-1687)
स्थापना: 1518 ई. में सुल्तान कुली कुतुबशाह द्वारा। राजधानी: गोलकुंडा, बाद में हैदराबाद (1591 से)। प्रमुख शासक: सुल्तान कुली कुतुबशाह: संस्थापक, जिन्होंने किले को मजबूत किया। मुहम्मद कुली कुतुबशाह: चारमीनार और हैदराबाद के संस्थापक। अबुल हसन कुतुबशाह: अंतिम शासक, जिन्हें
विशेषताएँ: स्थापत्य: गोलकुंडा किला, चारमीनार, मक्का मस्जिद, और कुतुबशाही मकबरे। आर्थिक: कोहिनूर और अन्य हीरों की खानें। साहित्य: दक्कनी उर्दू और तेलुगु साहित्य, जैसे कुलियात-ए-कुली कुतुबशाह। पतन: 1687 में औरंगजेब ने गोलकुंडा पर कब्जा कर लिया।
(v) बीदर सल्तनत (1527-1619)
स्थापना: 1527 ई. में कासिम बरीद द्वारा, जो बहमनी सल्तनत का वज़ीर था। राजधानी: बीदर (कर्नाटक)।
प्रमुख शासक: कासिम बरीद: संस्थापक, जिन्होंने बीदर को स्वतंत्र बनाया। अमीर बरीद: सल्तनत को स्थिर किया।
विशेषताएँ: स्थापत्य: बीदर किला, रंगीन महल, और बरीदशाही मकबरे। संस्कृति: फारसी और दक्कनी उर्दू साहित्य को संरक्षण। आर्थिक: बीदरी कला (धातु पर नक्काशी) के लिए प्रसिद्ध। पतन: 1619 में बीजापुर सल्तनत ने बीदर पर कब्जा कर लिया।
(vi) बरार सल्तनत (1490-1574)
स्थापना: 1490 ई. में फतहुल्लाह इमादशाह द्वारा। राजधानी: एलिचपुर (महाराष्ट्र)। विशेषताएँ: सबसे छोटी और कम प्रभावशाली दक्कनी सल्तनत। स्थापत्य: गविलगढ़ किला। आर्थिक: कपास और अनाज की खेती। पतन: 1574 में अहमदनगर सल्तनत ने बरार पर कब्जा कर लिया।
2. दक्षिण भारत के प्रमुख हिंदू राज्य
दक्षिण भारत में हिंदू राज्यों ने इस्लामी आक्रमणों के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखी। प्रमुख हिंदू राज्य निम्नलिखित हैं
(i) विजयनगर साम्राज्य (1336-1646)
स्थापना: 1336 ई. में हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम द्वारा, विद्या गुरु विद्यारण्य के मार्गदर्शन में। राजधानी: हम्पी (कर्नाटक)। प्रमुख शासक: हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम: संस्थापक, जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा की। कृष्णदेव राय (1509-1529): साम्राज्य का स्वर्ण युग, जिन्होंने रायचूर युद्ध (1520) जीता। अच्युत राय और तिरुमल राय: तालिकोटा युद्ध (1565) के बाद पतन।
विशेषताएँ: स्थापत्य: विट्ठल मंदिर, हजारा राम मंदिर, और विरुपाक्ष मंदिर (हम्पी, यूनेस्को विश्व धरोहर)। साहित्य: तेलुगु में आमुक्तमाल्यदा (कृष्णदेव राय) और अष्टदिग्गज कवि। आर्थिक: समुद्री व्यापार (मंगलोर, कालीकट) और कृषि। संस्कृति: वैष्णव और शैव धर्म को संरक्षण, कर्नाटक संगीत और भरतनाट्यम का विकास। पतन: तालिकोटा युद्ध (1565) में दक्कनी सल्तनतों से हार और 1646 में पूर्ण पतन।
(ii) मधुरै नायक्क राजवंश (1529-1736)
स्थापना: 1529 ई. में विश्वनाथ नायक द्वारा, जो विजयनगर साम्राज्य के गवर्नर थे। राजधानी: मधुरै (तमिलनाडु)। प्रमुख शासक: विश्वनाथ नायक: संस्थापक, जिन्होंने मधुरै को स्वतंत्र बनाया। तिरुमल नायक (1623-1659): मधुरै का स्वर्ण युग, जिन्होंने मीनाक्षी मंदिर का विस्तार किया। विशेषताएँ: स्थापत्य: मीनाक्षी मंदिर (मधुरै) और तिरुमल नायक महल। संस्कृति: तमिल साहित्य और नायक्क शैली की चित्रकला। आर्थिक: कृषि (कावेरी नदी) और कपड़ा व्यापार। पतन: 1736 में मुगल और मराठा दबाव के कारण कमजोर हुआ, बाद में ब्रिटिश शासन में शामिल।
(iii) तंजावुर नायक्क राजवंश (1532-1673)
थापना: 1532 ई. में सेवप्पा नायक द्वारा, विजयनगर के अधीन। राजधानी: तंजावुर (तमिलनाडु)। प्रमुख शासक: सेवप्पा नायक: संस्थापक। रघुनाथ नायक (1600-1634): सांस्कृतिक विकास के लिए प्रसिद्ध। विशेषताएँ: स्थापत्य: बृहदेश्वर मंदिर का संरक्षण और नायक्क महल। संस्कृति: तमिल और तेलुगु साहित्य, भरतनाट्यम का विकास। आर्थिक: कृषि और समुद्री व्यापार। पतन: 1673 में मराठों ने तंजावुर पर कब्जा कर लिया।
(iv) मैसूर साम्राज्य (1399-1761, हिंदू शासन)
स्थापना: 1399 ई. में यदुराय द्वारा। राजधानी: मैसूर (कर्नाटक)। प्रमुख शासक: चिक्कदेवराज वोदेयार (1673-1704): साम्राज्य का विस्तार और प्रशासनिक सुधार। विशेषताएँ: स्थापत्य: मैसूर पैलेस और चामुंडी मंदिर। संस्कृति: कन्नड़ साहित्य और कर्नाटक संगीत। आर्थिक: कृषि (कावेरी नदी) और रेशम व्यापार। पतन: 1761 में हैदर अली ने मैसूर पर कब्जा कर लिया, जिसने हिंदू शासन को समाप्त किया।
3. तुलनात्मक विशेषताएँ
मुस्लिम राज्य: उत्पत्ति: मुख्य रूप से बहमनी सल्तनत के विघटन से (अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा, बीदर, बरार)। स्थापत्य: इस्लामी शैली (गुम्बद, मेहराबें), जैसे गोल गुम्बज, चारमीनार, और अहमदनगर किला। संस्कृति: दक्कनी उर्दू, फारसी साहित्य, और हिंदू-मुस्लिम समन्वय। आर्थिक: हीरे (गोलकुंडा), कपड़ा, और समुद्री व्यापार। पतन: मुगल साम्राज्य (औरंगजेब) और मराठों के दबाव से।
हिंदू राज्य: उत्पत्ति: हिंदू धर्म की रक्षा के लिए (विजयनगर) या विजयनगर के अधीन नायक्क राजवंश। स्थापत्य: द्रविड़ शैली, जैसे विट्ठल मंदिर (हम्पी) और मीनाक्षी मंदिर (मधुरै)। संस्कृति: तेलुगु, तमिल, कन्नड़ साहित्य, भक्ति संगीत, और नृत्य। आर्थिक: कृषि और समुद्री व्यापार। पतन: दक्कनी सल्तनतों, मुगलों, और मराठों के दबाव से।
4. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
मुस्लिम राज्य: दक्कनी सल्तनतों ने हिंदू-मुस्लिम सांस्कृतिक समन्वय को बढ़ावा दिया, दक्कनी उर्दू की नींव रखी, और स्थापत्य में इस्लामी-भारतीय शैली का विकास किया। गोलकुंडा की हीरे की खानें और बीजापुर का गोल गुम्बज विश्व प्रसिद्ध हैं। हिंदू राज्य: विजयनगर और नायक्क राजवंशों ने हिंदू धर्म और दक्षिण भारतीय संस्कृति की रक्षा की। हम्पी, मधुरै, और तंजावुर के स्मारक द्रविड़ स्थापत्य और भक्ति आंदोलन की विरासत को दर्शाते हैं।
5. पतन और विरासत
पतन: मुस्लिम राज्यों का पतन मुख्य रूप से मुगल सम्राट औरंगजेब के आक्रमणों (1686-1687) और आंतरिक कमजोरियों के कारण हुआ। हिंदू राज्यों का पतन दक्कनी सल्तनतों (तालिकोटा युद्ध, 1565), मुगलों, और बाद में मराठों और ब्रिटिशों के कारण हुआ। विरासत: मुस्लिम राज्य: चारमीनार, गोल गुम्बज, और अहमदनगर किला जैसे स्मारक, साथ ही दक्कनी उर्दू और बीदरी कला, आज भी जीवित हैं। हिंदू राज्य: हम्पी (यूनेस्को विश्व धरोहर), मीनाक्षी मंदिर, और दक्षिण भारतीय साहित्य और संगीत की समृद्ध परंपरा।
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