sultaanakaaleen bhaarat Ki Prshashnik Vvstha Part 3
jp Singh
2025-05-26 12:43:04
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दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था Part 3
1. नई और कम चर्चित प्रशासनिक शब्दावली
नीचे सुल्तानकालीन प्रशासनिक शब्दावली की एक विस्तृत सूची दी गई है, जिसमें कुछ नए और कम चर्चित शब्द शामिल हैं। प्रत्येक शब्द के साथ उसका अर्थ, ऐतिहासिक संदर्भ, और सल्तनत के प्रशासन में उसका महत्व बताया गया है। ये शब्द प्रशासन के विभिन्न पहलुओं—केंद्रीय, प्रांतीय, राजस्व, सैन्य, न्यायिक, और सांस्कृतिक—को कवर करते हैं।
केंद्रीय प्रशासन से संबंधित शब्द
मीर-बख्शी: सैन्य वेतन और नियुक्तियों का प्रभारी अधिकारी, जो अरीज़-ए-ममालिक के अधीन या समानांतर काम करता था। यह शब्द तुगलक और लोदी काल में प्रचलित था और बाद में मुगल काल में प्रमुख हुआ।
साहिब-ए-दिवान: वज़ीर का सहायक, जो वित्तीय रिकॉर्ड और लेखा-जोखा की देखरेख करता था। यह शब्द खलजी और तुगलक काल में इस्तेमाल हुआ।
नायब-ए-ममालिक: सुल्तान का उप-प्रतिनिधि, जो उसकी अनुपस्थिति में केंद्रीय प्रशासन संभालता था। उदाहरण: रज़िया सुल्तान के समय याकूत को यह भूमिका दी गई थी।
मशालची: शाही मशाल वाहक, जो सुल्तान के रात्रिकालीन दौरों या समारोहों में रोशनी की व्यवस्था करता था। यह दरबारी शिष्टाचार का हिस्सा था और बलबन के समय महत्वपूर्ण था।
ख्वाजा-सराय: शाही महल का प्रभारी, जो सुल्तान के निजी जीवन और घरेलू मामलों की देखरेख करता था। यह शब्द गुलाम और खलजी काल में प्रचलित था।
दस्तूर-उल-अमल: प्रशासनिक नियमों और प्रक्रियाओं का लिखित संग्रह, जो सुल्तान के आदेशों और परंपराओं को संहिताबद्ध करता था। यह तुगलक काल में अधिक व्यवस्थित हुआ।
प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन से संबंधित शब्द
मुकर्रर: वह अधिकारी, जो किसी विशेष प्रशासनिक कार्य, जैसे राजस्व लेखा या सैन्य भर्ती, के लिए अस्थायी रूप से नियुक्त किया जाता था। यह शब्द तुगलक और लोदी काल में प्रचलित था।
पटवारी: गाँव स्तर का लेखाकार, जो भूमि और राजस्व का रिकॉर्ड रखता था। यह शब्द भारतीय परंपरा से लिया गया और सल्तनत में शामिल किया गया।
कानूनगो: परगना स्तर का अधिकारी, जो भूमि रिकॉर्ड और कर आकलन की निगरानी करता था। यह शब्द लोदी काल में प्रचलित हुआ और मुगल काल में प्रमुख बना।
सिक्का-ए-इक्ता: इक्ता क्षेत्र का वह हिस्सा, जो सैन्य सेवा के बदले दिया जाता था। यह शब्द खलजी और तुगलक काल में इस्तेमाल हुआ।
खिदमत: स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक या सैन्य सेवा, जो जागीरदारों या छोटे अधिकारियों द्वारा सुल्तान को दी जाती थी।
महल्ला: शहर का छोटा प्रशासनिक हिस्सा, जिसका प्रबंधन कोतवाल या स्थानीय अधिकारी द्वारा किया जाता था। उदाहरण: दिल्ली के महल्लों का प्रबंधन।
राजस्व और आर्थिक व्यवस्था से संबंधित शब्द
माल-ए-गनीमत: युद्ध में प्राप्त लूट, जिसे खम्स (1/5 हिस्सा सुल्तान के लिए) और बाकी सैनिकों में बाँटा जाता था। यह शब्द खलजी और तुगलक काल में प्रचलित था।
क़र्ज़-ए-हसन: ब्याज-मुक्त ऋण, जो सुल्तान या अमीर किसानों या व्यापारियों को देते थे। यह फिरोज शाह तुगलक की कल्याणकारी नीतियों का हिस्सा था।
बटाई: फसल बँटवारे की प्रणाली, जिसमें खराज के रूप में उपज का हिस्सा लिया जाता था। यह सल्तनत में प्रचलित थी और ग्रामीण क्षेत्रों में आम थी।
हक-ए-शिर्ब: जल कर, जो नहरों या जलाशयों का उपयोग करने वाले किसानों पर लगाया जाता था। फिरोज शाह तुगलक ने इसे व्यवस्थित किया।
सैर: गैर-कृषि कर, जैसे व्यापार, बाजार, या कारीगरों पर लगने वाले शुल्क। यह अलाउद्दीन खलजी के बाजार नियंत्रण का हिस्सा था।
किराये: कर संग्रह का वह तरीका, जिसमें निश्चित राशि के बदले राजस्व संग्रह का ठेका दिया जाता था। यह लोदी काल में प्रचलित था।
सैन्य व्यवस्था से संबंधित शब्द
मुस्तफीज़: अस्थायी सैनिक, जो युद्ध के समय भर्ती किए जाते थे। ये इक्तादारों की सेना का हिस्सा होते थे।
खानज़ादा: सुल्तान के गुलामों या विश्वस्त सैनिकों के वंशज, जो सेना या प्रशासन में उच्च पद प्राप्त करते थे। यह शब्द गुलाम वंश में प्रचलित था।
ज़रबख़ाना: शाही हथियार कारखाना, जहाँ तलवारें, भाले, और धनुष बनाए जाते थे। यह तुगलक काल में महत्वपूर्ण था।
अमीर-ए-आखुर: शाही अस्तबल का प्रभारी, जो घोड़ों और सैन्य परिवहन की देखरेख करता था। यह खलजी और तुगलक काल में प्रचलित था।
शमशीरबाज़: तलवारबाज़ सैनिक, जो निकट युद्ध में विशेषज्ञ होते थे। ये सल्तनत की सेना का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
कमानदार: धनुर्धर, जो सल्तनत की सेना में लंबी दूरी के हमलों के लिए तैनात किए जाते थे।
न्याय व्यवस्था से संबंधित शब्द
मुहकमा: न्यायिक जांच या सुनवाई, जो काज़ी या सुल्तान द्वारा आयोजित की जाती थी। यह शरिया और ज़वाबित दोनों पर आधारित हो सकती थी।
हुक्म-ए-आदिल: सुल्तान का निष्पक्ष न्यायिक आदेश, जो जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए जारी किया जाता था। सिकंदर लोदी इसके लिए प्रसिद्ध था।
हुक्म-ए-आदिल: सुल्तान का निष्पक्ष न्यायिक आदेश, जो जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए जारी किया जाता था। सिकंदर लोदी इसके लिए प्रसिद्ध था।
हुक्म-ए-आदिल: सुल्तान का निष्पक्ष न्यायिक आदेश, जो जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए जारी किया जाता था। सिकंदर लोदी इसके लिए प्रसिद्ध था।
हुक्म-ए-आदिल: सुल्तान का निष्पक्ष न्यायिक आदेश, जो जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए जारी किया जाता था। सिकंदर लोदी इसके लिए प्रसिद्ध था।
हुक्म-ए-आदिल: सुल्तान का निष्पक्ष न्यायिक आदेश, जो जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए जारी किया जाता था। सिकंदर लोदी इसके लिए प्रसिद्ध था।
सामाजिक और धार्मिक संरचना से संबंधित शब्द
बैरम: सुल्तान या अमीरों द्वारा आयोजित धार्मिक या सामाजिक उत्सव, जिसमें भोजन और दान वितरित किया जाता था। यह सूफी परंपराओं से प्रभावित था।
क़लंदर: घुमक्कड़ सूफी संत, जो सामाजिक नियमों से मुक्त रहते थे और सल्तनत में आध्यात्मिक प्रभाव रखते थे।
मुरीद: सूफी संत का अनुयायी, जो उनकी खानकाह में शिक्षा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करता था।
ज़कात-खाना: वह स्थान, जहाँ जकात का संग्रह और वितरण किया जाता था। यह फिरोज शाह तुगलक के समय व्यवस्थित हुआ।
महफिल: सांस्कृतिक या धार्मिक सभा, जहाँ कविता, संगीत, या सूफी विचारों पर चर्चा होती थी। यह सल्तनत के दरबारों और खानकाहों में प्रचलित थी।
खानकाही: सूफी खानकाह से संबंधित गतिविधियाँ, जैसे लंगर वितरण और धार्मिक शिक्षा।
वास्तुकला और सांस्कृतिक शब्द
आइवान: मस्जिदों या महलों में खुला मेहराबदार हॉल, जो फारसी वास्तुकला से प्रेरित था। उदाहरण: अलाई दरवाजा (खलजी काल)।
क़स्र: शाही महल या निवास, जो सुल्तान का प्रशासनिक और निजी केंद्र होता था। उदाहरण: दिल्ली का क़स्र-ए-हज़ार सतून।
ज़नाना: महल का वह हिस्सा, जो महिलाओं के लिए आरक्षित था। यह शब्द सल्तनत के दरबारी जीवन का हिस्सा था।
बाग़: शाही उद्यान, जो सुल्तानों के मनोरंजन और विश्राम के लिए बनाए जाते थे। उदाहरण: सिकंदर लोदी के आगरा में बाग़।
किताब-खाना: शाही पुस्तकालय, जहाँ फारसी और अरबी पांडुलिपियाँ संग्रहीत की जाती थीं। यह तुगलक और लोदी काल में प्रचलित था।
रौज़ा: सूफी संतों का मकबरा, जो तीर्थस्थल के रूप में कार्य करता था। उदाहरण: निजामुद्दीन औलिया का रौज़ा।
2. शब्दावली का क्षेत्रीय और ऐतिहासिक विकास
सुल्तानकालीन शब्दावली का उपयोग और अर्थ समय और क्षेत्र के साथ बदलता रहा। विभिन्न वंशों और क्षेत्रों में इन शब्दों का विकास निम्नलिखित है:
गुलाम वंश (1206-1290)
खानज़ादा: गुलाम वंश में गुलामों के वंशजों को यह उपाधि दी जाती थी, जो सेना और प्रशासन में शामिल होते थे। उदाहरण: इल्तुतमिश के गुलामों के पुत्र। नक्कारा और मशालची: बलबन ने इन शब्दों को दरबारी भव्यता के लिए उपयोग किया, जो तुर्की-मंगोल परंपराओं से प्रेरित थे। क़स्र: दिल्ली के शाही महल को क़स्र कहा जाता था, जो प्रशासनिक केंद्र था।
खलजी वंश (1290-1320)
माल-ए-गनीमत: अलाउद्दीन खलजी के दक्षिण भारत के अभियानों (जैसे देवगिरी और वारंगल) में इस शब्द का उपयोग लूट के लिए हुआ। सैर और बनियान: अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण में व्यापारियों (बनियान) पर सैर कर लगाया गया, जो आर्थिक नियंत्रण का हिस्सा था। ज़रबख़ाना: अलाउद्दीन ने अपनी सेना के लिए हथियारों के उत्पादन को बढ़ाया, जिसके लिए ज़रबख़ाना स्थापित किए गए।
तुगलक वंश (1320-1413)
क़र्ज़-ए-हसन: फिरोज शाह तुगलक ने किसानों और कारीगरों को ब्याज-मुक्त ऋण दिए, जो इस शब्द से जाने गए। हक-ए-शिर्ब: फिरोज शाह की नहरों (जैसे यमुना नहर) के उपयोग के लिए यह जल कर लागू किया गया। किताब-खाना: मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोज शाह ने फारसी साहित्य को प्रोत्साहन दिया, जिसके लिए शाही पुस्तकालय स्थापित किए गए।
सैय्यद वंश (1414-1451)
मुकर्रर: सैय्यद वंश की कमजोर केंद्रीय सत्ता के कारण प्रांतीय स्तर पर अस्थायी अधिकारियों (मुकर्रर) की नियुक्ति बढ़ी। खिदमत: प्रांतीय जागीरदारों ने सुल्तान को खिदमत के रूप में सीमित सैन्य और प्रशासनिक सहायता दी।
लोदी वंश (1451-1526)
कानूनगो और पटवारी: सिकंदर लोदी ने राजस्व संग्रह को व्यवस्थित करने के लिए इन स्थानीय अधिकारियों की भूमिका बढ़ाई। बाग़ और रौज़ा: सिकंदर लोदी ने आगरा में शाही उद्यान और सूफी मकबरे बनवाए, जो इस शब्दावली से जुड़े थे। किराये: लोदी काल में कुछ क्षेत्रों में राजस्व संग्रह का ठेका (किराये) दिया जाता था, जो प्रशासनिक सरलीकरण का प्रयास था।
3. शब्दावली का सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक प्रभाव
सामाजिक प्रभाव: शब्द जैसे
आर्थिक प्रभाव:
सांस्कृतिक प्रभाव:
प्रशासनिक प्रभाव:
4. शब्दावली का तुलनात्मक और विकासात्मक विश्लेषण
गुलाम बनाम खलजी: गुलाम वंश में
तुगलक बनाम लोदी: तुगलक वंश में
इस्लामी बनाम भारतीय शब्द:
5. शब्दावली के उपयोग के विशिष्ट उदाहरण
माल-ए-गनीमत: अलाउद्दीन खलजी ने दक्षिण भारत के अभियानों (जैसे 1296 में देवगिरी) में प्राप्त लूट को माल-ए-गनीमत के रूप में वितरित किया, जिसने सल्तनत के खजाने को समृद्ध किया। क़र्ज़-ए-हसन: फिरोज शाह तुगलक ने किसानों को सूखे के समय ब्याज-मुक्त ऋण दिए, जो उनकी कल्याणकारी नीतियों का हिस्सा था।
पटवारी और कानूनगो: सिकंदर लोदी ने इन अधिकारियों को राजस्व रिकॉर्ड व्यवस्थित करने के लिए नियुक्त किया, जिसने आगरा और दिल्ली के प्रशासन को मजबूत किया।
महफिल और रौज़ा: सिकंदर लोदी ने सूफी संतों के रौज़ों को संरक्षण दिया और महफिलों में फारसी कविता प्रस्तुत की, जो उनकी सांस्कृतिक रुचि को दर्शाता है।
ज़रबख़ाना: मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी विशाल सेना के लिए हथियारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए ज़रबख़ाना स्थापित किए, जो दौलताबाद अभियान में उपयोग हुए।
6. शब्दावली की चुनौतियाँ और सीमाएँ
प्रशासनिक अस्पष्टता: कुछ शब्द, जैसे
भाषाई बाधाएँ: फारसी और अरबी शब्द ग्रामीण जनता के लिए समझना कठिन था, जिसके कारण स्थानीय अधिकारियों (जैसे पटवारी) पर निर्भरता बढ़ी। ऐतिहासिक व्याख्या: इतिहासकारों के बीच कुछ शब्दों, जैसे
7. शब्दावली और सल्तनत की विरासत
मुगल प्रशासन: सल्तनत की शब्दावली, जैसे
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