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sultaanakaaleen bhaarat Ki Prshashnik Vvstha Part 2
jp Singh 2025-05-26 12:33:54
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दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था Part 2

1. अतिरिक्त प्रशासनिक शब्दावली और उनका विस्तृत विवरण
नीचे सुल्तानकालीन प्रशासनिक शब्दावली की एक विस्तृत सूची दी गई है, जिसमें कुछ नए और कम चर्चित शब्द शामिल हैं, जो सल्तनत के प्रशासनिक ढांचे को और स्पष्ट करते हैं। प्रत्येक शब्द के साथ उसका अर्थ, संदर्भ, और महत्व दिया गया है।
केंद्रीय प्रशासन से संबंधित शब्द
हुक्म: सुल्तान का मौखिक या लिखित आदेश, जो फरमान से कम औपचारिक होता था। इसका उपयोग त्वरित प्रशासनिक निर्णयों के लिए होता था। उदाहरण: अलाउद्दीन खलजी ने अपने सैन्य अभियानों के दौरान हुक्म जारी किए।
नक्कारा: शाही ढोल, जो सुल्तान की उपस्थिति, युद्ध की शुरुआत, या महत्वपूर्ण घोषणाओं का प्रतीक था। यह दरबारी शिष्टाचार और सैन्य समारोहों का हिस्सा था। बलबन ने इसका उपयोग अपनी सत्ता की भव्यता दिखाने के लिए किया।
अमीर-ए-हाजिब: दरबार का प्रमुख, जो सुल्तान के दरबार में आने-जाने वालों की निगरानी करता था। वह शाही समारोहों और अतिथियों के स्वागत का प्रभारी होता था।
मुंशी: लेखक या लिपिक, जो प्रशासनिक दस्तावेज, जैसे पत्र, रिकॉर्ड, और फरमान, तैयार करता था। यह दिवान-ए-इंशा का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
ख्वाजा: वित्तीय और व्यापारिक मामलों का विशेषज्ञ, जो कभी-कभी वज़ीर के अधीन काम करता था। ख्वाजा ताश (अलाउद्दीन खलजी के समय) जैसे लोग इस भूमिका में प्रसिद्ध थे।
वाकिया-नवीस: समाचार लेखक या इतिहासकार, जो सल्तनत की घटनाओं का रिकॉर्ड रखता था। ये सुल्तान के लिए खुफिया जानकारी भी एकत्र करते थे। उदाहरण: ज़िया-उद-दीन बरनी।
प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन से संबंधित शब्द
खोत: गाँव का वह व्यक्ति, जो कर संग्रह और भूमि प्रबंधन में मुकद्दम से अधिक प्रभावशाली होता था। यह शब्द विशेष रूप से तुगलक और लोदी काल में प्रचलित था।
हवाला: इक्ता का एक छोटा हिस्सा, जो किसी निचले स्तर के अधिकारी को दिया जाता था। यह इक्ता प्रणाली का उप-विभाग था।
खालसा: सुल्तान के प्रत्यक्ष नियंत्रण वाली भूमि, जिसका राजस्व सीधे शाही खजाने में जाता था। अलाउद्दीन खलजी और फिरोज शाह तुगलक ने खालसा भूमि को बढ़ाया।
बख्शी: प्रांतीय स्तर पर सैन्य लेखाकार, जो सैनिकों के वेतन और रसद की देखरेख करता था। यह शब्द बाद में मुगल काल में अधिक प्रचलित हुआ।
मुंसिफ: स्थानीय स्तर पर छोटे दीवानी मामलों का न्यायाधीश, जो काज़ी के अधीन काम करता था। यह शब्द ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित था।
साहिब-ए-जम: राजस्व संग्रह का प्रभारी, जो परगना या शिक स्तर पर आमिल के साथ काम करता था।
राजस्व और आर्थिक व्यवस्था से संबंधित शब्द
मकता: निश्चित राजस्व की वह राशि, जो इक्तादार या जागीरदार को सुल्तान को देनी होती थी। यह खलजी और तुगलक काल में प्रचलित था।
बिस्वा: भूमि माप की छोटी इकाई, जिसका उपयोग जरीब प्रणाली में होता था। यह सिकंदर लोदी के समय मानकीकृत हुई।
किस्तबंदी: राजस्व को किश्तों में संग्रह करने की प्रणाली, जो किसानों को कर भुगतान में सुविधा देती थी। फिरोज शाह तुगलक ने इसे प्रोत्साहित किया।
महसूल: सामान्य कर या शुल्क, जो व्यापारियों और कारीगरों पर लगाया जाता था। यह खराज से अलग था।
बनियान: व्यापारी या साहूकार, जो सल्तनत के आर्थिक लेन-देन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण में इनकी निगरानी की जाती थी।
सिक्का: सल्तनत की आधिकारिक मुद्रा, जिस पर सुल्तान का नाम और उपाधि अंकित होती थी। उदाहरण: इल्तुतमिश का टंका।
सैन्य व्यवस्था से संबंधित शब्द
कशक: सैन्य शिविर, जहाँ सैनिक युद्ध की तैयारी करते थे। यह शब्द खलजी और तुगलक काल में प्रचलित था।
जमदात: सैन्य उपकरणों और हथियारों का प्रभारी, जो युद्ध के दौरान रसद की व्यवस्था करता था।
कुर्ब: सैन्य घेराबंदी की रणनीति, जिसमें दुश्मन के किले को चारों ओर से घेर लिया जाता था। अलाउद्दीन खलजी ने इसे रणथंभौर और चित्तौड़ में इस्तेमाल किया।
सवार: घुड़सवार सैनिक, जो सल्तनत की सेना का मुख्य हिस्सा थे। इनकी संख्या इक्तादारों की शक्ति का माप थी।
पाइक: पैदल सैनिक, जो युद्ध में सहायक भूमिका निभाते थे। ये स्थानीय स्तर पर भर्ती किए जाते थे।
हशम: सुल्तान की व्यक्तिगत सेना, जो उसकी सुरक्षा और विशेष अभियानों के लिए रखी जाती थी।
न्याय व्यवस्था से संबंधित शब्द
किसास: शरिया में समान प्रतिशोध का सिद्धांत, जैसे हत्या के लिए मृत्युदंड। यह काज़ी द्वारा लागू किया जाता था।
दियत: रक्त-मूल्य, जो हत्या या चोट के बदले पीड़ित के परिवार को मुआवजे के रूप में दिया जाता था।
इक़रार: अदालत में अपराध या दायित्व की स्वीकारोक्ति, जो कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा थी।
शहादत: गवाही, जो शरिया अदालतों में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जाती थी। यह काज़ी के फैसले का आधार थी।
वक़्फ: धार्मिक या कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्ति, जैसे मस्जिद या मदरसा। सद्र-उस-सुदूर इसका प्रबंधन करता था।
फतवा: उलेमाओं द्वारा जारी धार्मिक या कानूनी राय, जो काज़ी के फैसलों को प्रभावित करती थी।
सामाजिक और धार्मिक संरचना से संबंधित शब्द
शरीफ: उच्च वर्ग के मुस्लिम, जो पैगंबर के वंशज (सैय्यद) या धार्मिक विद्वान होते थे। इन्हें सल्तनत में विशेष सम्मान मिलता था।
अजलाफ: निम्न वर्ग के मुस्लिम, जैसे कारीगर और व्यापारी, जो सामाजिक पदानुक्रम में नीचे थे।
ज़िम्मी: गैर-मुस्लिम (विशेष रूप से हिंदू और ईसाई), जो जजिया देकर सल्तनत की सुरक्षा में रहते थे।
मिल्लत: धार्मिक समुदाय, जैसे मुस्लिम या हिंदू समुदाय, जिनके लिए अलग-अलग कानून लागू हो सकते थे।
लंगर: सूफी खानकाहों में मुफ्त भोजन वितरण की व्यवस्था, जो सामाजिक कल्याण का हिस्सा थी। निजामुद्दीन औलिया की खानकाह में यह प्रसिद्ध था।
तकिया: सूफी संतों का छोटा आश्रम या ध्यान केंद्र, जो खानकाह से छोटा होता था।
वास्तुकला और सांस्कृतिक शब्द
मिनार: ऊँची मीनार, जो मस्जिदों या विजय स्मारकों का हिस्सा थी। उदाहरण: कुतुब मीनार।
मेहराब: मस्जिदों और इमारतों में इस्तेमाल होने वाली चापाकार संरचना, जो इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की विशेषता थी।
गुंबद: मकबरों और मस्जिदों की गोलाकार छत, जो फारसी प्रभाव को दर्शाती थी।
चौक: बाजार या शहर का केंद्रीय स्थान, जहाँ व्यापार और सामाजिक गतिविधियाँ होती थीं। उदाहरण: दिल्ली का चौक-ए-सादुल्लाह।
खुश्की: सुल्तान का शिकार क्षेत्र, जो शाही मनोरंजन और प्रशिक्षण का केंद्र था।
2. शब्दावली का ऐतिहासिक संदर्भ और उपयोग
गुलाम वंश (1206-1290)
चालिसा: इल्तुतमिश ने 40 तुर्की अमीरों का समूह बनाया, जो प्रशासन और सैन्य मामलों में सलाह देते थे। यह शब्द गुलाम वंश की सामूहिक शक्ति का प्रतीक था।
खिलअत: कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश ने अपने गवर्नरों को खिलअत देकर उनकी वफादारी सुनिश्चित की।
टंका: इल्तुतमिश ने चाँदी के टंके को मानकीकृत किया, जो सल्तनत की आर्थिक स्थिरता का आधार बना।
खलजी वंश (1290-1320)
शहना-ए-मंडी: अलाउद्दीन खलजी ने बाजार नियंत्रण के लिए इस पद की स्थापना की, जो अनाज और वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित करता था।
कुर्ब: अलाउद्दीन ने रणथंभौर और चित्तौड़ के किलों पर घेराबंदी के लिए इस रणनीति का उपयोग किया।
खालसा: अलाउद्दीन ने इक्तादारों की शक्ति कम करने के लिए खालसा भूमि को बढ़ाया, जिसका राजस्व सीधे सुल्तान को मिलता था।
तुगलक वंश (1320-1413)
तकावी: मुहम्मद बिन तुगलक ने किसानों को कृषि ऋण देने के लिए इस शब्द का उपयोग किया, जो सल्तनत में एक नवाचार था।
वक़्फ: फिरोज शाह तुगलक ने मस्जिदों और मदरसों के लिए वक़्फ संपत्तियों को बढ़ाया, जो धार्मिक और शैक्षिक विकास का आधार बनीं।
हौज: गियासुद्दीन और फिरोज शाह ने जलाशयों (जैसे हौज-ए-अलाई) का निर्माण करवाया, जो सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए थे।
सैय्यद वंश (1414-1451)
हवाला: इस काल में प्रांतीय स्वतंत्रता के कारण छोटे हवाला क्षेत्रों का उपयोग बढ़ा, क्योंकि सुल्तानों का केंद्रीय नियंत्रण कमजोर था।
शरीफ: सैय्यद वंश के सुल्तान, जो पैगंबर के वंशज थे, ने इस शब्द का उपयोग अपनी धार्मिक वैधता को मजबूत करने के लिए किया।
लोदी वंश (1451-1526)
जरीब: सिकंदर लोदी ने भूमि माप के लिए इस प्रणाली को मानकीकृत किया, जो राजस्व संग्रह को व्यवस्थित करती थी।
सिकंदरी: सिकंदर लोदी की चाँदी की मुद्रा, जो व्यापार और अर्थव्यवस्था को मजबूत करती थी।
खोत: लोदी काल में गाँवों में खोत की भूमिका बढ़ी, जो स्थानीय राजस्व संग्रह में महत्वपूर्ण थे।
3. शब्दावली का सांस्कृतिक और प्रशासनिक प्रभाव
भाषाई मिश्रण: सल्तनत की शब्दावली में अरबी (जैसे शरिया, जकात), फारसी (जैसे फरमान, खिलअत), तुर्की (जैसे चालिसा, तुलुगमा), और भारतीय (जैसे मुकद्दम, चौधरी) शब्दों का समावेश था। यह मध्यकालीन भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।
प्रशासनिक दक्षता: शब्दावली ने प्रशासनिक भूमिकाओं को स्पष्ट किया, जिससे सल्तनत का संचालन व्यवस्थित हुआ। उदाहरण के लिए,
मुगल विरासत: सल्तनत की कई शब्दावलियाँ, जैसे
सामाजिक प्रभाव: शब्द जैसे
ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण: इतिहासकारों, जैसे मिनहाज-उस-सिराज (तबकात-ए-नासिरी) और ज़िया-उद-दीन बरनी (तारीख-ए-फिरोजशाही), ने इन शब्दों का उपयोग अपनी रचनाओं में किया, जो सल्तनत के प्रशासन को समझने का प्राथमिक स्रोत हैं।
4. शब्दावली के उपयोग के उदाहरण
इक्ता और खालसा: अलाउद्दीन खलजी ने खालसा भूमि को बढ़ाकर इक्तादारों की शक्ति सीमित की, जिससे सुल्तान का केंद्रीय नियंत्रण मजबूत हुआ।
जजिया और उश्र: फिरोज शाह तुगलक ने जजिया को सख्ती से लागू किया, जबकि उश्र को मुस्लिम किसानों के लिए हल्का रखा, जिसने सामाजिक तनाव को प्रभावित किया।
नक्कारा और सिजदा: बलबन ने नक्कारा और सिजदा जैसे शाही प्रतीकों का उपयोग अपनी सत्ता की भव्यता दिखाने के लिए किया, जो तुर्की-फारसी परंपराओं से प्रेरित था।
लंगर और वक़्फ: निजामुद्दीन औलिया की खानकाह में लंगर और वक़्फ संपत्तियों ने सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया, जो सल्तनत की सहिष्णु नीतियों का हिस्सा था।
जरीब और सिकंदरी: सिकंदर लोदी ने जरीब प्रणाली और सिकंदरी मुद्रा के माध्यम से राजस्व और व्यापार को व्यवस्थित किया, जो लोदी वंश की आर्थिक नीतियों का आधार था।
5. शब्दावली की सीमाएँ और चुनौतियाँ
क्षेत्रीय भिन्नता: कुछ शब्द, जैसे
भाषाई जटिलता: फारसी और अरबी शब्दों का उपयोग ग्रामीण स्तर पर समझने में कठिनाई पैदा करता था, जहाँ स्थानीय भाषाएँ (जैसे हिंदवी) प्रचलित थीं।
ऐतिहासिक अस्पष्टता: कुछ शब्द, जैसे
प्रशासनिक दुरुपयोग: शब्द जैसे
6. शब्दावली का तुलनात्मक विश्लेषण
गुलाम बनाम खलजी: गुलाम वंश में
तुगलक बनाम लोदी: तुगलक वंश में
इस्लामी बनाम भारतीय शब्द:
Conclusion
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