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jp Singh
2025-05-26 11:05:26
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दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.) की प्रशासनिक व्यवस्था में कई विशिष्ट शब्दों का उपयोग किया गया, जो तुर्की, फारसी, अरबी, और भारतीय परंपराओं से प्रेरित थे। ये शब्द सल्तनत के प्रशासनिक, सैन्य, राजस्व, न्यायिक, और सामाजिक ढांचे को दर्शाते हैं। नीचे सुल्तानकालीन प्रशासनिक शब्दावली का विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें प्रत्येक शब्द का अर्थ, संदर्भ, और महत्व बताया गया है। यह सूची सल्तनत के प्रशासन को समझने में मदद करेगी और पिछले प्रश्नों के संदर्भ में पूरक जानकारी प्रदान करेगी।
1. केंद्रीय प्रशासन से संबंधित शब्द
सुल्तान: सल्तनत का सर्वोच्च शासक, जो प्रशासन, सेना, और न्याय का प्रमुख था। सुल्तान को
वज़ीर: सल्तनत का मुख्य मंत्री, जो वित्त, राजस्व, और प्रशासनिक मामलों का प्रभारी था। इसे
दिवान-ए-विज़ारत: वित्त और राजस्व विभाग, जो कर संग्रह, खर्च, और बजट की देखरेख करता था।
दिवान-ए-अर्ज़: सैन्य विभाग, जो सेना की भर्ती, प्रशिक्षण, और रसद की जिम्मेदारी संभालता था। इसका प्रमुख
दिवान-ए-इंशा: पत्राचार और कूटनीतिक मामलों का विभाग, जो सुल्तान के फरमान और पत्रों को तैयार करता था।
दिवान-ए-रियासत: व्यापार और बाजार नियंत्रण का विभाग, विशेष रूप से अलाउद्दीन खलजी के समय महत्वपूर्ण। इसका प्रमुख
काज़ी-उल-कुज़ात: मुख्य न्यायाधीश, जो शरिया के आधार पर दीवानी और फौजदारी मामलों में फैसले सुनाता था।
सद्र-उस-सुदूर: धार्मिक और शैक्षिक मामलों का प्रमुख, जो मस्जिदों, मदरसों, और दान की देखरेख करता था।
मजलिस-ए-खास: सुल्तान की सलाहकार परिषद, जिसमें वज़ीर, अरीज़, और अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल होते थे।
बरिद-ए-ममालिक: मुख्य जासूस, जो साम्राज्य भर से खुफिया जानकारी एकत्र करता था। जासूसी तंत्र को
मुहतसिब: नैतिकता और बाजार नियंत्रण का अधिकारी, जो शरिया के अनुसार सामाजिक व्यवहार और व्यापार की निगरानी करता था।
2. प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन से संबंधित शब्द
इक्ता: भूमि का वह हिस्सा, जिसका राजस्व संग्रह करने का अधिकार सुल्तान द्वारा अमीरों या सैन्य अधिकारियों को दिया जाता था। यह सामंती व्यवस्था का आधार था।
इक्तादार/मुक्ती: इक्ता का धारक, जो प्रांत का गवर्नर होता था। वह प्रशासन, राजस्व संग्रह, और सैन्य बल बनाए रखने के लिए जिम्मेदार था।
विलायत: प्रांत, जो सल्तनत का एक बड़ा प्रशासनिक हिस्सा था। इसका प्रमुख
शिक: प्रांत की छोटी प्रशासनिक इकाई, जिसका प्रमुख
परगना: स्थानीय प्रशासनिक इकाई, जिसमें कई गाँव शामिल होते थे। इसका प्रमुख
मुकद्दम: गाँव का मुखिया, जो स्थानीय स्तर पर राजस्व संग्रह और कानून-व्यवस्था में सुल्तान के अधिकारियों के साथ सहयोग करता था।
चौधरी: गाँव या परगना स्तर का प्रभावशाली व्यक्ति, जो राजस्व संग्रह और सामाजिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
कोतवाल: शहरों में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा का प्रभारी। वह अपराध नियंत्रण, बाजार निगरानी, और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करता था।
काजी: प्रांतीय या स्थानीय स्तर पर न्यायिक अधिकारी, जो शरिया के आधार पर फैसले सुनाता था।
अमीर: उच्च श्रेणी का सैन्य या प्रशासनिक अधिकारी, जो सुल्तान के दरबार या प्रांतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
मलिक: उच्च पदस्थ अमीर या जागीरदार, जिसे सुल्तान द्वारा सम्मानित उपाधि दी जाती थी। उदाहरण: मलिक काफूर।
3. राजस्व और आर्थिक व्यवस्था से संबंधित शब्द
खराज: भूमि कर, जो सल्तनत का मुख्य राजस्व स्रोत था। यह कृषि उपज का 1/3 से 1/2 हिस्सा होता था। अलाउद्दीन खलजी ने इसे 50% तक बढ़ाया।
जजिया: गैर-मुस्लिमों (विशेष रूप से हिंदुओं) पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर। इसे कुछ सुल्तानों (जैसे अलाउद्दीन, इब्राहिम लोदी) ने सख्ती से लागू किया।
जकात: मुस्लिमों पर लगाया जाने वाला धार्मिक कर, जो दान के रूप में लिया जाता था। यह उनकी संपत्ति का 2.5% होता था।
उश्र: मुस्लिम किसानों पर लगाया जाने वाला कृषि कर, जो खराज से कम था (आमतौर पर 10%)।
खम्स: युद्ध में प्राप्त लूट का 1/5 हिस्सा, जो सुल्तान और सैनिकों के बीच बाँटा जाता था।
जरीब: भूमि माप की प्रक्रिया, जिसे सिकंदर लोदी और अलाउद्दीन खलजी ने शुरू किया। यह राजस्व आकलन के लिए महत्वपूर्ण थी।
तकावी: कृषि ऋण, जो मुहम्मद बिन तुगलक ने किसानों को प्रदान किया। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन बढ़ाना था।
टंका: सल्तनत की चाँदी की मुख्य मुद्रा। इसे इल्तुतमिश ने मानकीकृत किया।
जितल: ताँबे की छोटी मुद्रा, जो रोजमर्रा के लेन-देन में उपयोग होती थी।
शहना-ए-मंडी: बाजार नियंत्रण का अधिकारी, जो अलाउद्दीन खलजी के समय कीमतों और आपूर्ति की निगरानी करता था।
रायस: दिवान-ए-रियासत का प्रमुख, जो व्यापार और बाजार की देखरेख करता था।
4. सैन्य व्यवस्था से संबंधित शब्द
दाग: घोड़ों पर निशान लगाने की प्रक्रिया, जिसे अलाउद्दीन खलजी ने शुरू किया। यह सैन्य अनुशासन और पहचान के लिए था।
चेहरा: सैनिकों की पहचान और रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया, जो अलाउद्दीन खलजी की स्थायी सेना का हिस्सा थी।
लश्कर: सल्तनत की सेना, जिसमें घुड़सवार, पैदल सैनिक, धनुर्धर, और हाथी शामिल थे।
सिपहसालार: सेना का कमांडर या सैन्य अभियानों का नेता। उदाहरण: मलिक काफूर (खलजी काल)।
किलेदार: किले का प्रभारी, जो सैन्य और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालता था।
तुलुगमा: युद्ध की एक रणनीति, जिसमें सेना के हिस्सों को बाएँ और दाएँ पंखों से हमला करने के लिए तैनात किया जाता था। इसे बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई (1526) में इस्तेमाल किया।
खजाना-ए-लश्कर: सैन्य खजाना, जो युद्ध अभियानों और सैनिकों के वेतन के लिए उपयोग होता था।
5. न्याय व्यवस्था से संबंधित शब्द
शरिया: इस्लामी कानून, जो सल्तनत की न्याय व्यवस्था का आधार था। यह कुरान, हदीस, और इज्मा पर आधारित था।
कानून-ए-ज़वाबित: सुल्तान द्वारा बनाए गए गैर-धार्मिक नियम, जो शरिया के पूरक थे। अलाउद्दीन खलजी ने इसे लागू किया।
मुहम्मदन लॉ: इस्लामी कानून का वह हिस्सा, जो दीवानी मामलों (विवाह, तलाक, विरासत) में लागू होता था।
हद: शरिया में निर्धारित कठोर दंड, जैसे चोरी के लिए हाथ काटना या व्यभिचार के लिए कोड़े मारना।
ताज़ीर: सुल्तान या काज़ी द्वारा निर्धारित दंड, जो शरिया में स्पष्ट नहीं थे। इसमें कोड़े, कारावास, या जुर्माना शामिल था।
मजलिस-ए-शिकायत: सुल्तान का वह दरबार, जहाँ जनता अपनी शिकायतें प्रस्तुत करती थी।
6. सामाजिक और धार्मिक संरचना से संबंधित शब्द
उलेमा: इस्लामी विद्वान, जो धार्मिक और कानूनी मामलों में सलाह देते थे। सुल्तान उनकी सलाह मानते थे, लेकिन अलाउद्दीन जैसे सुल्तानों ने उनकी शक्ति सीमित की।
सूफी: रहस्यवादी संत, जो इस्लाम के आध्यात्मिक पहलुओं को प्रचारित करते थे। उदाहरण: निजामुद्दीन औलिया, शेख फरीद।
खानकाह: सूफी संतों के आश्रम, जहाँ धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ होती थीं।
मदरसा: इस्लामी शिक्षा का केंद्र, जहाँ कुरान, हदीस, और फारसी साहित्य पढ़ाया जाता था।
जागीरदार: वह व्यक्ति, जिसे सुल्तान द्वारा भूमि (जागीर) दी जाती थी। यह इक्ता का पर्याय था, लेकिन लोदी काल में अधिक प्रचलित हुआ।
खिलअत: सम्मान की पोशाक, जो सुल्तान द्वारा अमीरों, विद्वानों, या गवर्नरों को दी जाती थी।
फरमान: सुल्तान का लिखित आदेश, जो प्रशासनिक या कानूनी मामलों में जारी किया जाता था।
पंचायत: गाँव स्तर की परंपरागत समिति, जो स्थानीय विवादों का निपटारा करती थी। सल्तनत ने इसे बनाए रखा।
7. वास्तुकला और सांस्कृतिक शब्द
कुतुब: सल्तनत की वास्तुकला का प्रतीक, जैसे कुतुब मीनार। यह विजय और धार्मिक महत्व का द्योतक था।
मकबरा: सुल्तानों और अमीरों की समाधि, जैसे गियासुद्दीन तुगलक का मकबरा।
मस्जिद: पूजा स्थल, जैसे मोठ की मस्जिद (सिकंदर लोदी) और जामा मस्जिद (दिल्ली)।
हौज: जलाशय, जैसे हौज-ए-अलाई (अलाउद्दीन खलजी), जो सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए बनाए गए।
किला: सैन्य और प्रशासनिक केंद्र, जैसे तुगलकाबाद और रणथंभौर।
सिजदा: सुल्तान के सामने झुकने की औपचारिक प्रथा, जिसे बलबन ने लागू किया।
पाइबोस: सुल्तान के पैर चूमने की प्रथा, जो दरबारी शिष्टाचार का हिस्सा थी।
8. सुल्तानकालीन प्रशासन में शब्दावली का महत्व
सांस्कृतिक मिश्रण: ये शब्द तुर्की, फारसी, अरबी, और भारतीय परंपराओं के मिश्रण को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए,
प्रशासनिक स्पष्टता: शब्दावली ने प्रशासनिक भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया, जिससे सल्तनत का संचालन व्यवस्थित हुआ।
ऐतिहासिक स्रोत: इतिहासकारों, जैसे ज़िया-उद-दीन बरनी और मिनहाज-उस-सिराज, ने इन शब्दों का उपयोग अपनी रचनाओं में किया, जो सल्तनत के प्रशासन को समझने का आधार हैं।
मुगल प्रभाव: सल्तनत की शब्दावली, जैसे
9. वंश-विशिष्ट शब्दावली और योगदान
गुलाम वंश: चालिसा: इल्तुतमिश द्वारा स्थापित 40 तुर्की अमीरों का समूह, जो प्रशासन और सैन्य मामलों में महत्वपूर्ण था। टंका और जितल: इल्तुतमिश द्वारा शुरू की गई मुद्राएँ।
खलजी वंश: शहना-ए-मंडी: अलाउद्दीन खलजी के बाजार नियंत्रण का अधिकारी। दाग और चेहरा: सैन्य अनुशासन के लिए शुरू की गई प्रणाली।
तुगलक वंश: तकावी: मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा शुरू किया गया कृषि ऋण। दौलताबाद: तुगलक काल की नई राजधानी, जो प्रशासनिक प्रयोग का हिस्सा थी।
लोदी वंश: जरीब: सिकंदर लोदी द्वारा शुरू की गई भूमि माप प्रणाली। सिकंदरी: सिकंदर लोदी द्वारा चलाई गई चाँदी की मुद्रा।
10. शब्दावली के उदाहरण और संदर्भ
इक्ता: इल्तुतमिश ने इसे व्यवस्थित किया, और अलाउद्दीन ने इक्तादारों की शक्ति सीमित की।
जजिया: फिरोज शाह तुगलक ने इसे सख्ती से लागू किया, जबकि सिकंदर लोदी ने इसे लचीले ढंग से लिया।
फरमान: सुल्तान का लिखित आदेश, जैसे रज़िया सुल्तान के फरमान, जो प्रशासनिक निर्णयों को लागू करते थे।
खिलअत: सुल्तान द्वारा दी जाने वाली सम्मान की पोशाक, जैसे बलबन ने अपने अमीरों को दी।
मुहतसिब: अलाउद्दीन के समय बाजारों में शराब और जुए पर प्रतिबंध लागू करने वाला अधिकारी।
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