Architecture of India during Sultanate Period
jp Singh
2025-05-24 16:47:28
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सुल्तानकालीन भारत (1206-1526 ई.) की स्थापत्य कला
सुल्तानकालीन भारत (1206-1526 ई.) की स्थापत्य कला
सुल्तानकालीन भारत (1206-1526 ई.) की स्थापत्य कला दिल्ली सल्तनत के शासकों (ग़ुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, और लोदी वंश) के संरक्षण में विकसित हुई। यह भारतीय और इस्लामी स्थापत्य शैलियों का एक अनूठा समन्वय थी, जिसमें फ़ारसी, तुर्की, और मध्य एशियाई प्रभावों के साथ-साथ स्थानीय हिंदू और जैन तत्वों का मिश्रण देखने को मिलता है। इस काल की स्थापत्य कला में मस्जिदें, मकबरे, किले, और सार्वजनिक संरचनाएँ प्रमुख थीं। नीचे सुल्तानकालीन स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताएँ और उदाहरण दिए गए हैं।
सुल्तानकालीन स्थापत्य कला की विशेषताएँ:
1. इस्लामी स्थापत्य तत्व:
मेहराब और गुंबद: सल्तनत काल में मेहराब (arches) और गुंबद (domes) का व्यापक उपयोग हुआ, जो इस्लामी स्थापत्य की विशेषता थी। मेहराबें प्रायः नुकीली (pointed arches) थीं, जो फ़ारसी प्रभाव को दर्शाती थीं।
मीनारें: मस्जिदों के साथ ऊँची मीनारें बनाई गईं, जैसे कुतुब मीनार, जो धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व रखती थीं।
ज्यामितीय और फूलों की नक्काशी: दीवारों और छतों पर ज्यामितीय पैटर्न, अरबी लेखन (कैलिग्राफी), और पुष्प डिज़ाइन का उपयोग आम था।
इवान: मस्जिदों में बड़े प्रवेश द्वार (इवान) बनाए गए, जो फ़ारसी प्रभाव को दर्शाते थे।
2. स्थानीय भारतीय प्रभाव:
पुनर्चक्रण: सल्तनत काल के प्रारंभ में, हिंदू और जैन मंदिरों के खंभों, छतों, और पत्थरों का पुनर्चक्रण कर मस्जिदें बनाई गईं, जैसे कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद। छतरी और मंडप: भारतीय मंदिरों की छतरी और मंडप शैली का उपयोग कुछ संरचनाओं में देखा गया। स्थानीय सामग्री: लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग, जो भारतीय स्थापत्य की विशेषता थी।
3. सामाजिक और धार्मिक उद्देश्य:
मस्जिदें और मदरसे धार्मिक और शैक्षिक केंद्र थे, जबकि किले और मकबरे सत्ता और वैभव का प्रतीक थे। नहरें और बावलियाँ (जलाशय) जैसे सार्वजनिक निर्माण कार्य, विशेष रूप से फिरोजशाह तुगलक के समय, सामाजिक कल्याण को दर्शाते थे।
4. विकास और नवाचार
सल्तनत काल में स्थापत्य शैली समय के साथ विकसित हुई। ग़ुलाम वंश में प्रारंभिक संरचनाएँ सरल थीं, जबकि खिलजी और तुगलक काल में अधिक परिष्कृत और भव्य डिज़ाइन देखने को मिले। लोदी वंश में मकबरों की शैली ने मुगल स्थापत्य की नींव रखी।
प्रमुख उदाहरण
1. ग़ुलाम वंश (1206-1290)
कुतुब मीनार (दिल्ली): कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू और इल्तुतमिश द्वारा पूर्ण। यह 73 मीटर ऊँची मीनार भारत में इस्लामी स्थापत्य का प्रतीक है। फ़ारसी शिलालेख, ज्यामितीय नक्काशी, और पाँच मंजिलों की संरचना।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली) :- कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित भारत की पहली मस्जिद। इसमें हिंदू मंदिरों के पुनर्चक्रित खंभों का उपयोग हुआ। मेहराब और प्रांगण इस्लामी शैली को दर्शाते हैं। अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (अजमेर): कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित। इसमें भारतीय और इस्लामी तत्वों का मिश्रण है।
2. खिलजी वंश (1290-1320)
अलाई दरवाजा (दिल्ली): अलाउद्दीन खिलजी द्वारा कुतुब परिसर में निर्मित। यह लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है, जिसमें नुकीली मेहराब और जटिल नक्काशी है। फ़ारसी और भारतीय शैली का उत्तम समन्वय।
अलाई मीनार (दिल्ली): अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार से दोगुनी ऊँचाई की मीनार शुरू की, लेकिन यह अधूरी रही।
जामात खाना मस्जिद (दिल्ली): खिलजी काल की पहली पूर्णतः इस्लामी मस्जिद, जिसमें भारतीय तत्वों का उपयोग न्यूनतम था।
3. तुगलक वंश (1320-1414)
फिरोजशाह कोटला (दिल्ली): फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित। इसमें मस्जिद, बावली, और अशोक स्तंभ शामिल हैं।
हौज़ खास (दिल्ली): फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित जलाशय, मदरसा, और मस्जिद का परिसर। स्थापत्य और जल प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण। विशेषता: तुगलक काल में सादगी और कार्यक्षमता पर जोर, लेकिन बड़े पैमाने की संरचनाएँ।
4. सैय्यद और लोदी वंश (1414-1526):
मोथ की मस्जिद (दिल्ली): सिकंदर लोदी के समय निर्मित। इसमें भारतीय और इस्लामी शैली का मिश्रण है।
लोदी मकबरे (दिल्ली): सिकंदर लोदी और इब्राहिम लोदी के मकबरे, जो मुगल मकबरा शैली की नींव रखते हैं। लोदी गार्डन में ये मकबरे गुंबद और ज्यामितीय डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
विशेषता: लोदी काल में मकबरों का विकास, जो बाद में मुगल स्थापत्य को प्रभावित करता है।
5. जल प्रबंधन संरचनाएँ:
सल्तनत काल में जल संरक्षण के लिए बावलियाँ (कुंड), हौज़ (जलाशय), और नहरें बनाई गईं, विशेष रूप से फिरोजशाह तुगलक के समय। ये संरचनाएँ न केवल उपयोगिता के लिए थीं, बल्कि स्थापत्य सौंदर्य और सामाजिक कल्याण को भी दर्शाती थीं। उदाहरण: फिरोजशाह तुगलक की यमुना नहरें।
6. मदरसे और शैक्षिक केंद्र:
सल्तनत काल में मस्जिदों के साथ-साथ मदरसे बनाए गए, जो इस्लामी शिक्षा के केंद्र थे। इनमें ज्यामितीय नक्काशी, फ़ारसी शिलालेख, और खुली प्रांगण शैली देखी गई। उदाहरण: हौज़ खास का मदरसा।
7. सैन्य स्थापत्य
किलों और गढ़ों का निर्माण सैन्य रक्षा के लिए किया गया, जिसमें मोटी दीवारें, बुर्ज, और रणनीतिक डिज़ाइन शामिल थे। उदाहरण: तुगलकाबाद और सिरि किला।
8. क्षेत्रीय शैलियाँ
सल्तनत काल में क्षेत्रीय सल्तनतों (बंगाल, गुजरात, जौनपुर, मालवा) ने अपनी विशिष्ट शैलियाँ विकसित कीं, जो दिल्ली के प्रभाव के साथ स्थानीय परंपराओं का मिश्रण थीं। बंगाल में टेराकोटा, गुजरात में जैन नक्काशी, और जौनपुर में बड़े इवान का उपयोग प्रमुख था।
अतिरिक्त प्रमुख स्थापत्य स्मारक:
1. ग़ुलाम वंश (1206-1290)
इल्तुतमिश का मकबरा (दिल्ली): दिल्ली में कुतुब परिसर में स्थित। लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित, जिसमें ज्यामितीय नक्काशी और फ़ारसी शिलालेख हैं। विशेषता: यह सल्तनत काल का पहला उल्लेखनीय मकबरा है, जो बाद के मकबरों के लिए प्रेरणा बना।
सुल्तान गढ़ी (दिल्ली): इल्तुतमिश द्वारा अपने पुत्र नासिरुद्दीन महमूद के लिए बनवाया गया। यह भारत का पहला इस्लामी मकबरा माना जाता है। विशेषता: सादगी और भारतीय-इस्लामी शैली का मिश्रण।
2. खिलजी वंश (1290-1320)
सिरि किला (दिल्ली): अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित। इसमें मोटी दीवारें और रक्षात्मक डिज़ाइन हैं। विशेषता: सैन्य स्थापत्य और शहरी नियोजन का उदाहरण।
हज़ार सतून महल (सिरि): अलाउद्दीन खिलजी का कथित महल, जो अब खंडहर में है। इसमें लकड़ी और पत्थर का उपयोग हुआ। विशेषता: दरबारी वैभव और स्थापत्य नवाचार को दर्शाता है।
3. तुगलक वंश (1320-1414):
बेगमपुरी मस्जिद (दिल्ली): फिरोजशाह तुगलक के समय निर्मित। यह विशाल प्रांगण और सादगीपूर्ण डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है। विशेषता: तुगलक काल की कार्यक्षमता और बड़े पैमाने की स्थापत्य शैली।
खिरकी मस्जिद (दिल्ली): फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित। इसमें ढकी हुई प्रांगण शैली और मजबूत मेहराबें हैं। विशेषता: तुगलक काल में सैन्य और धार्मिक स्थापत्य का मिश्रण।
जाहनपनाह शहर (दिल्ली): मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा स्थापित। इसमें मस्जिदें और आवासीय संरचनाएँ शामिल थीं। विशेषता: शहरी नियोजन और तुगलक काल की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
4. सैय्यद और लोदी वंश (1414-1526):
र्रा गुम्बद और शीश गुम्बद (लोदी गार्डन, दिल्ली): लोदी वंश के समय निर्मित मकबरे। इनमें बड़े गुंबद, ज्यामितीय डिज़ाइन, और बगीचे शामिल हैं। विशेषता: मुगल मकबरा शैली की प्रारंभिक प्रेरणा।
जामा मस्जिद (जौनपुर): शर्की शासकों द्वारा निर्मित। इसमें विशाल इवान और स्थानीय भारतीय शैली का मिश्रण है। विशेषता: क्षेत्रीय स्थापत्य की स्वायत्तता को दर्शाती है।
5. क्षेत्रीय सल्तनतें:
अदीना मस्जिद (पांडुआ, बंगाल): बंगाल सल्तनत द्वारा निर्मित। टेराकोटा नक्काशी और विशाल प्रांगण इसकी विशेषता हैं। विशेषता: बंगाली शैली और इस्लामी तत्वों का मिश्रण।
जामा मस्जिद (अहमदाबाद, गुजरात): अहमद शाह प्रथम द्वारा निर्मित। जैन और हिंदू मंदिरों की नक्काशी का प्रभाव। विशेषता: गुजरात की क्षेत्रीय शैली और सल्तनत काल के समन्वय को दर्शाती है।
हिंडोला महल (मांडू, मालवा): मालवा सल्तनत द्वारा निर्मित। इसमें ढलानदार दीवारें और भारतीय शैली का मिश्रण है। विशेषता: क्षेत्रीय स्थापत्य की विशिष्टता को दर्शाता है।
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