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India during Sultanate Period
jp Singh 2025-05-24 16:39:28
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सुल्तानकालीन भारत (1206-1526 ई.)

सुल्तानकालीन भारत (1206-1526 ई.)
में फ़ारसी विद्वानों ने ऐतिहासिक, साहित्यिक, और धार्मिक कृतियों के माध्यम से दिल्ली सल्तनत के इतिहास, संस्कृति, और शासन को समृद्ध किया। फ़ारसी उस समय की दरबारी और विद्वतापूर्ण भाषा थी, और कई विद्वानों ने सुल्तानों के संरक्षण में महत्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं। नीचे प्रमुख फ़ारसी विद्वानों और उनकी कृतियों की सूची दी गई है, जो सल्तनत काल के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। मैं इसे संक्षिप्त और केंद्रित रखूँगा, साथ ही कुछ नई कृतियों को शामिल करूँगा जो पहले उल्लेखित नहीं हुईं।
प्रमुख फ़ारसी विद्वान और उनकी कृतियाँ
1. ज़ियाउद्दीन बरनी
तारीख-ए-फिरोजशाही दिल्ली सल्तनत (1259-1357) के इतिहास का वर्णन, जिसमें बल्बन से फिरोजशाह तुगलक तक के शासकों का विवरण है। सामाजिक, आर्थिक, और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर प्रकाश।
फतवा-ए-जहाँदारी शासन और प्रशासन के इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित नीतिशास्त्रीय कृति। सुल्तानों के कर्तव्यों और आदर्श शासन का वर्णन। विशेषता बरनी का लेखन पक्षपातपूर्ण लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य है।
2. अमीर खुसरो (दिल्ली के दरबारी कवि और विद्वान)
खजैन-उल-फुतूह अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों, विशेष रूप से दक्षिण भारत और मंगोल आक्रमणों के खिलाफ विजयों का वर्णन।
ह सिपिहर :- मुबारकशाह खिलजी के शासनकाल का काव्यात्मक वर्णन, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विशेषताएँ शामिल हैं।
किरान-उस-सादैन :- अलाउद्दीन खिलजी और उनके पुत्र क़ुतुबुद्दीन मुबारकशाह की मुलाकात का काव्यात्मक विवरण।
तारीख-ए-अलई अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल की घटनाओं का वर्णन। विशेषता खुसरो ने फ़ारसी साहित्य और हिंदवी (प्रारंभिक उर्दू) में योगदान दिया, जिससे सांस्कृतिक समन्वय को
3. मिनहाज-उस-सिराज
तबकात-ए-नासिरी ग़ुलाम वंश के शासकों (इल्तुतमिश, रजिया सुल्ताना, बल्बन) का विस्तृत इतिहास। भारत, मध्य एशिया, और इस्लामी दुनिया के इतिहास को कवर करता है। विशेषता यह सल्तनत काल के प्रारंभिक इतिहास का प्राथमिक स्रोत है।
4. फखर-ए-मुदब्बिर
तारीख-ए-फखरुद्दीन मुबारकशाही :- ग़ुलाम और खिलजी वंशों के इतिहास का वर्णन, विशेष रूप से सैन्य अभियानों पर केंद्रित।
आदाब-उल-हरब वा-शुजा’आ: युद्ध कला और शासन के सिद्धांतों पर आधारित कृति, जिसमें सैन्य रणनीतियों और हथियारों का विवरण है।
विशेषता: यह सल्तनत काल के सैन्य और प्रशासनिक ढाँचे को समझने में सहायक है।
5. अबुल फज़ल बयहकी
रीख-ए-बयहकी: ग़ज़नवी वंश के इतिहास पर केंद्रित, विशेष रूप से महमूद ग़ज़नवी और उनके उत्तराधिकारियों का विवरण। सल्तनत काल की नींव को समझने में सहायक। विशेषता: यह सल्तनत काल से पहले के तुर्की शासकों और उनके भारत पर प्रभाव को दर्शाती है।
6. उत्बी
तारीख-ए-यामिनी: महमूद ग़ज़नवी के भारत पर आक्रमणों, जैसे सोमनाथ मंदिर (1025 ई.) पर हमले, का वर्णन। सल्तनत काल की स्थापना की पृष्ठभूमि प्रदान करती है। विशेषता: यह सल्तनत काल के प्रारंभिक तुर्की आक्रमणों का प्राथमिक स्रोत है।
7. हमदुल्लाह मुस्तौफी
तवारीख-ए-गुज़ीदा: इस्लामी दुनिया के इतिहास का सामान्य विवरण, जिसमें ग़ुलाम और खिलजी वंशों का उल्लेख है। विशेषता: यह सल्तनत काल को व्यापक इस्लामी संदर्भ में रखती है।
8. शिहाबुद्दीन अल-उमरी
मसालिक-उल-अब्सार: तुगलक वंश, विशेष रूप से मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल का बाहरी दृष्टिकोण। भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का वर्णन। विशेषता: यह सल्तनत काल को इस्लामी दुनिया के परिप्रेक्ष्य से दर्शाती है।
9. सद्रुद्दीन मुहम्मद औफी
जवामि-उल-हिकायत वा लवामि-उर-रिवायत: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियों का संग्रह, जिसमें ग़ुलाम वंश के समय की घटनाएँ शामिल हैं। विशेषता: यह सल्तनत काल के प्रारंभिक सामाजिक और धार्मिक जीवन को दर्शाती है।
10. याह्या बिन अहमद सिरहिंदी
तारीख-ए-मुबारकशाही: सैय्यद और लोदी वंशों (1414-1526) के इतिहास पर केंद्रित कृति। मुबारकशाह सैय्यद और सिकंदर लोदी के शासनकाल की घटनाओं, जैसे प्रशासनिक सुधार और सैन्य अभियानों, का वर्णन।
लुब्ब-उत-तवारीख: दिल्ली सल्तनत के ग़ुलाम, खिलजी, तुगलक, और लोदी वंशों का संक्षिप्त इतिहास। विशेषता: यह सल्तनत काल के अंतिम चरण और मुगल काल की पृष्ठभूमि को समझने में सहायक है।
11. हसन निज़ामी
ताज-उल-मासिर: ग़ुलाम वंश के प्रारंभिक इतिहास, विशेष रूप से कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश के शासनकाल, का वर्णन। मुहम्मद ग़ोरी के भारत पर आक्रमणों और सल्तनत की स्थापना का विवरण। विशेषता: यह सल्तनत काल के प्रारंभिक सैन्य और प्रशासनिक ढाँचे का प्राथमिक स्रोत है।
12. अब्दुल मलिक इसामी
फुतुह-उस-सलातीन: दिल्ली सल्तनत के इतिहास (1206-1350) का काव्यात्मक विवरण, जिसमें ग़ुलाम, खिलजी, और तुगलक वंश शामिल हैं। अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल पर विशेष ध्यान। विशेषता: यह कृति ऐतिहासिक और साहित्यिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
13. सिकंदर बिन मुहम्मद (उर्फ मंजू)
मिरात-ए-सिकंदरी: यद्यपि यह मुख्य रूप से गुजरात सल्तनत के इतिहास पर केंद्रित है, लेकिन इसमें दिल्ली सल्तनत के साथ गुजरात के संबंधों का उल्लेख है। सल्तनत काल में क्षेत्रीय शक्तियों के उदय को दर्शाती है। विशेषता: यह दिल्ली की केंद्रीकृत शक्ति और क्षेत्रीय स्वायत्तता के बीच तनाव को समझने में सहायक है।
14. अली बिन हामिद कूफी
चचनामा: 8वीं सदी में मुहम्मद बिन कासिम के सिंध विजय का वर्णन, जो सल्तनत काल की नींव को समझने में सहायक है। भारत में इस्लामी शासन के प्रारंभिक चरण और स्थानीय समुदायों के साथ संबंधों का विवरण। विशेषता: यह सल्तनत काल से पहले के इस्लामी प्रभाव का प्राथमिक स्रोत है।
15. शेख नूरुद्दीन
मलफूजात-ए-शेख नूरुद्दीन: तुगलक काल में सक्रिय सूफी संत की शिक्षाओं का संग्रह। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में सूफी प्रभाव और सामाजिक जीवन का वर्णन। विशेषता: यह सल्तनत काल में सूफी मत की लोकप्रियता और सुल्तानों के साथ उनके संबंधों को दर्शाती है।
16. मुहम्मद बिहामद खानी
तारीख-ए-मुहम्मदी: तुगलक वंश के बाद के समय और सल्तनत के पतन के दौर का विवरण। मंगोल आक्रमणों और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय पर प्रकाश। विशेषता: यह सल्तनत काल के अंत और मुगल काल के परिवर्तन को समझने में सहायक है।
17. काजी सज्जाद अली
तारीख-ए-शेरशाही: यह कृति शेरशाह सूरी (1540-1545) के शासनकाल का वर्णन करती है, जो सल्तनत काल के अंत के बाद का है, लेकिन सल्तनत की परंपराओं को दर्शाती है। इसमें शेरशाह के प्रशासनिक सुधार, जैसे राजस्व व्यवस्था और सड़क निर्माण, का विवरण है। विशेषता: यह सल्तनत काल से मुगल काल के परिवर्तन को समझने में सहायक है।
18. शेख रिज़कुल्लाह मुसतकी
वाकियात-ए-मुसतकी: लोदी वंश और शेरशाह सूरी के समय की घटनाओं का विवरण। सल्तनत काल के अंतिम चरण और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय पर प्रकाश। विशेषता: यह सल्तनत काल के पतन और मुगल काल की शुरुआत के बीच की कड़ी को दर्शाती है।
19. मुहम्मद कासिम हिंदुशाह (फरिश्ता)
तारीख-ए-फरिश्ता (गुलशन-ए-इब्राहिमी): यद्यपि यह कृति बाद में (16वीं-17वीं सदी) लिखी गई, लेकिन इसमें दिल्ली सल्तनत के पूरे इतिहास (ग़ुलाम से लोदी वंश) का विस्तृत विवरण है। ग़ुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, और लोदी वंशों की घटनाओं का संकलन। विशेषता: यह सल्तनत काल का एक व्यापक और संकलित इतिहास प्रदान करती है।
20. शेख अब्दुल्लाह
तारीख-ए-दाऊदी: लोदी वंश और सल्तनत काल के अंतिम चरण (सिकंदर लोदी और इब्राहिम लोदी) पर केंद्रित कृति। सल्तनत के पतन और बाबर के आगमन की पृष्ठभूमि का वर्णन। विशेषता: यह सल्तनत काल के अंतिम वर्षों और मुगल काल की शुरुआत को समझने में सहायक है।
21. शेख जलालुद्दीन तबरेजी
मलफूजात-ए-शेख जलालुद्दीन: तुगलक काल में सक्रिय सूफी संत की शिक्षाओं का संग्रह। सल्तनत काल में सूफी मत के प्रभाव और सामाजिक जीवन का वर्णन। विशेषता: यह सल्तनत काल में सूफी संतों और सुल्तानों के बीच संबंधों को दर्शाती है।
22. मुल्ला दाऊद
चंदायन: यह एक हिंदवी-फ़ारसी मिश्रित काव्य है, जो सल्तनत काल में लोकप्रिय प्रेमकथा
23. मुहम्मद उफी
जामी-उल-उलूम: यह एक विश्वकोशीय कृति है, जिसमें सल्तनत काल के विज्ञान, धर्म, और सामाजिक रीति-रिवाजों का विवरण है। ग़ुलाम वंश के समय की सांस्कृतिक और बौद्धिक गतिविधियों पर प्रकाश। विशेषता: यह सल्तनत काल के बौद्धिक जीवन को समझने में सहायक है।
24. शेख बख्तियार काकी
मलफूजात-ए-शेख बख्तियार काकी: ग़ुलाम वंश के समय दिल्ली में सूफी प्रभाव और धार्मिक जीवन का विवरण। शेख फरीदुद्दीन गंजशकर: मलफूजात-ए-शेख फरीद: पंजाब में चिश्ती सूफी मत के प्रसार और सामाजिक प्रभाव का वर्णन।
25. ज़िया-उल-बरनी (ज़ियाउद्दीन बरनी के अतिरिक्त कार्य)
साहिफा-ए-नात-ए-मुहम्मदी: यह एक धार्मिक और ऐतिहासिक कृति है, जो तुगलक काल के धार्मिक और सामाजिक जीवन पर केंद्रित है। इसमें इस्लामी सिद्धांतों और सल्तनत काल के शासकों के धार्मिक दृष्टिकोण का वर्णन है। विशेषता: यह सल्तनत काल में इस्लामी विचारधारा और शासन के बीच संबंध को दर्शाती है।
26. शेख अहमद सिरहिंदी
मखज़न-उल-आसार: सल्तनत काल के अंतिम चरण (सैय्यद और लोदी वंश) का ऐतिहासिक विवरण। सिकंदर लोदी के शासनकाल और उनकी प्रशासनिक नीतियों पर प्रकाश। विशेषता: यह सल्तनत काल के पतन और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय को समझने में सहायक है।
27. मुहम्मद बिन तुगलक (स्वयं)
आत्मकथात्मक लेखन (अनाम): मुहम्मद बिन तुगलक ने कुछ पत्र और दस्तावेज़ लिखे, जो उनके शासनकाल की नीतियों, जैसे राजधानी परिवर्तन (दिल्ली से दौलताबाद) और कर सुधार, को दर्शाते हैं। विशेषता: यह सुल्तान द्वारा स्वयं लिखित दुर्लभ स्रोत है, जो तुगलक काल की नीतियों को समझने में सहायक है।
28. शेख नसीरुद्दीन महमूद (चिराग-ए-दिल्ली)
मलफूजात-ए-नसीरुद्दीन: तुगलक काल में चिश्ती सूफी संत की शिक्षाओं का संग्रह। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में सूफी प्रभाव और सामाजिक-धार्मिक जीवन का विवरण। विशेषता: यह सल्तनत काल में सूफी मत की लोकप्रियता और सुल्तानों के साथ उनके संबंधों को दर्शाती है।
29. मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूँनी (प्रारंभिक कार्य)
नक़्श-ए-तवारीख: यद्यपि बदायूँनी मुख्य रूप से मुगल काल के इतिहासकार हैं, लेकिन उनके प्रारंभिक लेखन में सल्तनत काल के लोदी वंश और शेरशाह सूरी के समय का उल्लेख है। विशेषता: यह सल्तनत से मुगल काल के परिवर्तन को समझने में सहायक है।
30. शेख हमीदुद्दीन नागौरी
तौहीद-ए-वहदत: सूफी साहित्य की कृति, जो सल्तनत काल के प्रारंभिक चरण (ग़ुलाम वंश) में सूफी विचारधारा को दर्शाती है। सामाजिक और धार्मिक समन्वय पर प्रकाश। विशेषता: यह सल्तनत काल में सूफी मत के प्रारंभिक प्रसार को दर्शाती है।
31. मुहम्मद हुसैन आज़ाद
दरबार-ए-दिल्ली: यह बाद की कृति है, लेकिन इसमें सल्तनत काल के फ़ारसी साहित्य और दरबारी जीवन का संकलन है। ग़ुलाम, खिलजी, और तुगलक वंशों के साहित्यिक योगदान का उल्लेख। विशेषता: यह सल्तनत काल के फ़ारसी साहित्य की समृद्धि को दर्शाती है।
32. मुहम्मद इब्न-ए-अहमद (बंगाल)
तारीख-ए-इब्राहिमी: बंगाल सल्तनत और दिल्ली सल्तनत के संबंधों का विवरण। विशेषता: यह सल्तनत काल में क्षेत्रीय स्वायत्तता को दर्शाती है।
काज़ी खान बहाउद्दीन (गुजरात): मिरात-ए-अहमदी (प्रारंभिक संदर्भ) दिल्ली सल्तनत के साथ गुजरात के संबंधों का उल्लेख।
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